केस-1

बिरसानगर निवासी सुनील की तबीयत खराब होने के बाद उसे छह जनवरी 2014 को एमजीएम हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। यहां इमरजेंसी में उसका ट्रीटमेंट चल रहा था। ट्रीटमेंट के दौरान उसकी थर्सडे की रात डेथ हो गई। उसकी बॉडी रात भर वहीं रही और इस दौरान चूहों ने उसकी आंख के पास कुतर दिया। सुबह जब उसके फैमिली मेंबर्स पहुंचे और बॉडी से कपड़ा हटाया तो आंख के पास चूहों के कुतरने का निशान देख उन्होंने कर्मचारियों से पूछताछ भी की, लेकिन बाद में वहां से बॉडी लेकर चले गए।

केस-2

दूसरी घटना डिमना रोड स्थित शंकोसाई निवासी हीरा मिस्त्री की बॉडी के साथ घटी। तबियत खराब होने के बाद उसे भी छह जनवरी 2014 को ही इमरजेंसी में एडमिट कराया गया था। उसकी भी थर्सडे की शाम डेथ हो गई। उसकी बॉडी भी रात भर वहीं पड़ी रही। इस दौरान चूहों ने उसकी बॉडी को नाक के पास कुतर दिया।

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JAMSHEDPUR : अगर आप एमजीएम हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट करवा रहे हैं, तो यहां के चूहों से जरा सावधान रहें। वे आपको भी निशाना बना सकते हैं। एमजीएम में चूहों के आतंक की घटनाएं कई बार सामने आ चुकी हैं, लेकिन हॉस्पिटल में बढ़ती चूहों की संख्या पर रोक लगाने को लेकर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन भी गंभीर नहीं है।

दो बॉडी को कुतर दिया चूहों ने

एमजीएम हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में थर्सडे की रात दो बॉडी को चूहों ने कुतर दिया। जानकारी के मुताबिक चूहों ने एक बॉडी का नाक व दूसरे के आंख को नुकसान पहुंचाया। रात भर बॉडी इमरजेंसी में यूं ही पड़ी रही। सुबह मृतकों के फैमिली मेंबर्स हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन उन्होंने अपना विरोध नहीं जताया और बॉडी लेकर वहां से चले गए।

पहली बार नहीं हुई है ऐसी घटना

सवाल यह उठता है कि हॉस्पिटल में इस तरह की लापरवाही क्यों? ऐसा नहीं है कि चूहे केवल मुर्दे को ही नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ महीनों पहले चूहों ने नींद में सोई एक महिला पेशेंट के पैर के पास कुतर दिया था। इसके अलावा नौ जून को भी चूहों ने भालूबासा निवासी गुड्डू ठाकुर की बॉडी को कुतरा था। चूहों का आतंक इस कदर है कि वे मशीन के तार व हॉस्पिटल के डॉक्यूमेंट्स को भी नुकसान पहुंचा चुके हैं।

डॉक्टर व नर्स भी हैं परेशान

हॉस्पिटल के चूहों से यहां के डॉक्टर्स और नर्स भी परेशान हैं। चूहों का आतंक सबसे ज्यादा रात के वक्त देखने को मिलता है। इसे लेकर कई बार सुपरिंटेंडेंट से कंप्लेन भी की जा चुकी है, लेकिन इसका कोई ठोस हल नहीं निकल सका है।

अगर हॉस्पिटल में बॉडी को कुतरा गया है, तो यह एक गंभीर मामला है। चूहों की बढ़ती संख्या को रोकने की जरूरत है। चूहों और दीमक की समस्या से निपटने के लिए कई बार गवर्नमेंट को भी पत्र लिखा जा चुका है।

-डॉ आरवाई चौधरी, सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पिटल