-मैथिली साहित्य में बदलती सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्य पर परिसंवाद आयोजित

-दूसरे सेशन में मैथिली कवि सम्मेलन में बेहतरीन कविताएं सुन मुग्ध हुए श्रोता

JAMSHEDPUR: साहित्य अकादमी, नई दिल्ली एवं मिथिला सांस्कृतिक परिषद, जमशेदपुर के संयुक्त तत्वाधान में 'मैथिली साहित्य में बदलती सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्य' पर परिसंवाद और कवि सम्मेलन का आयोजन रविवार को श्रीकृष्ण सिन्हा सभागार, बिष्टुपुर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मैथिल कवि विद्यापति के चित्र पर पुष्प अर्पित कर एवं जय जय भैरवी गीत से की गई। शंकरनाथ झा ने स्वागत गीत गाया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण देते हुए साहित्य अकादमी के विशेष कार्याधिकारी देवेन्द्र कुमार देवेश ने कहा कि अकादमी मिथिलांचल के साथ-साथ वैसे शहरों जहां मैथिल भाषियों की वृहत संख्या है, वहां कार्यक्रम कर साहित्य को सृजित एवं पल्लवित करने का कार्य कर रही है। परिषद के महासचिव ललन चौधरी ने परिषद की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला एवं परिषद की पत्रिका संस्कृति के निरंतर प्रकाशन पर अपने विचार व्यक्त किए।

सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव पर रखे विचार

उद्घाटनकर्ता टाटा स्टील के उपाध्यक्ष सह परिषद के संरक्षक बीके दास ने साहित्य के सामाजिक सरोकार पर अपने विचार व्यक्त किए। मैथिली भाषा परामर्श मंडल की संयोजिका वीणा ठाकुर ने कहा कि सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्य का अर्थ है समकालीन होना। मैथिली लेखक अशोक अविचल ने मैथिली साहित्य में साहित्यकारों की सामाजिक चेतना के प्रति सजगता को रेखांकित किया। हरिबल्लभ सिंह आरसी ने साहित्य अकादमी द्वारा पुरष्कारों के लिए चयनित साहित्यकारों पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे साहित्यकारों का चयन हो जिसका समाज लंबे समय तक लाभ उठा सके। अध्यक्षीय भाषण देते हुए परिषद के अध्यक्ष लक्ष्मण झा ने मैथिली साहित्य का समाज पर सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव पर अपने विचार व्यक्त किए। उद्घाटन सत्र के अंत में धन्यवाद ज्ञापन गोपाल चन्द्र झा ने किया। दूसरे सेशन में मैथिली कवियों ने एक से बढ़ कर एक कविताएं प्रस्तुत कीं। श्रोताओं ने इसका भरपूर लुत्फ उठाया।