रांची (ब्यूरो) । राजधानी रांची में आठ नए वाटर टावर बन कर तैयार हैं। इनमें से अबतक पानी का कनेक्शन नहीं दिया गया है। इसी साल से नए वाटर टावर से पानी सप्लाई किए जाने की योजना थी, लेकिन विभागीय सुस्ती के कारण अबतक इसकी शुरुआत नहीं हो सकी है। वहीं छह जल मीनार पर अब भी काम चल रहा है। दरअसल अमृत योजना के तहत राजधानी रांची में 14 जलमीनार बनाने का निर्णय लिया गया। इस योजना की शुरआत चार साल पहले हुई थी।

2022 से शुरू होनी थी

योजना के अनुसार 2022 से ही पानी का संकट नहीं होने का दावा किया गया था, लेकिन जलमीनार से पानी की सप्लाई नहीं होने से सारे दावों की पोल खुल चुकी है। वर्तमान पूरे शहर में तीन प्रमुख वाटर टैंक से जलापूर्ति की जाती है। इनमे रूक्का, हटिया और कांके शामिल हंै। इन्हीं वाटर टैंक से नए जलमीनारों को जोडऩे की योजना है, ताकि शहर वासियों को ब्रांच वाटर टॉवर से 24 घंटे जलापूर्ति का लाभ मिल सके। फिलहाल इसकी स्थिति देख ऐसा लगती है अब भी लोगों को 24 घंटे पानी मिलने में और वक्त लगेगा।

सिर्फ 80 हजार घरों कनेक्शन

राजधानी रांची में करीब 2 लाख 20 हजार हाउस होल्ड हैैं। इनमें महज 80 हजार घरों में ही नगर निगम और जल बोर्ड पानी का कनेक्शन दे पाया है। पाइपलाइन बिछाने का काम जुडको, पीएचईडी और जेएनएनयूआरएम की ओर से कराया जा रहा है। इसपर भी काफी धीमी गति से काम हो रहा है। हालांकि कई इलाकों में पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा कर लिया गया है, लेकिन इसे वाटर टॉवर से नहीं जोड़े जाने की वजह पाइपलाइन का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।

बढ़ रही पानी की समस्या

सिटी में एक ओर जहां लगातार पानी की समस्या बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी ओर इसके समाधान की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्थिति दिन प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। लोगों को पहले गर्मी के मौसम में पानी के लिए परेशानी होती थी, लेकिन अब पूरे साल दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हर वर्ष डैम का जलस्तर भी घटता जा रहा है। जिस कारण लोगों के घरों तक पानी की सप्लाई भी नियमित नहीं हो पा रही है।

12 साल से इंतजार

रांची में पाइपलाइन से जलापूर्ति का वादा पिछले 12 साल से किया जा रहा है, लेकिन यह वादा फाइलों से बाहर निकल ही नहीं पा रहा। इस दौरान कई सरकारें बदल गईं, पर आज तक नल से हर घर पानी पहुंचाने की योजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। 12 साल पहले नल से जल पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था। यह अब तक पूरा नहीं हो सका है। इसके अलावा मिसिंग पाइपलाइन का काम भी अधूरा है। विभाग की ओर से अब 2025 से पहले हर घर नल से जल की योजना को पूरा करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन काम की सुस्त रफ्तार रही तो इस समय सीमा में भी योजना का पूरा हो पाना मुश्किल है।

2.61 लाख नए कनेक्शन का लक्ष्य

अमृत योजना के तहत जुडको की ओर से जहां 2.61 लाख नए वाटर कनेक्शन देने की योजना है, वहीं पीएचईडी की ओर से 24 हजार और जेएनएनयूआरएम की ओर से 54 हजार वाटर कनेक्शन दिया जाना है। राजधानी में बीते दस सालों से हर घर 24 घंटे वाटर सप्लाई के सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं। हर घर तक पाइपलाइन बिछाने का कई बार दावा पहले भी फेल हो चुका है। जुडक़ो द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार आज भी 63 परसेंट घरों तक पाइपलाइन से पानी नहीं पहुंच पा रहा है। नई बिछाई जा रही पाइपलाइन से अबतक मात्र एक प्रतिशत घरों को ही कनेक्शन मिला है।

563 किमी पाइपलाइन

शहरी वाटर सप्लाई योजना के तहत रांची में 563 किमी पाइपलाइन बिछाई जा रही है। साथ ही 14 वाटर टावर पर काम चल रहा है। करीब 260 करोड़ की लागत से इन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसमें आठ जलमीनार का काम लगभग पूरा हो चुका है, जबकि तीन जलमीनारों का 70 फीसदी काम हुआ है। वहीं तीन पर काम अभी शुरुआती चरण में है।

55 साल पुरानी पाइपलाइन

यह भी एक विडंबना है कि रांची में तीन बड़े डैम हैं, लेकिन वहां से पानी की आपूर्ति की रफ्तार बहुत ढीली है। डैम में पानी पर्याप्त होने के बाद भी इसे कैसे घरों तक पहुंचाया जाए इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। वहीं जिस पाइपलाइन से वर्तमान में जलापूर्ति की जा रही है, वह करीब 55 साल पुरानी है। इस कारण पाइप कई स्थान पर जर्जर हो चुका है। यही वजह है आए दिन लाइन में खराबी आने की शिकायत आती रहती है। लाइन में खराबी होने पर लाखों लीटर पानी वेस्ट हो जाता है।