RANCHI: जख्मी महिला नक्सली लालमुनी कुमारी को श्वान दस्ते की आफरीन ने खोज निकाला था। उसे पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के जमीन पर गिरे ब्लड को सुंघाया गया था। इसी आधार पर खोह में छिपी महिला नक्सली लालमुनी को खोजने में आफरीन को कोई परेशानी नहीं हुई। आफरीन को इस काम के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरीय सुरक्षा सलाहकार(नक्सल)के विजय कुमार ने शुक्रवार को सीआरपीएफ कैंट में सम्मानित किया। आफरीन बेल्जियम शेफर्ड है, जिसके हैंडलर राजेश कुमार डोगरा 11वीं बटालियन में पोस्टेड हैं। आफरीन के बारे में उन्होंने बताया कि वह सीआरपीएफ के अभियान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जिसे सीआरपीएफ नहीं खोज पाती है, उसे आफरीन पलक झपकते ही खोज निकालती है।

बंगलुरू के तरालू में मिलती है ट्रेनिंग

सीआरपीएफ के आइजी आरके मिश्रा ने बताया कि आफरीन, रूआल्डो समेत ऐसे कई डॉग्स हैं, जिन्हें बंगलुरू के तरालू में ट्रेनिंग दी जाती है। प्रशिक्षण पाकर इन डॉग्स को नक्सल उन्मूलन के कसम में लगाया जाता है। बताया जाता है कि सीआरपीएफ के हर बटालियन में आठ से दस डॉग्स हैं, जो नक्सलियों की धर-पकड, आईईडी (बम)आदि बरामद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नक्सलियोंके लिए चुनौती बनी आफरीन

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व चेयरमैन लोहरदगा के ठाकुर बालमुकुंद शाहदेव के दो भाईयों और एक भतीजे की नक्सलियों द्वारा हत्या के बाद जब लोहरदगा और लातेहार पुलिस ने संयुक्त रूप से छापेमारी अभियान चलाया, तो उसमें सीआरपीएफ की मदद ली गई। इस काम में सीआरपीएफ ने 11 वीं बटालियन की तेज तर्रार आफरीन को लगाया। टीम घटनास्थल पर पहुंची और आफरीन को कुछ जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए, जिसका पालन करते हुए आफरीन उन नक्सलियों तक पहुंच गई, जो सीआरपीएफ और पुलिस की नजर से ओझल हो गए थे। आफरीन खोह में छिपी एक महिला नक्सली को देख अपने चिर-परिचित अंदाज में आवाज लगाने लगी। इस पर लालमुनी ने वहां से भागने का प्रयास किया, लेकिन आफरीन ने उसे तब तक भागने का मौका नहीं दिया, जब तक की उसकी टीम के सारे अधिकारी वहां पहुंच नहीं गए।

21 मार्च को हुई थी शाहदेव परिवार की हत्या

गौरतलब हो कि 21 मार्च को प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के सशस्त्र दस्ते ने पिकनिक मनाने गए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष के दो भाई और एक भतीजे की जन अदालत लगाकर हत्या कर दी गई थी। इनमें लाल किशोर नाथ शाहदेव, लाल जयकिशोर नाथ शाहदेव और लाल प्रमोद नाथ शाहदेव शामिल थे। इस मामले में सीआरपीएफ ने दो नक्सलियों को इनकाउंटर में भी मार गिराया था।

केंद्रीय सलाहकार ने जवानों को दिए मेडल

केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरीय सुरक्षा सलाहकार(नक्सल)के विजय कुमार ने शुक्रवार को सीआरपीएफ कैंप में नक्सल मामले में बेहतर काम करनेवाले कमांडेंट कमलेश सिंह, कमांडेंट पी मनोज कुमार, एएसपी ऑपरेशन मनीष भारती, मिथिलेश कुमार, उपेंद्र प्रताप सिंह, लखन लाल मीणा, माणिक माहेश्वरी, सुग्रीव कुमार सिंह, सरफदर कदम, पंकज कुमार, वीडी कमालकार, मुकेश कुमार गुर्जर, आर पंडित कुमार, राजेश कुमार डोगरा, जेपी गुप्ता, आफरीन और रूडोल्फ को सम्मानित किया।

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झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ में अच्छी तालमेल: कुमार

नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन के बाबत के विजय कुमार ने कहा कि राज्य में स्पिलंटर ग्रुप काफी ज्यादा हैं, इन्हें तोड़ने के लिए सीआरपीएफ की टीम को लगाया गया है। झारखंड में सबसे अधिक नक्सली ऑपरेशन चल रहे हैं। आनेवाले समय में भी कार्रवाई होती रहेगी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के बीच अच्छी तालमेल है। इसी की बदौलत हम लोग नक्सलियों पर काबू पा रहे हैं, जो अच्छी बात है।

अबतक मिली है कई कायमाबी (पास्ट हिस्ट्री)

-ऑपरेशन एनाकोंडा के दौरान स्निफर डॉग ने इंपॉर्टेट रोल अदा किया था। उनकी घ्रांण शक्ति का ही कमाला था कि भारी मात्रा में सारंडा के जंगलों में आईईडी और अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक की बरामदगी हुई थी।

-25 जून 2011 को सोनापी एवं हतनाबुरू के बीच चार 15 किलो वजनी आईईडी 197 बटालियन के काजल नाम स्निफर डॉग ने डिटेक्ट कर अपने दल को जान माल के भारी नुकसान से बचाया था।

-30 जनवरी, 2012 को जेराईकेला थाना क्षेत्र में 60 बटालियन के स्निफर डॉग नंदू ने 25 किलोग्राम के भारी भरकम आईईडी बम को बेहद अहम मौके पर बरामद कर सीआरपीएफ को सफलता दिलवाई थी। यह सफलता इसलिए भी जरूरी थी कि उस वक्त केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश दौरे पर आनेवाले थे और यह आईईडी उनके कार्यक्रम स्थल से महज दो किलोमीटर दूर प्लांट की गई थी।

-पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी थाना क्षेत्र में गोहला व कनियालुका के बीच 193 बटालियन के स्निफर डॉग हमर ने भी अपनी उपयोगिता सिद्व करते हुए दस किलोग्राम का एक आईईडी रिकवर कराया था।

लेब्राडोर की जगह बेल्जियम शेफर्ड ने ली जगह (बॉक्स)

सारंडा में बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के कुत्तों की कामयाबी के बाद ऑपरेशन्स थिंक टैंक सीआरपीएफ के डीआईजी भानु प्रताप सिंह ने लेब्राडोर कुत्तों की जगह बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के कुत्तों को शामिल किया। सीआरपीएफ की विभिन्न बटालियनों में स्निफर डॉग खास तौर पर प्रशिक्षित किए गए हैं।