छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : कारमेल जूनियर कॉलेज के 11वीं के स्टूडेंट का गूगल साइंस फेयर के लिए सेलेक्शन हुआ है। इंटरनेशनल लेवल के इस कॉम्पटीशन में देश-विदेश के 12 हजार स्टूडेंट्स ने अपना प्रोजेक्ट जमा किया। इस ऑनलाइन साइंस कॉम्पटीशन में 13 से 18 साल के स्टूडेंट्स ने भाग लिया। गूगल द्वारा प्रारंभिक चरण के 90 विजेताओं की घोषणा की गई। इस कॉम्पटीशन में कंट्री के 11 स्टूडेंट चयनित किए गए। इनमें से पूर्वी भारत के पार्टिसिपेंट के रूप में कारमेल जूनियर कॉलेज के 11वीं के स्टूडेंट प्रशांत रंगनाथन चुने गए। सेलेक्शन की खबर मिलने के बाद प्रशांत बुधवार को स्कूल पहुंचा। स्कूल पहुंचने के बाद टीचर्स ने इस सफलता के लिए उसे बधाई दी। साकची निवासी इस स्टूडेंट ने अपनी सफलता के पीछे टीचर चैताली चटर्जी, पिता रंगनाथन श्रीनिवासन व माता विजय लक्ष्मी रंगनाथन का हाथ बताया है।

खेती को चुना प्रोजेक्ट के लिए

स्कूल परिसर में स्टूडेंट प्रशांत रंगनाथन ने बताया कि उन्होंने अपने प्रोजेक्ट के लिए खेती को चुना। वह नौवीं क्लास से इस प्रोजेक्ट की तैयारी में लगा था। प्रोजेक्ट का टाइटल था 'नैनो-वेजिस : आयरन ऑक्साइड नैनो-पार्टिकल्स एस ग्रोथ बूसटर्स इन क्रॉप्स' यानी ऑयरन ऑक्साइड का सूक्ष्म कण कैसे फसल को बढ़ावा देता है। स्टूडेंट प्रशांत ने अपने शोध के लिए गेहूं व बारली के पौधों को चुना। उसने बताया कि आयरन ऑक्साइड के सूक्ष्म कणों व पानी का मिश्रण बनाकर इन पौधों पर डाला गया तथा अन्य पौधों पर पानी, गोबर व अन्य मिश्रण डाले गये। पाया गया कि गेहूं व बारली का ग्रोथ काफी तेज गति से हुआ है। 50 से 100 फीसदी तक विकास देखने को मिला। अन्य पौधों पर ऐसा विकास देखने को नहीं मिला। गूगल ने इस प्रोजेक्ट को सराहा। फाइनल राउंड का कॉम्पटीशन 14-18 जुलाई तक ऑनलाइन कंडक्ट होगा। फाइनल राउंड में 20 पार्टिसिपेंट्स का चयन होगा। इसमें सेलेक्टेड पार्टिसिपेंट्स अमेरिका में शोध करने जायेंगे। प्रशांत ने बताया कि उसके इस प्रोजेक्ट से देश के किसानों को काफी फायदा होगा। बेकार फेंके जाने वाले ऑयरन ऑक्साइड के सूक्ष्म कणों का उपयोग भी हो सकेगा।