रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में मिलावट का बाजार हमेशा गर्म रहता है। खाने के हर सामान में मिलावट की शिकायतें आती रहती हैं। कभी सरसों तेल में मिलावट तो कभी आटा, मैदा दाल में मिलावट। मिठाई के दु़कानों में भी यह खेल खूब खेला जाता है। मिलावट करने वाले फेस्टिवल व अन्य खास मौकों पर ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। विशेषकर होटल, रेस्टोरेंट में यह खेल काफी खेला जाता है। ज्यादा पैसे कमाने के लालच में मिलावटखोर लोगों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं। लेकिन अब इनपर नकेल कसने की तैयारी सरकारी ने कर ली है। जो भी व्यक्ति मिलावट करता है, सरकार उनपर खास नजर रख रही है। सिर्फ मिलावट करने वालों ही नहीं, बल्कि खाने के हर सामान की भी जांच की जाएगी। बार-बार मिलावट की आ रही शिकायतों के बाद फूड एंड ड्रग कंट्रोल विभाग रेस हुआ है। सिर्फ स्पेशल मौके ही नहीं, सालों भर विभाग की टीम मिलावट करने वालों पर नजर रखेगी। मिलावट करते पाए जाने पर लाइसेंस रद्द करते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सुपरवाइजर की होगी तैनाती

फूड एंड़ ड्रग सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से सिटी में करीब एक हजार फूड सेफ्टी सुपरवाइजर सिटी के अलग-अलग इलाकों में घूमकर मिलावट करने वालों पर नजर रखेंगे। इसके अलावा शॉप और होटल-रेस्टोरेंट में जाकर टाइम टू टाइम खाने के आईटम की भी जांच करेंगे। इतना ही नहीं, होटल के किचन से लेकर खाने के आईटम के मैन्यूफेक्चिंरग एरिया में जाकर भी पैकेजिंग की जांच की जाएगी। दुकानों में भी बिकने वाली खाने-पीने की चीजों की जांच ये सुपरवाइजर करेंगे। डिपार्टमेंट की ओर से इन सुपरवाइजरों को टे्रनिंग भी दी जाएगी। जांच के साथ-साथ ये टीम मिलावट और इससे होने वाले नुकसान के प्रति लोगों को अवेयर भी करेगी। हर सदस्य एक एरिया में बांट दिया जाएगा। जहां कैंप लगाकर टीम के सदस्य लोगों को जागरूक करेंगे। इस कैंप में कारोबारी और व्यापारी का रजिस्ट्रेशन भी किया जाएगा।

ऑनलाइन होगा फूड एडमिनिस्ट्रेशन

ड्रग एंड फूड एडमिनिस्ट्रेशन को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी लाने की तैयारी चल रही है। एक क्लिक पर विभाग से संबंधित जानकारी यहां मौजूद होगी। इसके अलावा मिलावट कैसे पहचानें, सजा का प्रावधान संबंधित अन्य इंर्फोमेशन भी सिर्फ एक क्लिक पर ली जा सकेगी। वहीं लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए फूड इको सिस्टम भी डेवलप करने पर विचार चल रहा है, जिसके तहत 500 हाई रिस्क वाले फूड बिजनेस का इंस्पेक्शन किया जाएगा। इसके अलावा 50 बड़ी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में जाकर भी टीम व्यवस्था देखेगी।

फूड बिजनेस का लाइसेंस लेना जरूरी

जेनरल स्टोर, होटल, रेस्टोरेंट्स या किसी भी प्रकार की खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदार को एफएसएसएआई से लाइसेंस लेना जरूरी है। दुकानदारों को सामान की रसीद पर भी लाइसेंस नंबर लिखना होगा। किसी भी तरह की गड़बड़ी या परेशानी होने पर एफएसएसएआइ नंबर का उपयोग करके ग्राहक किसी विशेष फूड बिजनेस के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। सभी दुकानदार एफएसएसएआइ के मानकों का पालन करें, इसी उद्देश्य की पूर्ति होती यह निर्णय लिया गया है। साथ ही इससे प्रतिष्ठानों के लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन होने का प्रमाण भी मिलेगा।

नशीली दवाओं पर भी कसेगा शिकंजा

सिटी में नकली और नशीली दवाइयों की भी कई कंप्लेन आई हैं, जिसके बाद अब विभाग हरकत में आते हुए इस पर नियंत्रण करने की तैयारी कर रहा है। नकली दवा या इंजेक्शन बेचने वाले लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। दो दर्जन से भी अधिक शिकायतें दवाईयों में मिलावट से संबंधित आ चुकी हैं। कंप्लेन आने के बाद डिपार्टमेंट रेस हुआ है। डिपार्टमेंट का कहना है कि राजधानी में अब नकली दवा बेचना आसान नहीं है। ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग को दुरुस्त किया जा रहा है।

स्टेट फूड लैब की हालत अब भी लाचार

इस बीच स्टेट का एकमात्र फूड लैब अब भी सैंपल टेस्ट करने में लाचार है। एनएबीएल यानी की नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड फोर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज से सर्टिफिकेट नहीं मिलने की वजह से लैब में सभी सिस्टम होने के बाद भी सैंपल की जांच नही हो रही है। दिसंबर 2020 में ही इस लैब की मान्यता खत्म हो गई थी, जिसे अब तक एक्रिडिएशन नहीं मिला है। इस वजह से राज्य से कलेक्ट किए जा रहे सैैंपल कोलकाता भेजने पड़ रहे हैैं। नतीजा यह है कि जांच रिपोर्ट आने में 2 महीने से अधिक का समय लग रहा है। रांची स्थित इस सरकारी लैब में करोड़ो रुपए इन्वेस्ट कर मशीन इंस्टॉल की गई हैं। लेकिन इसका फायदा लैब को नहीं मिल रहा है। लैब में सैंपल टेस्ट नहीं होने के कारण मिलावटखोरों पर कार्यवाही नहीं हो पा रही है। हालांकि कुछ सैंपल का टेस्ट रांची में हो रहा है लेकिन वह नॉर्मल टेस्ट है। जिनकी कानूनी रूप से भी कोई अहमियत नहीं है। यहां मैन पॉवर की भी भारी कमी है।