-झाड़-फूक से हारने के बाद मिर्गी के मरीज पहुंचते हैं डॉक्टर के पास

-भारत में एक करोड़ 20 लाख लोग हैं ग्रसित

JAMSHEDPUR: अज्ञानता, अंधविश्वास और जागरूकता के अभाव में मिर्गी पीडि़तों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इसके लिए लोग खुद जिम्मेवार हैं। ये बातें सोमवार को टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) के न्यूरो फिजिशियन डॉ। एमएन सिंह ने कहीं। इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (आईएपी) की ओर से बिष्टुपुर स्थित एक होटल में मिर्गी पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान डॉ। एमएन सिंह ने कहा कि विश्व में लगभग सात करोड़ और भारत में करीब एक करोड़ ख्0 लाख लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी देश के ग्रामीण इलाकों और छोटे कस्बों में लोग मिर्गी का दौरा पड़ने पर डॉक्टर के पास न जाकर ओझा या मंदिरों और मजारों के चक्कर लगाते हैं। उन्होंने कहा कि लोग इसे झाड़-फूंक से ठीक हो जाने वाला रोग मानते हैं और जब सब जगह से निराश हो जाते हैं, तो डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। तबतक बीमारी काफी बढ़ जाती है।

इलाज से ठीक हो सकता है रोग

मिर्गी के अधिकतर रोगी इलाज से ठीक हो जाते हैं, लेकिन यह इलाज थोड़ा लंबा चलता है। इस बीमारी में मरीज अचानक बेहोश हो जाता है और उसके हाथ-पैर ऐंठ जाते हैं और मुंह से झाग निकलने लगता है। वहीं रोगी तुरंत जमीन पर गिर जाता है। अगर लोग जागरूक हो जाएं तो इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है। सेमिनार में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ। मोहन कुमार, केके चौधरी, मिथलेश कुमार, प्रवीण चंद्रा, कैप्टन एनएन झा, राजीव शरण, जॉय भादुड़ी, केआर हांसदा, डॉ। अमित सहित अन्य शिशु रोग विशेषज्ञ उपस्थित थे।

बरतें सावधानी

- अपनी दवाइयां एकदम निर्देशानुसार लें। दौरों को रोकने के लिए यह बेहतर साधन है।

- अपने परिवार व दोस्तों को बताएं कि जब आपको दौरा आए तो वे क्या करें।

- अच्छा खाना खाएं। अच्छा पोषण आपको ऊर्जा देता है और आप बेहतर महसूस करते हैं।

- दबाव पर नियंत्रण रखें। दबाव के स्तर को कम रखकर आप मिर्गी का बेहतर तरीके से सामना कर सकते हैं।

- पर्याप्त नींद लें। यदि आपको नींद आने की दिक्कत है तो चिकित्सक से कहें।