-एमजीएम में इंसीनरेटर खराब, दीवार छेद कर निकाला जा रहा जहरीला धुआं

-हॉस्पिटल में भर्ती पेशेंट्स व आसपास की बस्ती के लोगों के हेल्थ से हो रहा खिलवाड़

abhishek.piyush@inext.co.in

JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल मैनेजमेंट हवाओं में जहर घोल रहा है। एमजीएम हॉस्पिटल कैंपस में बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोजल करने के लिए लगाया गया इंसीनरेटर खराब है। उसकी चिमनी पिछले दो-तीन वर्षो से खराब पड़ी है। इस कारण इंसीनरेटर मशीन के अंदर बायो मेडिकल वेस्ट के जलने पर चिमनी से धुआं नहीं निकल रहा। ऐसे में जहरीले धुएं को मशीन रूम से बाहर निकालने के लिए मैनेजमेंट द्वारा रूम में जमीन से ख्0 फूट की उचाई पर दीवार पर एक बड़ा सा छेद किया गया है। इस छेद से बायो मेडिकल वेस्ट का जहरीला धुआं बाहर निकल हॉस्पिटल में भर्ती पेशेंट्स के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

बस्तियों में फैल रहा धुआं

हॉस्पिटल कैंपस में जिस जगह बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोजल करने की मशीन लगाई गई है। ठीक उसके पीछे नया कोर्ट कैंपस का मेन गेट है। इसके अलावा छायानगर, निर्मलनगर, चंडीनगर आदि बस्ती बस्ती बसी हुई है। इंसीनरेटर खराब होने के कारण बायो मेडिकल वेस्ट जलने पर रूम के मेन गेट के उपर खाली बचे जगह से धुआं बाहर निकल कचहरी गेट की तरफ निकल रहा है। यह कोर्ट परिसर के साथ ही आस-पास बसे बस्तियों के वातावरण को जहरीला बना रहा है।

दिया म्क् लाख का फंड

स्वास्थ विभाग की ओर से एमजीएम हॉस्पिटल में खराब पड़े इंसीनरेटर की जगह नई मशीन बैठाने को लेकर म्क् लाख रुपए का फंड निर्गत किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमजीएम हॉस्पिटल का नया इंसीनरेटर मशीन साकची ब्लड बैंक स्थित एएनएम हॉस्टल के पीछे लगना है। फिलहाल टेंडर नहीं होने के कारण काम रोक दिया गया है।

जा सकती है जान

बायो मेडिकल वेस्ट में कई तरह की बायो वेस्ट शामिल होते हैं। इनमें पेशेंट्स को चढ़ाए जाने वाले बल्ड के डिस्चार्ज पैकेट, डिस्चार्ज निडिल के अलावा कई तरह के खून से सने बायो वेस्ट शामिल होते हैं। बायो मेडिकल वेस्ट कई संक्रमित पेशेंट्स द्वारा इस्तमाल में लाई जाती है। इनमें एचआईवी एड्स पॉजिटिव, कैंसर, हेपेटाइटिस ए, बी सी सहित अन्य कई तरह के संक्रमित पेशेंट्स के लिए इस्तेमाल में लायी जाने वाले बायो मेडिकल वेस्ट शामिल हो सकते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार बायो मेडिकल वेस्ट के धुएं से होने वाले इंफेक्शन से किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

पांच साल तक की सजा

बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल में लापरवाही बरतने पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है। एन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट-क्98म् के अनुसार आरोपियों पर पांच साल तक का कैद और एक लाख रुपए फाइन या फिर दोनों सजा एक साथ देने का प्रावधान है।

ये हैं नुकसान

-वेक्टर्स (मक्खी, मच्छर, सहित अन्य कीड़े-मकोड़े) के जरीये हॉस्पिटल आने वाले तथा आस-पास के लोगों में गंभीर इंफेक्शन वाली बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है।

-संक्रमित बीमारियों वाले पेशेंट्स के इस्तेमाल में लायी गयी निडिल, ब्लेड से इंज्यूरी होने तथा उसके संपर्क में आने से जानलेवा बीमारी का खतरा रहता है तथा इससे जान भी जा सकती है।

-हाइोडर्मिक निडिल्स, ट्यूब्स, ब्लेड्स बॉल्टस जैसी डिस्पोजेबल वस्तुओं से इंफेक्शन का खतरा रहता है।

-डिस्कार्डेड मेडिसिन्स के यूज से रिएक्शन का खतरा बना रहता है।

-कई केमिकल और फार्मास्यूटिकल ड्रग्स हजार्डस होते हैं। इनसे इनटॉक्सिकेशन का खतरा रहता है।

कैंपस में खुले में भी जलाया जा रहा था बायो मेडिकल वेस्ट

-आई नेक्स्ट ने सात जुलाई को पब्लिश की थी खबर

इंसीनरेटर खराब होने की वजह से हॉस्पिटल मैनेजमेंट की ओर से बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोजल करने के लिए जो अलग-अलग हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। हॉस्पिटल मैनेजमेंट द्वारा पहले तो बायो मेडिकल वेस्ट को खुले कैंपस में इमरजेंसी से महज ख्0 मीटर की दूरी पर जला हॉस्पिटल में इलाजरत पेशेंट्स के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था। इसपर आई नेक्स्ट में सात जुलाई को खबर प्रकाशित होने के बाद अब हॉस्पिटल मैनेजमेंट की ओर से बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोजल करने के लिए खराब पड़े इंसीनरेटर का उपयोग कर अपनी गलती छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि खराब पड़े इंसीनेटर मशीन में बायो मेडिकल वेस्ट जला पेशेंट्स के साथ आस-पास बसी बस्तियों के लोगों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

इंसीनरेटर खराब है। इस कारण मशीन अभी कम लोड ले रहा है। एक बार में जितना बायो वेस्ट जलना चाहिए, उतना नहीं जल पा रहा है। नई मशीन के लिए स्वास्थ विभाग का फंड आया है। इसका टेंडर निकाला जाना है।

-विजय शंकर दास, सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पिटल