रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में प्राइवेट स्कूलों की बाढ़-सी आ गई है। हर गली-मुहल्ले में प्राइवेट स्कूल संचालित हो रहे हैं। शहर में जितने ज्यादा स्कूल हैं उससे चार गुणा अधिक स्कूल बसें हैं। सुबह छह बजते ही सिटी की सड़कों पर स्कूल बसें दौडऩे लगती हैं। इन बसों के लिए अलग से कोई लेन नहीं होने के कारण कॉमन सड़क पर ही सभी व्हीकल्स की तरह स्कूल बसें भी चलती हैं। सुबह में व्हीकल्स कम होने से ज्यादा परेशानी नहीं होती, लेकिन दोपहर 12 बजे के बाद यही स्कूल बस कई मुसीबतों का कारण बन जाती हैं।

स्कूटी सवार की मौत

बेतरतीब तरीके से चलने वाली स्कूल बस सिर्फ यातायात में परेशानी नहीं, बल्कि हादसों का भी कारण बन रही हैं। एक दिन पहले ही कडरू ओवरब्रिज पर सेंट जेवियर्स की स्कूल बस ने स्कूटी पर सवार महिला आशा पांडेय को चपेट में ले ली, जिससे उनकी मौत हो गई। वहीं एक युवक भी गंभीर रूप से घायल हुआ। यह पहला मौका नहीं है जब स्कूल बस किसी की मौत का कारण बनी है। इससे पहले भी रांची की सड़कों पर हादसे होते रहे हैं।

अनट्रेंड ड्राइवर

बस ओनर्स और स्कूल संचालकों ने अपनी बसों को अनट्रेंड ड्राइवर्स के हाथ सौंप दिया है, जिस कारण इस प्रकार की हादसे हो रहे हैं। कई बार जांच में यह सामने आया है कि बिना किसी लाइसेंस के ड्राइवर की जगह कंडक्टर स्कूल बस चला रहा होता है। जबकि स्कूल बस चलाने का काम काफी जिम्मेदारी वाला है। इसमें छोटे-छोटे मासूम बच्चे बैठे होते हैं। बस चालकों ने तो स्कूल मैनेजमेंट की ओर से और न ही बस ओनर की ओर से किसी तरह की ट्रेंनिंग दी जाती है। यहां तक कि परिवहन विभाग भी सिर्फ जांच करने और फाइन काटने तक ही इतिश्री समझता है। बस ड्राइवर और कंडक्टर की कांउसलिंग कर उन्हें सेफ्टी ड्राइविंग स्किल नहीं सिखाई जाती है, जिसका परिणाम है आए दिन कोई न कोई हादसे हो रहे हैं।

बेतरतीब ड्राइविंग

रांची की सड़कें पहले से संर्कीण हैं। राजधानी बने 22 साल हो गए लेकिन आज भी न तो सड़क का चौड़ीकरण हुआ और न ही फ्लाईओवर बने हैं। इसका खामियाजा यहां की पब्लिक उठा रही है। इन पतली सड़क पर स्कूल बस ड्राइवर भी कलाकारी दिखाते हैं। कई स्कूल बस के ड्राइवर बेतरतीब तरीके से वाहन चलाते हैं। सिंगल लेन सड़क पर भी दो बसें अगल-अगल खड़ी कर दी जाती हैं, जिससे रोड ब्लॉक हो जाता है और सड़क पर लंबा जाम लग जाता है। यदि बस चालक धैर्य रखते हुए एक लेन में गाड़ी चलाए तो काफी समस्या से समाधान मिल सकता है। दोपहर 12 बजे के बाद समस्या अधिक बढ़ जाती है। बारह से तीन बजे तक सड़क पर लगने वाले जाम की बड़ी वजह स्कूल बस होती है।

सिटी में 765 स्कूल बसें

डीटीओ से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी रांची में 765 स्कूल बसें चल रही हैं। यह बसें अलग-अलग स्कूलों में सर्विस देती हैं। बसों को चलने के लिए परिवहन विभाग की ओर से परमिट भी दिया गया है। हालांकि इसमें कुछ बसों का परमिट फेल हो चुका है। बसों के अलावा कुछ स्कूलों में वैन, कहीं ऑटो से भी बच्चों को ढोया जा रहा है।

जाम का भी बड़ा कारण

हरमू रोड, मेन रोड, रातू रोड, पिस्का मोड़ रूट में बस की वजह से काफी जाम लगता है। चौक-चौराहों पर स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है। बस ड्राइवर गाड़ी मोड़ते वक्त जाम लगा देते हैं। जगह नहीं होने के कारण बस मोडऩे में दिक्कत तो होती ही है। वहीं, बस के पीछे आ रहे दूसरे वाहन चालकों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ड्राइवर जल्दबाजी में इन चौराहों से निकलने की कोशिश करते हैं, जिससे कई बार बाइक या दूसरी गाड़ी को भी ठोकर लग जाती है। बीते महीने राजेंद्र चौक के समीप एक स्कूल बस के ड्राइवर ने जल्दबाजी में बस घुमाने के चक्कर में एक ऑटो को ठोकर मार दी। इसी जगह पर बाइक सवार एक युवक स्कूल बस की चपेट में आते-आते बचा।

बीच रोड उतारते हैं बच्चे

सबसे हैरानी की बात तो यह है कि ये स्कूल ड्राइवर बीच सड़क में ही गाड़ी खड़ी करके बच्चों को उतारने लगते हैं, जिससे दूसरे वाहन चालक को परेशानी होती है। सड़क पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। मेन रोड जैसे सबसे बिजी सड़क में भी जगह-जगह पर बस चालक बच्चों को उतारते हुए आगे बढ़ते हैं। निश्चित बस स्टापेज नहीं होने के कारण बस चालक जहां मन वहीं गाड़ी खड़ी कर देते हैं। कई बार रेड लाइट जंप की भी शिकायतें स्कूल बस चालकों की आती रहती हैं। बस चालकों की कभी कांउसलिंग नहीं की जाती है।

केस स्टडी

25 जुलाई : कडरू ओवरब्रिज पर सेंट जेवियर्स स्कूल की बस की टक्कर से महिला की मौत, एक युवक घायल।

14 मई: धुर्वा में जवाहर विद्या मंदिर श्यामली स्कूल की बस डिवाइडर पर चढ़ गई। उसे निकालने के लिए क्रेन बुलाना पड़ा। हालांकि, कोई हताहत नहीं हुआ।

13 मई : नगड़ी थाना क्षेत्र में एक चलती बस में आग लग लग गई। बस में सिर्फ ड्राइवर और कंडक्टर थे। बड़ा हादसा टल गया।

17 मार्च: हरमू रोड में एक स्कूल बस ने नगर निगम की महिला कर्मचारी को मारी ठोकर, इलाज के दौरान मौत।

27 फरवरी: रतन टॉकिज चौक के समीप स्कूल बस की टक्कर से बाइक सवार रोड पर गिर गया। युवक को चोट आई।

डीटीओ से सीधी बातचीत

सवाल : स्कूल बस के ड्राइवर्स के लिए क्या गाइडलाइन है?

जवाब : जो सभी ड्राइवर के लिए है वही उनके लिए भी है। ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है।

सवाल : क्या बस और बस चालक की जांच होती है?

जवाब : समय-समय पर अभियान चलाकर जांच की जाती है। कई बस ओनर्स पर जुर्माना भी लगाया गया है।

सवाल : स्कूल बसों से हादसे हो रहे है, इसे रोकने के लिए क्या करेंगे?

जवाब : स्कूल प्रबंधन और बस ओनर की भी जिम्मेवारी होनी चाहिए कि वे समय-समय पर अपने चालकों को ट्रेंड करते रहें।