छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : जीना है जान से तो तौबा करो धुम्रपान से। ये हम नहीं कह रहे बल्कि गुटखा, पान, तंबाकू, सिगरेट के सेवन करने वाले लोग कह रहे हैं। लोगों का कहना है कि सबसे बुरी लत लगी है। लेकिन लत तो लग गई भाई इसे छोड़ें कैसे। पूछने पर तमाम लोग यही कह रहे हैं।

क्या कहते हैं डॉक्टर

सिविल सर्जन डॉ एसके झा का कहना है कि यदि मन में ठान लिया जाय तो पान मसाला, गुटखा, खैनी और सिगरेट जैसी बुरी आदतों को छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने बताया कि इन बुरी लतों के शिकार लोग रोजाना पांच बार लिखें ढ्ढ 2द्बद्यद्य ह्नह्वद्बह्लद्ग, ढ्ढ ड्डद्व द्दश्रद्बठ्ठद्द ह्लश्र ह्नह्वद्बह्ल। अपने संकल्पों को बार-बार दुहराएं। धीरे-धीरे आदत में सुधार हो जाएगा।

छोड़ने से नहीं होगी कोई बीमारी

डॉ एसके झा का कहना है कि अक्सर लोगों का सवाल होता है कि यदि छोड़ दिया तो बीमार तो नहीं हो जाऊंगा। यह धारणा बिल्कुल गलत है। धुम्रपान छोड़ने के बाद किसी भी तरह की बीमारी नहीं होती है।

धीरे धीरे छोड़ें धुम्रपान

डॉक्टरों का कहना है कि धुम्रपान को धीरे-धीरे तौबा करें। यदि पहले 10 पुडि़या खाते थे तो उसे 8 पर लाएं। फिर 5, 4, 2, 1 फिर 0 पर। पान मसाला चबाने के बजाय सौंफ, लवंग, इलाची, धनिया आदि का सेवन कर सकते हैं।

सिटी में डीएडिक्शन सेंटर नहीं

सिविल सर्जन ने बताया कि धुम्रपान की लत को खत्म करने के लिए सरकारी स्तर पर जिले में कोई प्रयास शुरू नहीं हुआ है। लेकिन पीडि़त डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

एग्रीको की रहने वाली गुलाबी देवी का कहना है कि आठ साल में शादी हो गई और दस साल से मैंने पान खाना शुरू कर दिया। उस समय पांच पैसा में एक जोड़ी पान खाती थी। आज दाम भी ज्यादा हो गया है। इतने दिनों तक काफी प्रयास किया कि ये लत छूट जाय। लेकिन नहीं छूटती है।

गुलाबी देवी, ग्वाला बस्ती, एग्रीको

पान मसाला खाना अच्छी बात नहीं है। लेकिन फिर भी खा ही लेता हूं। घर में भी कई बार झगड़ा हो जाता है। बच्चे भी नाराज होते हैं। पैसा भी खर्च होता है और कुछ मिलता भी नहीं। इससे तो अच्छा है कि इन पैसों को दूसरी चीजों में खर्च किया जाय।

विजय सिंह, बारीडीह

11 साल की उम्र से पान खाना शुरू किया। धीरे धीरे खैनी की लत लग गई । घर में दादी खाती थी और दादी के लिए पान मैं ही लेने जाता था। यहीं से पान की लत लग गई। धीरे धीरे यह बढ़ता गया। बीच में पूरी तरह से छोड़ दिया था। लेकिन फिर से शुरू हो गया। गुमटियों में पान मसाला टंगा देख नहीं रहा जाता।

एम खान, मानगो आजाद बस्ती

मैं नहीं खाता गुटखा

गुटखा, पान मसाला, खैनी की कभी लत नहीं लगाई। यदि मन में प्रबल इच्छा हो तो यह लत आपको नहीं लग सकती। गुटखा स्वास्थ्य को खराब तो करता ही है सामाजिक छवि भी बिगाड़ता है।

राजू कुमार