छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: टाटा फुटबॉल अकादमी (टीएफए) के कोच पी विजय कुमार के असामयिक निधन से खेल जगत स्तब्ध है। बुधवार की रात तीन बजे कदमा स्थित 39, केडी फ्लैट में उन्हें दिल का दौरा पड़ा। इस बीच पलंग से गिर गए। उन्हें उठाया गया। भाई पी नागेश्वर राव ने टीएमएच ले जाने के लिए कार में बैठाया। रास्ते में कदमा रंकिणी मंदिर के पास अपनी पत्नी इंदिरा को वह बोले-देखो मंदिर आ गया। कार से ही मां रंकिणी को जैसे ही नमन किया, उनका शरीर ढीला पड़ गया। टीएमएच पहुंचते ही चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 58 वर्षीय पी विजय कुमार अपने पीछे एक पुत्री राजश्री व पत्नी इंदिरा को छोड़ गए हैं। फरवरी में ही बेटी की सगाई होने वाली थी। इसी रविवार को वे सपरिवार कोलकाता स्थित लड़के वाले के परिवार से मिलने जाने वाले थे। पी विजय कुमार के पांच भाई हैं। पी नागेश्वर राव, पी श्याम सुंदर राव, पी विजय कुमार, पी जगदीश कुमार व पी रमेश कुमार।

टीएफए की जर्सी पहनकर ली अंतिम विदाई

टीएफए को जीवन समर्पित करने वाले पी विजय कुमार टीएफए की जर्सी पहनकर दुनिया को अलविदा कहा। टीएफए से उनका लगाव जगजाहिर था। सुबह छह बजे ही टीएफए ग्राउंड पर पहुंच जाना। कैडेट को प्रशिक्षण देना। फिर ऑफिस वर्क करना। शाम में चार बजे फिर ग्राउंड पहुंच जाना। रात आठ बजे तक घर लौटना। यही उनकी दिनचर्या थी।

आज होगा अंतिम संस्कार

पी विजय कुमार का अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया जाएगा। शुक्रवार को 12.30 बजे उनके पार्थिव शरीर को 39, केडी फ्लैट से टाटा फुटबॉल अकादमी लाया जाएगा। जहां देश भर से आए खिलाड़ी व कोच उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। उसके बाद पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए पार्वती घाट ले जाया जाएगा।

आंसू नहीं रोक पा रहे कैडेट

टाटा फुटबॉल अकादमी में 1996 में जुड़ने वाले पी विजय कुमार अपने कैडेटों को पुत्र मानते थे। वे हमेशा उनका ख्याल रखते थे। आज देश भर में फैले उनके कैडेट अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं। टीएफए के कैडेटों के चेहरे उदास हैं। उन्हें तो विश्वास नहीं हो रहा कि कल तक हर वक्त उनके साथ रहने वाले कोच पी विजय कुमार नहीं रहे।

गले लग आंसू बहा रहे थे

पी विजय कुमार टीएफए के कैडेट की हरसंभव मदद को तैयार रहते थे। अभी इसी सत्र में कैडेटों का दीक्षांत समारोह हुआ था। माइकल जॉन ऑडिटोरियम में विदा होने वाले कैडेट उनके गले लग आंसू बहा रहे थे। तीन कैडेट का चयन किसी क्लब में नहीं हो पाया था। उन्होंने स्पोर्डिग डि गोवा से संपर्क किया और क्लब ने तीनों खिलाडि़यों को अपने साथ अनुबंधित कर लिया।

बचपन में था क्रिकेट से लगाव

फुटबॉल में नायक कहे जाने वाले पी विजय कुमार का कभी क्रिकेट से ज्यादा लगाव था। लेकिन सत्तर के दशक में यूथ क्लब चलाने वाले मदन मल्लिक व पाचू कुंडू ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। जब ये दोनों विजय कुमार को फुटबॉल खेलने के लिए घर से बुलाने जाते तो वह छिप जाते। अपने पिता से कहते, मुझे क्रिकेटर बनना है। लेकिन फुटबॉल मैदान में जब उतरे तो बड़े-बड़े सूरमाओं को पानी पिलाया।

मैं निश्शब्द हूं। क्या कहूं। यह किसी सदमे से कम नहीं है। उन्होंने टीएफए की नींव को मजबूती दी। अबतक 196 कैडेट देने वाले पी विजय कुमार द्वारा प्रशिक्षित 19 खिलाड़ी तो भारतीय टीम की कप्तानी कर चुके हैं। यह टीएफए के लिए अपूरणीय क्षति है।

-मुकुल विनायक चौधरी, प्रशासक, टीएफए

वह टीएफए कैडेट के लिए 'फादर फिगर' थे। प्रशिक्षुओं को मदद के लिए हमेशा तत्पर रहे। अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि विजय दा अब हमारे बीच नहीं रहे।

डॉ। शशि सहाय, फिजियो, टीएफए

टीएफए का नूर का कोहिनूर थे विजय कुमार। खुशमिजाज विजय दूसरों की मदद को हमेशा तैयार रहते थे। उनके जैसा इंसान विरले ही होता है।

-पी पॉल, वार्डेन