-बागुनहातू नल में पानी आने की खबर सुनते ही दौड़ने लगते हैं लोग

-काफी दूर तक जाना पड़ता है पानी के लिए, महिलाएं भी पानी ढोने को हैं मजबूर

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JAMSHEDPUR: बागुनहातू के कई मोहल्ले पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस हैं। भोर होते ही यहां पानी की जद्दोजहद शुरू हो जाती है। महिलाएं घर से बर्तन, गैलेन लेकर अहले सुबह ही लाइन में लग जाती हैं। पानी तो साढ़े पांच बजे आता है। फिर से यही सिलसिला दिन में दो बजे से शुरू हो जाता है। कहने को तो पानी की सप्लाई तीन-तीन घंटे तक होती है लेकिन लो प्रेशर के कारण एक छोटी बाल्टी भरने में क्0 से क्ख् मिनट लगा जाता है। पानी भरने के लिए कहीं कोई स्टैंड पोस्ट भी नहीं लगाया गया है। वहां पानी भर रही महिलाओं का कहना था कि कई बार पानी सप्लाई दगा दे देता है। ऐसी स्थिति में अगल-बगल से पानी उधार मांग कर काम चलाना पड़ता है। ऐसी स्थिति तब है जब ये इलाके सीएम रघुबर दास के घर से महज एक किमी की दूरी पर हैं।

घर-घर नहीं पहुंचा पानी

बागुनहातू, ग्वाला बस्ती में पानी का पाइप लाइन नहीं पहुंचा है। नतीजा हर घर पेयजल पहुंचाने का सपना आजादी के म्7 साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हुआ। एक बात तो जरूर है कि बस्ती के बाहरी इलाकों में पानी का मुफ्त कनेक्शन दिया गया है। इन्हीं नलकूपों पर बस्ती के लोग पानी की जरूरत पूरी करते हैं।

समय पर नहीं आता पानी

बस्तीवालों का कहना है कि पानी टाइम पर नहीं आता, लेकिन वे लोग समय पर जरूर आ जाते हैं। कई बार पानी में गंदगी की भी शिकायत होती है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।

पानिए भरेंगे तो पढ़ेंगे कब

गुरुवार को दिन के करीब ख् बजे बाबूडीह चौक पर क्0-क्ख् साल के कई बच्चे पानी भर रहे थे। कुछ साइकिल, ठेले पर गैलेन और दूसरे बर्तन लेकर आए थे। पूछने पर बताया कि पांच से छह घंटे तो सिर्फ पानी भरने में ही निकल जाता है। सुबह से ही पानी की जद्दोजहद शुरू हो जाती है। पानी कैसा है ये जरूरी नहीं बल्कि यह जरूरी है कि घर में कितना पानी है। एक दिन भी पानी नहीं आने पर सारा वाटर मैनेजमेंट गड़बड़ हो जाता है।

अक्सर सप्लाई वाटर दगा दे जाता है। यहां से तो सिर्फ पीने का पानी भरते हैं। घर का बाकि काम तो स्वर्णरेखा नदी के पानी से होता है।

संध्या

स्टैंड पोस्ट नहीं है काफी दिक्कत होती है। पानी का प्रेशर भी कम होता है। इससे गैलेन भरने में काफी समय लग जाता है।

शोभा

घर से आधा किलोमीटर दूर यहां आकर पानी भरते हैं। घर के पास कनेक्शन नहीं है। काफी परेशानी होती है। कोई सुनने वाला नहीं है।

टुंपा

भोर से ही लाइन लग जाते हैं। लेट हो जाने पर पानी मिलने में देरी हो जाती है। दिन में ख् बजे से फिर से लाइन लग जाते हैं।

पंचमी

सप्लाई वाटर का कनेक्शन नहीं दिया गया है। पानी के लिए रोज जद्दोजहद होती है। वैसे अभी तो गर्मी की छुट्टी है नहीं तो बच्चे स्कूल छोड़कर पानी भरते हैं।

नयना

पानी भरने में ही थक जाते हैं। रात होते ही नींद आने लगती है। क्या पढ़ें। इधर गर्मी छुट्टी है तो राहत है।

राहुल

घर में पानी नहीं रहने से काफी दिक्कत होती है। इसलिए पानी को स्टोर करके रखना पड़ता है। कल का पानी आज ही जुगाड़ करना होता है।

बिट्टू

सप्लाई वाटर का पीने के लिए यूज करते हैं। नलकूपों से इतना पानी कहां मिलता है। दूसरे कामों के लिए तो नदी से पानी लाना पड़ता है।

विशाल

घर से एक किलोमीटर दूर पानी लेने आना पड़ता है। पानी का टेंशन दिनभर लगा रहता है। पानी आने की खबर ऐसे उड़ती है जैसे मुहल्ले में मोदी आ गए हों। इसके बाद तो सभी लोग बर्तन लेकर दौड़ने लगते हैं।

संतोष

सप्लाई का पानी तो आता नहीं। कभी आता भी है तो उसमें गंदगी बहुत रहती है। हमें काफी दूर तक पानी के लिए जाना पड़ता है। पानी को लेकर बहुत परेशानी है।

- नीतू

हमारे एरिया में पानी की बहुत समस्या है। पानी के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। घर का एक मेंबर तो पानी ढोने में ही लगा रहता है। पानी शुद्ध है या नहीं, हमें तो यह भी नहीं पता।

- कानूराम हांसदा