रांची(ब्यूरो)। पब्लिक एसेट्स बर्बाद करने में सभी डिपार्टमेंट अपनी-अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। करोड़ो रुपए की संपत्ति को कंडम बनाने की दिशा में हर सरकारी ऑफिस का योगदान है। सिर्फ खुद की खरीदी गई संपत्ति ही नहीं, बल्कि आम लोगों के जब्त वाहनों को भी जलाने-सड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। राजधानी रांची के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में रखे जब्त वाहन सालों से जंग खा रहे हैं। जब्ती के समय वाहन का कुछ वैल्यू था, लेकिन आज इसकी कीमत कौडिय़ों के भाव भी नहीं बची है। यह किसी एक पुलिस स्टेशन की कहानी नहीं है, बल्कि रांची के सभी थाना, यातायात थाना और टीओपी में कंडम वाहनों का पहाड़ खड़ा है। आलम यह है कि अब इन स्थानों में गाडिय़ों को रखने की जगह तक नहीं बची। इसके अलावा पुलिस को उपयोग के लिए दी गई बाइक और पीसीआर वैन को भी कबाड़ बना दिया गया है।

पुलिस स्टेशन में सड़ रहे वाहन

रांची के हर थाने में बड़ी संख्या में जब्त वाहन सालों से खड़े हैं, जिससे थाने की खूबसूरती और साफ-सफाई पर भी असर पड़ता है। इन कबाड़ वाहनों की वजह से राजधानी का पुलिस स्टेशन थाना कम कबाड़खाना अधिक नजर आता है। सदर, कोतवाली, सुखदेव नगर, लोअर बाजार, हिंदपीढ़ी समेत सभी थानों की तस्वीर एक जैसी ही है। थानों को स्मार्ट बनाने के लिए कई पहल की गई है। कुछ पुलिस स्टेशन को अलग रूप दिया गया है, लेकिन यहां भी कंडम वाहन इसकी खूबसूरती को फीका कर रहे हैं। सिर्फ टू व्हीलर ही नहीं, बल्कि ऑटो, कार एवं बड़े वाहन भी पुलिस स्टेशन में खुलेआम सड़ाए जा रहे हैं।

न कोई लेने आया न ऑक्शन हुआ

रांची के पुलिस स्टेशन में चोरी, छिनतई, मर्डर समेत दूसरे आपराधिक मामलों में जब्त वाहनों की ढेर लग चुकी है। न तो इन वाहनों को इनके मालिकों ने छुड़वाने का प्रयास किया और न ही कोर्ट ने ही इन वाहनों काऑक्शन कराने में दिलचस्पी दिखाई। यहां पड़ी गाडिय़ां भी पुलिस वालों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। थाना प्रभारियों का कहना है कि जबतक कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा वाहनों की नीलामी नहीं कराई जा सकती है।

6000 से अधिक जब्त वाहन

राजधानी के 47 पुलिस स्टेशन में करीब छह हजार से भी अधिक जब्त वाहन पड़े हुए हैं। इनमें आधे से अधिक कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं। इनमें कई ऐसे वाहन हैं, जिन्हें लेने वाहन मालिक इसलिए थाने नहीं पहुंचे, क्योंकि काफी दिन होने पर उन्होंने उसका क्लेम इंश्योरेंस से ले लिया था। थानों में पड़े अधिकतर वाहन ऐसे ही हैं, जो चोरी होने के बाद लंबा समय होने के बाद क्लेम में चले गए। अब ये गाडिय़ां परेशानी का सबब भी बन रही हैं। हाल ही में लालपुर थाना में जब्त वाहनों में भीषण आग लग गई थी, इसकी चपेट में आकर कई गाडिय़ां जल कर स्वाहा हो गईं। समय रहते इन वाहनों की नीलामी कर दी जाती तो इसका उपयोग हो सकता था, साथ ही सरकार को भी रेवेन्यू मिल जाता। वहीं पुलिस स्टेशन स्मार्ट बनाने की दिशा में भी एक बेहतर पहल होती।

पेट्रोलिंग वैन भी कंडम

रांची पुलिस को पेट्रोलिंग के लिए बाइक और पीसीआर वाहन दिए गए थे। ये गाडिय़ां भी कंडम हालत में पुलिस लाइन में पड़ी हुई हैं। करोड़ो रुपए की संपत्ति को पुलिस विभाग की लापरवाही ने सड़ा दिया। इनके रखरखाव और मेनटेनेंस के अभाव की वजह से 40 से ज्यादा बाइक और करीब एक दर्जन पीसीआर वाहन कंडम हो चुके हैं। इसके पीछे विभाग की लापरवाही स्पष्ट नजर आती है। मामूली खराबी होने के बावजूद वाहनों की रिपेयरिंग कराने के बजाय इसे सडऩे के लिए छोड़ दिया गया। लेकिन सवाल तो यह है कि इन वाहनों को दुरुस्त कराने की जहमत कौन उठाए, यह तो पब्लिक प्रॉपर्टी है। यदि यही वाहन निजी होते तो इन गाडिय़ों को भी संभाल कर रखा जाता।

दो करोड़ की पीसीआर वैन भी कबाड़

बाइक के अलावा लगभग दो करोड़ की 12 पीसीआर भी यहां अंतिम सांस ले रही हैं। क्राइम कंट्रोल के लिए छह साल पहले करीब ढाई करोड़ रुपए खर्च करके 12 पीसीआर वैन और 40 बाइक की खरीदारी की गई थी। इन गाडिय़ों को सिर्फ छह साल में ही कबाड़ बना दिया गया, जो पीसीआर चल रही हैं वह भी दिनोंदिन डैमेज होती जा रही हैैं। कहीं भी चलती-चलती बंद हो जाती हैं।

क्या कहती है पब्लिक

पब्लिक प्रॉपर्टी की खरीदारी पब्लिक के ही टैक्स के पैसे से होती है। इन एसेट्स को संभाल कर रखना चाहिए। लेकिन कोई अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन नहीं करता।

राजन

मामूली खराबी में भी गाडिय़ों को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है, और नई गाड़ी खरीद ली जाती है। सरकारी स्तर पर पब्लिक एसेट्स हमेशा बर्बाद की जाती रही है।

संतोष

वाहनों के नीलामी की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही थाने से सभी वाहन हटा दिए जाएंगे। वहीं, खराब वाहनों के बारे में हेड क्वार्टर को जानकारी दी गई है।

-किशोर कौशल, एसएसपी, रांची