-मौत के बाद पहुंची जांच रिपोर्ट

-मृतक की मां का आरोप, समय पर दवाई नहीं मिलने से गई बेटे की जान

JAMSHEDPUR : स्वाइन फ्लू ने शहर में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। जमशेदपुर में स्वाइन फ्लू से दो मरीजों की मौत हो गई। इस घटना केबाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है। झारखंड में स्वाइन फ्लू से मौत की यह पहली घटना है। शहर के दो अलग-अलग अस्पतालों में इन मरीजों का इलाज चल रहा था। दोनों मरीजों की मौत सोमवार की देर रात हो गई। हैरानी की बात है की जांच रिपोर्ट मंगलवार को पहुंची। यानी रिपोर्ट पहुंचने से पहले ही दोनों मरीज दम तोड़ चुके थे। तब तक मरीजों का इलाज लक्षण के अधार पर ही चल रहा था।

टीएमएच और ब्रह्मानंद हॉस्पिटल में चल रहा था इलाज

देश के कई राज्यों में महामारी का रूप ले चुके स्वाइन फ्लू ने झारखंड में पैर फैलाना शुरू कर दिया है। जमशेदपुर में स्वाइन फ्लू की वजह से दो मरीजों की जान चली गई। मानगो स्थित ओल्ड पुरुलिया रोड निवासी ख्9 वर्षीय जयलाल जयसवाल को छह मार्च को टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में भर्ती कराया गया था। वहीं, सुंदरनगर निवासी सुधा जोशी (भ्0 साल) का इलाज ब्रह्मानंद हॉस्पिटल में चल रहा था।

तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि

सर्विलांस विभाग द्वारा चार मार्च को पहली बार पांच संदिग्ध मरीजों का नमूना लेकर जांच के लिए कोलकाता स्थित एआईसीईडी भेजा गया था। उसके बाद दूसरी बार सात मार्च को दो मरीजों का नमूना भेजा गया। मंगलवार को सात मरीजों का एक साथ जांच रिपोर्ट आया। इसमें तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। हालांकि रिपोर्ट आने से कुछ घंटों पूर्व ही जयलाल जयसवाल और सुधा जोशी ने दम तोड़ चुके थे। वहीं, सोनारी निवासी 7 वर्षीय एम। त्रिषा की स्थिति में सुधार होने के कारण उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। त्रिषा का इलाज टेल्को अस्पताल में चल रहा था। वहीं चार मरीजों का रिपोर्ट नेगेटिव आया है। इनमें हंस कुमार राज, प्रतीक कुमार, अनिश कुमार व केआर गुहा शामिल हैं।

स्वाइन फ्लू से प्रभावित राज्यों से आए थे दोनों

सुदंरनगर निवासी सुधा जोशी और मानगो निवासी जयलाल जयसवाल स्वाइन फ्लू से ग्रसित राज्यों से लौटे थे। इसके कुछ दिन के बाद दोनों की स्थिति बिगड़ने पर हॉस्पिटल्स में भर्ती कराया गया। जांच में दोनों को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। सुधा जोशी अपने इलाज के सिलसिले में वेल्लोर गई थी। वहां से लौटते के बाद उसका इलाज ब्रह्मानंद अस्पताल में चल रहा था। वहीं, जयलाल जयसवाल भी इलाज कराने के लिए तामिलनाडू स्थित कोयमटूर गया था। वहां से लौटने के बाद स्थिति बिगड़ने पर टीएमएच अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

तो बच जाती जान

जयलाल जयसवाल की मां उषा देवी अपने बेटा के मौत के गम में डूबी हुई थी। उन्होंने विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर सही समय पर दवा मिलती, तो बेटे की जान बच जाती। उषा ने बताया कि वह अपने बेटे का इलाज कराने के लिए ख्7 फरवरी को तामिलनाडू स्थित कोयमटूर गई थी। जयलाल सात वर्ष की उम्र में विकलांग हो गया था, जिसका इलाज चल रहा था। वहां से तीन मार्च को शहर लौटी। इसके बाद समान्य ढंग से सर्दी-खांसी के साथ बुखार होना शुरू हुआ। इसके बाद छह मार्च की दोपहर में अचानक स्थिति बिगड़ गई। इसके बाद उसे टीएमएच हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहां डॉक्टर ने स्वाइन फ्लू के लक्षण बताए। शहर के किसी दुकान में दवा नहीं मिली। फिर रांची और दूसरे जगहों पर भी संपर्क किया गया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सात मार्च को डिपार्टमेंट द्वारा दवा उपलब्ध कराया गया। उषा ने कहा कि अगर छह मार्च को दवा उपलब्ध हो जाती तो बेटे की जान बच सकती थी।