रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स में इलाज की क्या स्थिति है, इसका अंदाजा गुरुवार को हुए 'हादसे' से लगाया जा सकता है। दरअसल, एक चार साल की बच्ची माही को बुधवार की शाम रिम्स में भर्ती कराया गया था। उसके सिर पर गंभीर चोट लगी थी। बीती शाम 5 बजे से लेकर गुरुवार की सुबह सात बजे तक बच्ची तड़पतड़ी रही, लेकिन रिम्स में किसी डॉक्टर ने उसे नहीं देखा। अंत में बच्ची ने सुबह 7 बजे दम तोड़ दिया।

बाइक सवार ने रौंदा था

चतरा के मयूरहंड में चार साल की माही को घर के बाहर ही एक बाइक सवार ने रौंद दिया था। घटना 29 सितंबर की शाम चार बजे घटी थी। परिजनों ने माही को हजारीबाग स्थित आरोग्यम अस्पताल में भर्ती कराया था। वहीं इलाज के साथ ही सीटी स्कैन भी हुआ, लेकिन हालत नहीं सुधरी। बुधवार को दिन में एक बजे आरोग्यम के डॉक्टरों ने बच्ची को रिम्स ले जाने की सलाह दी। किसी प्रकार परिजन बच्ची को रिम्स ले आए।

सिर्फ स्लाइन चढ़ाकर की खानापूर्ति

शाम चार बजे बच्ची को रिम्स में इमरजेंसी के डॉक्टरों ने देखा और न्यूरो वार्ड में भर्ती कर दिया। इसके बाद बच्ची को नर्सों ने स्लाइन चढ़ाकर अपनी ओर से खानापूर्ति कर दी। रात भर परिजन डॉक्टर को बुलाने की गुजारिश करते रहे, लेकिन कोई डॉक्टर देखने नहीं आया। अंत में बच्ची ने सुबह सात बच्चे दम तोड़ दिया।

हैदराबाद में काम करते हैं पिता

माही के पिता बजरंगी ठाकुर हैदराबाद स्थित एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। उन्हें जब पता चला कि बच्ची हादसे का शिकार हुई है, तो उन्होंने अपनी कंपनी से उन्हें वापस रांची भेजने का आग्रह किया। कंपनी वालों ने एयर टिकट कटाकर उन्हें रांची भेजा। बुधवार को दिन में वे रांची आए और बच्ची का इलाज कराने में जुट गए। माही के चाचा राजकुमार ठाकुर ने बताया कि मां संजू देवी का बुरा हाल है। मौत के बाद रिम्स में ही पोस्टमार्टम हुआ। इसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। पिता और अन्य सदस्य शव लेकर चतरा चले गए। वहां शुक्रवार की सुबह अंतिम संस्कार होगा। इस बीच माही को बाइक से रौंदने वाला शख्स गिरफ्तार किया जा चुका है।

परिजन उठा रहे हैं सवाल

परिजनों का कहना है कि राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल की व्यवस्था ऐसी है, तो लोग आखिर जान बचाने के लिए कहां जाएंगे। अगर सही समय पर बच्ची का इलाज हुआ होता, तो हो सकता है कि आज माही जिंदा होती।