रांची (ब्यूरो): इसी क्रम में मनातु कैंपस में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। रविवार को इसकी शुरुआत प्रभात फेरी से हुई। सीयूजे के वीसी प्रो क्षिति भूषण दास के नेतृत्व में विश्वविद्यायल के सभी कर्मचारी, शिक्षक, छात्र व ग्रामीणों ने प्रभात फेरी में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। सभी ने हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता की जय का उद्घोष किया। इसके बाद वीसी ने एनएसएस कैंप के तहत आयोजित सात दिवसीय कार्यक्रम का भी समापन किया।

स्कूल बैैग बांटे

वीसी ने गांव के सैकड़ों स्कूली ब'चों के बीच स्कूल बैग व अध्ययन सामग्री वितरण किया। इस दौरान एनएसएस के संयोजक डॉ सुभाष बैठा के साथ पूरी टीम मौजूद थी। वीसी के हाथों स्कूल बैग पाकर ग्रामीण ब'चे काफी उत्साहित नजर आए। इस दौरान वीसी ने कहा कि राष्ट्र के प्रति समर्पण और राष्ट्रभक्ति की भावना सभी के बीच जागृत रहनी चाहिए। ऐसे कार्यक्रम से लोगों में देश के प्रति समर्पण का भाव बढ़ता है। देश की आजादी के समय भी लोगों के मन में देशभक्ति की भावना थी। तो फिर देश का विभाजन कैसे हुआ? आखिर कौन सी ऐसी राजनीतिक मजबूरी उस वक्त रही होगी इस पर भी विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व में अग्रणी देशों की कतार में है। उसके बाद भी देश के भीतर ही कुछ देश विरोधी ताकतें भी सक्रिय नजर आती हैं, जिन्हें परास्त करने के लिए सभी में राष्ट्रभक्ति की भावना जगाए रखने की आवश्यक्ता है। इन ब'चों में देश के प्रति जुनून आज जो देखने को मिल रहा है इसे हमेशा बनाए रखने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन बहुत जरूरी है। राष्ट्र के प्रति समपर्ण से बड़ा को सेवा नहीं होता, ये बोध हर व्यक्ति को कराना होगा, इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम को लेकर गजब का उत्साह सभी में देखने को मिल रहा है।

7500 पैधे लगाए

कार्यक्रम के अंत में सीयूजे कैंपस में एनएसएस व ग्रो ग्रिन लायंस क्लब की ओर से 7500 पौधे लगाए गए। प्लांटेशन की शरुआत वीसी ने की। इसमें पूरे विश्वविद्यालय के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इसके बाद वीसी ने गांव में जाकर घर-घर तिरंगा अभियान के तहत लोगों के घरों में उन्होंने तिरंगा लगाया। इस दौरान गांव के मुखिया व अन्य ग्रामीण भी मौजूद रहे।

इनका रहा योगदान

कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो एके पाढी, एनएसएस के संयोजक डॉ सुभाष बैठा, सह संयोजक डॉ प्रज्ञा शुक्ला, प्रोग्राम ऑफिसर डॉ विजय कुमार यादव, डॉ उपेंद्र, डॉ राम किशोर, डॉ सुशांत, डॉ राजेश कुमार, डॉ भूपेंद्र, डॉ रवींद्रनाथ शर्मा और डॉ रजनीकांत पांडेय ने अहम भूमिका निभाई।