RANCHI: अगर आप भी रिम्स में इलाज के लिए जा रहे हैं और मरीज के लिए एंबुलेंस की जरूरत है तो एंबुलेंस वाले जो चार्ज मांग रहे हैं, वो देना होगा। कोई आना-काना करने पर आपको मनपसंद एंबुलेंस नहीं मिल पाएगी। लेकिन रिम्स की एंबुलेंस लेने के लिए आपको नाको चने चबाने पड़ेंगे। वहीं आपको सीनियर अधिकारियों से पैरवी भी लगानी होगी। लेकिन कुछ दिनों से मरीजों को एंबुलेंस ऑफिस से बैरंग लौटाया जा रहा है। वहीं परिजनों की इस मजबूरी का फायदा प्राइवेट एंबुलेंस वाले उठा रहे हैं। जिससे कि लोगों की जेब कट रही है। इसके बावजूद प्रबंधन मरीजों को सरकारी दर पर एंबुलेंस उपलब्ध कराने को लेकर गंभीर नहीं है। बता दें कि बीपीएल मरीजों को रिम्स से एंबुलेंस सेवा फ्री में देने का प्रावधान है।

सरकारी दर वाली एंबुलेंस खराब

रिम्स में मरीजों को घर ले जाने के लिए सरकारी दर पर एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाती थी। वहीं बुकिंग चार्ज भी मात्र 150 रुपए था। लेकिन विभाग की अनदेखी के कारण गाडि़यों की स्थिति खराब होती गई। आज स्थिति यह है कि मामूली मेंटेनेंस के अभाव में ही गाडि़यां खड़ी हो गई हैं। इसका खामियाजा मरीजों के परिजन भुगत रहे हैं।

दो कोर्डियक एंबुलेंस चालू, दो कबाड़

हॉस्पिटल में चार कार्डियक एंबुलेंस हैं, जिसमें से दो एंबुलेंस चालू हालत में है। ये दोनों ही एंबुलेंस वीआईपी मूवमेंट के टाइम पर निकलते हैं। इसके बाद दोनों को लाकर खड़ा कर दिया जाता है। बाकी दो एंबुलेंस शेड में खड़ी-खड़ी कबाड़ होने को है। ऐसे में खाली समय में मरीजों को इस एंबुलेंस की भी सुविधा मिल सकती थी। इसके बावजूद आजतक कार्डियक एंबुलेंस का रेट फिक्स नहीं हो पाया। जबकि डायरेक्टर ने आने के बाद सभी एंबुलेंस को बाहर निकालकर स्टेटस चेक किया था। वहीं रेट भी तय करने की बात कही थी।

पावरग्रिड की एंबुलेंस कभी-कभी

पावर ग्रिड ने रिम्स प्रबंधन को दो बड़ी एंबुलेंस गिफ्ट की है। बेसिक एंबुलेंस होने के बावजूद न तो इसका रेट तय किया जा सका और न ही इसकी सुविधा मरीजों को मिल पाती। स्पेशल मरीजों को या पैरवी वाले मरीजों को इसमें भेजा जाता है। बाकी समय में इसका इस्तेमाल सामान ढोने के लिए भी किया जाता है।

प्राइवेट एंबुलेंस वाले उठा रहे लाभ

हॉस्पिटल की एंबुलेंस के खराब होने और मरीजों को नहीं मिलने का फायदा प्राइवेट एंबुलेंस वाले उठा रहे हैं। जहां ये लोग मरीजों से मनमाना रेट वसूल रहे हैं। वहीं दस किलोमीटर के लिए मिनिमम 700 रुपए किराया फिक्स कर दिया है। इसके अलावा 50-100 किलोमीटर के लिए अलग रेट है। जबकि 100 किलोमीटर से अधिक दूर जाने की स्थिति में रेट बदल जाता है। इतना ही नहीं, 200 किलोमीटर से अधिक दूरी जाने पर प्रति किलोमीटर का किराया लागू होगा। इससे साफ है कि मरीजों को लूटने का पूरा इंतजाम प्राइवेट एंबुलेंस वालों ने कर रखा है।

केस-1

दिलीप कुमार के पिता रिम्स में एडमिट हैं। उनकी तबीयत में सुधार नहीं होता देख कहीं और ले जाने के लिए एंबुलेंस लेने पहुंचे। लेकिन एंबुलेंस रूम में पहुंचते ही कहा गया है कि एंबुलेंस नहीं मिलेगाी। प्राइवेट में जाकर बात कर लो।

केस-2

रागिनी देवी की बेटी जल गई थी। वह इलाज कराने के बाद घर जाने को एंबुलेंस लेने पहुंची। उन्हें बताया गया कि प्राइवेट में जाकर एंबुलेंस लेनी होगी। इस पर उन्होंने पैसे देने में असमर्थता जताई।