रांची (ब्यूरो) । 2024 तक घर-घर में पाइपलाइन से वाटर सप्लाई करने का लक्ष्य है। लेकिन वर्तमान स्थिति देखकर ऐसा लग रहा है कि इस सपने पर ही पानी फिर सकता है। आज भी पाइपलाइन बिछाने का काम अधूरा है। दरअसल, राइजिंग पाइपलाइन बिछाने में एनओसी समस्या बन रही है। पथ निर्माण विभाग और एनएचएआई से एनओसी नहीं मिलने के कारण यह काम बीच में ही रोक दिया गया है।

500 मोहल्ले वंचित

करीब पांच सौ मुहल्ले आज भी पाइपलाइन से वंचित हैं। राजधानी रांची में शहरी जलापूर्ति योजना के तहत राइजिंग पाइपलाइन बिछाने का काम बीते कुछ महीनों से लटका हुआ है। शहर में 22 किलोमीटर राइजिंग पाइपलाइन बिछाई जानी है, लेकिन अबतक सिर्फ 2.40 किलोमीटर ही पाइप लाइन बिछ पाई है। जिन जगहों पर पाइप लाइन बिछाई जानी है, उसमें से 15 किलोमीटर का क्षेत्र एनएचएआई के दायरे में आता है। एक साल में जुडको ने एनओसी के लिए कई बार एनएचएआई को पत्र लिखा। इसे लेकर जुडको और एनएचएआई के अधिकारियों के बीच कई बार मीटिंग भी हुई है, लेकिन अब तक जुडको को एनओसी नहीं मिला है।

2024 तक दो लाख घर लक्ष्य

राजधानी में 2 लाख घरों तक स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए करीब 1100 करोड़ रुपए की लागत से चार जलापूर्ति योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं के तहत अगले एक वर्ष में 10 लाख आबादी की प्यास बुझाने की योजना है। लेकिन विभागों के बीच तालमेल न होने और एनओसी नहीं मिलने की वजह से यह पूरी योजना फंस कर रह गई है। एनएचएआई और रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट की ओर से रोड काटने की परमिशन नहीं दी जा रही है। विभाग का कहना है सडक़ के अलावा अतिरिक्त जमीन नहीं होने के कारण एनओसी नहीं दिया जा रहा है। यदि रोड काट दिया जाएगा तो आवागमन बुरी तरह प्रभावित होगा।

बेकार पड़े हैं 13 जलमीनार

मेन राइजिंग पाइपलाइन बिछने के बाद ही जलमीनार तक पानी पहुंचेगा और फिर वहां से मुहल्लों में बिछाई गई डिस्ट्रिब्यूशन पाइपलाइन से घरों तक पानी की आपूर्ति होगी। अमृत योजना के तहत सिटी के अलग-अलग लोकेशन में 13 वाटर टॉवर बनकर लगभग तैयार हैं। लेकिन बगैर पाइपलाइन के इनका कोई उपयोग नहीं है। जलमीनार से सप्लाई शुरु होने से हजारों घरों में पानी की समस्या दूर हो सकती है।

कहां फंसी है पेंच

दरअसल रांची के तिलता चौक से पिस्का मोड़ और पिस्का मोड़ से बनहौरा तक 15 किलोमीटर की सडक़ें एनएचएआई के अंतर्गत आती हैं। यहां सडक़ को उखाडऩे और उसे फिर से बनाने के मामले को लेकर पेंच फंस गया है। एनएचएआई का कहना है कि पाइप बिछाने के लिए पूरी सडक़ उखाडऩी पड़ेगी। इसलिए पूरी सडक़ को उखाडऩे और उसे फिर से बनाने का खर्च जुडको को देना होगा। जबकि जुडको का कहना है कि पूरी सडक़ बनाने में काफी खर्च आ जाएगा, इसलिए वह सिर्फ उतनी ही सडक़ बनाना चाहता है, जितना वो उखाड़ेगा।

इस संबंध में अधिकारियों को पत्र लिखकर इसका समाधान निकालने का आग्रह किया गया है। ताकि इसका फायदा आम लोगों को मिल सके।

-संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, रांची