रांची (ब्यूरो) । झारखंड के उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा एनसीटीई को 2015 में दिए गए हलफनामे का अनुपालन 8 वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं हुआ। इस बात को लेकर मंगलवार को संघ के प्रतिनिधि मंडल ने आलमगीर आलम ग्रामीण विकास मंत्री सह संसदीय कार्य मंत्री को एक ज्ञापन दिया। इस दौरान संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ नंदकिशोर सिंह सुलभ, डॉ रविंद्र प्रसाद, डॉ हिमांशु शेखर महाकुर, डॉ दीपक प्रसाद, प्रो सुनील मरांडी मौजूद रहे।

नियुक्ति का मामला उठाया

वहीं मंगलवार को विधानसभा के पटल पर ध्यानाकर्षण के दौरान कई विधायकों ने राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में स्थाई प्राध्यापकों की नियुक्ति का मामला उठाया। झामुमो विधायक प्रोफेसर स्टीफन मरांडी ने कहा कि 22 अंगीभूत महाविद्यालयों के बीएड विभागों में डेढ़ सौ करोड़ रुपए पड़े हैं। इसे सरकार इसको संज्ञान में लेना चाहिए। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने भी मामला उठाया।

निर्देश का मामला उठाया

सत्र में शिक्षा पर चर्चा के दौरान प्रोफेसर स्टीफन मरांडी ने अंगीभूत महाविद्यालयों में संचालित बीएड पाठ्यक्रम के संचालन में बरती जाने वाली अनियमितता एवं स्थाई शिक्षकों की बहाली एनसीटीई के द्वारा निर्देश के अनुपालन करने संबंधी प्रश्न उठाया, जिस पर विधायक प्रदीप यादव ने सदन में ध्यानाकर्षण करते हुए कहा कि राज्य सरकार एनसीटीई से मान्यता बहाल करने को लेकर 15 जुलाई 2015 में उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा जो हलफनामा भेजी गई थी उसका अनुपालन अभी तक 7 वर्षों में नहीं हो पाया है। विदित हो कि उच्च शिक्षा निदेशक ने 21 अक्टूबर 2015 तक 22 अंगीभूत कॉलेजों में स्थाई शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों की कमियों को दूर करने का आश्वासन दिया था जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।