- शहर में उग आए हैं कंक्रीट के जंगल, 60 से घटकर 6 परसेंट ही रह गया ग्रीन एरिया
- आवासीय कॉलोनियों, स्कूल-कॉलेज, होटल और सड़क विस्तारीकरण ने छीनी हरियाली

देहरादून (ब्यूरो): इसके पीछे तेजी से बढ़ती आबादी, लगातार काटे जा रहे पेड़ और कृषि भूमि पर खड़ी की जा रही बहुमंजिला बिल्डिंग्स को वजह बताया जा रहा है। शहर में हर तरफ कंक्रीट के जंगल उग आए हैं। गायब हो रही दून की हरियाली ने पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ा दी है। कुल मिलाकर जिस तादाद में पेड़ों का कटान किया गया उसके अनुरूप पेड़-पौधे लगाने पर काम नहीं हुआ। जानकारों की मानें तो हरियाली गायब होने से शहर का टैंपरेचर भी दो से तीन डिग्री तक बढ़ गया है।

कंक्रीट के जंगल में तब्दील
सुंदर दून, हरित दून का नारा अब सिर्फ नारों में ही देखने को मिल रहा है। जमीनी हकीकत यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद अब सिर्फ शहर में ग्रीन एरिया का दायरा घटता जा रहा है। कभी शहर में 60 परसेंट हरियाली हुआ करती थी, जो धीरे-धीरे घटकर 6 परसेंट तक रह गई है। राजधानी बनने के बाद पेड़ों का अंधाधुंध कटान शुरू हुआ। तेजी से बहुमंजिला इमारतें बनाई जाने लगी। कृषि भूमि पर बड़ी संख्या में प्लॉटिंग करके हरियाली को नष्ट किया गया। सबसे ज्यादा कंस्ट्रक्शन खेती की जमीन पर बने हैं। शहर में हरियाली अब दूर तक कहीं दिखाई नहीं देती है।

सड़कों का हुआ विस्तार
बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए लगातार सड़कों का विस्तार हो रहा है। सड़कों किनारे हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। आवासीय प्लॉटिंग के नाम पर आम-लीची के सैकड़ों बाग काट कर आवासीय भवनों के लिए प्लॉटिंग की जा रही है। कानून बनने के बाद भी अवैध प्लॉटिंग पर रोक नहीं लग पाई है। आज शहर में आम-लीची के गिने-चुने पेड़ ही दिखाई देते हैं। खेती की जीमनों पर बड़े-बड़े भवन उग आए हैं।

बढ़कर 12 लाख हो गई आबादी
राज्य बनने से पहले दून की आबादी 3 लाख के करीब थी, जो बढ़कर 12 लाख से अधिक हो गई। चार गुना से अधिक आबादी बढऩे से शहर की हरियाली गायब हो गई। पहाड़ से पलायन होकर लोग बड़ी संख्या में दून में बस रहे हैं। बाहरी राज्यों के लोग भी लगातार शहर में बसावट कर रहे हैं, जिससे शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही है। शहर के विस्तारीकरण के बीच नगर निगम के वार्ड 40 से बढ़कर 100 हो गए। मिट सिटी के अलावा आउटर के इलाकों में भी कृषि भूमि पर मकान खड़े करके कंक्रीट के जंगल तेजी से उग रहे हैं।

हाउसिंग कंपनियों की आई बाढ़
दून में हाउसिंग ग्रुप्स की बाढ़ सी आ गई है। जहां नजर डालो वहां हाउसिंग बिल्डिंगें और होटल खड़े दिखाई देते हैं। नदी-नालों के किनारे भी नहीं छोड़े जा रहे हैं। स्कूल- कॉलेजों के साथ ही आवासीय कालोनियां रातों-रात खड़ी की जा रही है। अनियोजित विकास से ग्रीन वैली धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। आबादी बढऩे से सड़कों पर यातायात का दबाव बढ़ रहा है, जिसके लिए सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है। चकराता रोड से लेकर सहस्रधारा रोड, हरिद्वार बाईपास रोड समेत तमाम सड़कों के चौड़ीकरण से हजारों की संख्या में पेड़ों के कटाने ने भी जहां शहर की सुंदरता को निगल लिया वही हरियाली भी गायब हो गई।

सर्वे में सामने आए फैक्ट्स
- 58.43 परसेंट एरिया का है आवासीय उपयोग में
- 9.33 परसेंट है मिक्स एरिया
- 4 परसेंट है कॉमर्शियल एरिया
- 1 परसेंट इंडस्ट्रियल एरिया
- 9.42 परसेंट एजुकेशन व हेल्थ
- 5.98 परसेंट ग्रीन एरिया
- 11 परसेंट सड़कें, ट्रांसपोर्टेशन
- 0.34 प्रतिशत टूरिज्म

नए मास्टर की खास बातें
-37800 हेक्टेयर है टोटल प्लानिंग एरिया
-17916 हेक्टेयर है डेवलप्ड एरिया
-6952 हेक्टेयर है अनडेवलप्ड एरिया
-9872 हेक्टेयर एरिया है फॉरेस्ट
-3059 हेक्टेयर कैंटोनमेंट एरिया

5 साल में ढाई लाख वाहन बढ़े
7.76 लाख वाहन थे 2017 तक
8.50 लाख वाहन 2020 तक
10 लाख के पार चले गई 2023 में वाहनों की संख्या

वास्तव में दून में ग्रीन एरिया काफी कम रह गया है। लगातार बढ़ रही आबादी के चलते कंस्ट्रक्शन का दायरा तेजी से बढ़ा है। बढ़ती मांग के अनुरूप डेवलपमेंट भी जरूरी है। नए मास्टर प्लान में हरियाली के दायरे को बढ़ाने के लिए प्रावधान किए जाएंगे।
मोहन सिंह बर्निया, सचिव, एमडीडीए
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