एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूम्न अवेयरनेस की सर्वे रिपोर्ट 2015 में हुआ खुलासा

झारखंड के आठ जिलों के 350 गांवों में ऐसी महिलाओं के बारे में ग्रामीणों से की गई बातचीत

RANCHI : डायन होने के आरोप में झारखंड में अब तक कई महिलाओं को चिन्हित किया गया है, जिनकी जान खतरे में है। विभिन्न गांवों में अब तक के किए गए एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 300 ऐसी महिलाएं चिन्हित की गई हैं जो गांव के ओझा, पंचायत और गांव वालों द्वारा डायन घोषित की जा चुकी हैं। ये आंकड़ा अभी कुछ ही जिलों का है, जबकि सर्वे का काम झारखंड के बाकी जिलों में कराया जाना अभी बाकी है।

हर हादसे के बाद सजा

एसोसिएशन फोर सोशल एंड ह्यूम्न अवेयरनेस की ओर से अब तक गुमला, लोहरदगा, खूंटी, लातेहार, रांची, सरायकेला, ईस्ट सिंहभूम, वेस्ट सिंहभूम में डायन बिसाही को लेकर इस साल सर्वे किया गया है। इन जिलों के 350 से ज्यादा गांवों में जाकर ऐसी महिलाओं के बारे में ग्रामीणों से पूछा गया, जिन्हें डायन घोषित कर दिया गया है। इन सभी जगहों को मिलाकर 300 महिलाओं के नाम सामने आए जिन्हें गांव के लोग डायन कहते हैं या समझते हैं। सर्वे में ये बात भी सामने आई कि इन महिलाओं को जिस वक्त डायन घोषित किया गया, उस वक्त इन्हें बुरी तरह से प्रताडि़त भी किया गया। इसके बावजूद अब भी कोई हादसा होने पर इन्हें सजा मिलती है। इनमें से 70 ऐसी महिलाएं भी शामिल हैं, जिन पर हाल ही में जानलेवा हमले हुए हैं।

विधवा व वृद्धा ज्यादा शिकार

डायन प्रथा जो गांव में अपनी जड़ें आज भी मजबूती से बनाए हुए है। इस कुप्रथा की शिकार अधिकतर महिलाएं या तो वृद्ध होती हैं या विधवा। ऐसे मामले जो पुलिस तक पहुंच रहे हैं उसके अनुसार अधिकतर महिलाएं संपत्ति और जायदाद की वजह से डायन हिंसा की शिकार हो रही हैं। ऐसे मामलों में उनके खुद के सगे-संबंधी और गांव के लोग डायन करार देकर या तो उनकी हत्या कर देते हैं या फिर बदले में उन्हें अपनी प्रापर्टी का बड़ा हिस्सा जुर्माना के रूप में देना होता है। अब तक चिन्हित की जा चुकी महिलाओं ने पहली बार तो बड़ा जुर्माना अदा किया। इसके बावजूद हर बार इन्हें माफ करने के एवज में मोटी रकम या जमीन की मांग की जाती है।

डायन करार देने वाले ओझा भी कम नहीं

इन सभी गांवों में ओझा भी मिले, जो उन महिलाओं के डायन होने की पुष्टि करते हैं। इन सभी जगहों में ओझा की संख्या सबसे ज्यादा सरायकेला, रांची और लोहरदगा में मिली, जहां दस से ज्यादा ओझा एक जिले में मिले। सर्वे में लोगों ने अपनी मान्यता के बारे में बताया जिसे वे हमेशा फॉलो करते हैं। गांव वाले किसी भी महिला के डायन होने की बात उठाते हैं तब ओझा ही इसकी पुष्टि करते हैं कि उक्त महिला डायन है या नहीं। या फिर ओझा गुणी ही अपने झाड़-फूंक वाली विद्या से महिला की पिटाई और अपमानित कर उसके अंदर की बुरी शक्ति को बाहर निकालते हैं।

हम लोग गांव में जाकर जब सर्वे का करते हैं, तो लोगों से बेहद हैरानी भरी बातें सुनने को मिलती हैं। ऐसी-ऐसी कहानी सामने आती हैं, जिसके सामने विकास और विज्ञान अब भी मायने नहीं रखते। लोग जिसे एक बार गलती से भी डायन के रूप में चिन्हित कर देते हैं फिर उन महिलाओं के सिर से कलंक जिंदगी भर नहीं हटता और उन्हें किसी भी वक्त प्रताड़ना का शिकार होना पड़ सकता है। ऐसी 300 महिलाएं फिलहाल सर्वे द्वारा चिन्हित की जा चुकी हैं।

-पूनम टोप्पो, चेयरमैन, आशा