रांची: राजधानी में बैंक वाले इन दिनों परेशान हैं। इनकी परेशानी है कि जमीन का पेपर ऑनलाइन अपडेट नहीं होने के कारण वो नए लोगों को लोन नहीं दे पा रहे हैं। दूसरी परेशानी है कि जिन लोगों को लोन दे दिया, अब कागज सही नहीं होने के कारण लोन की वसूली भी नहीं कर पा रहे हैं। पिछले सप्ताह स्टेट लेवल बैंकर्स कमिटी की बैठक राज्य के विकास आयुक्त केके खंडेलवाल के साथ हुई थी, जिसमे बैंकिंग अधिकारियों ने अपनी परेशानी बताई। बताया कि भूमि राजस्व विभाग द्वारा जमीन का कागज ऑनलाइन अपडेट नहीं रहने के कारण वो जमीन के सही नेचर और मालिक का पता नहीं लगा पा रहे हैं।

फर्जी डीड पर 1.44 करोड़ लोन

रांची के पंजाब नेशनल बैंक की अरगोड़ा शाखा से फ र्जी डीड के जरिए 1.44 करोड़ रुपए लोन ले लिया गया है। गबन का आरोप दो व्यवसायी अश्विनी शर्मा और मनोज कुमार पर लगाते हुए एफआइआर दर्ज कराई गई है। दोनों व्यवसायियों ने व्यवसाय बढ़ाने के नाम पर बैंक से फर्जी डीड के जरिए लोन लिया था। इसके बाद न तो किस्त जमा कर रहे हैं और न नोटिस का ही जवाब दे रहे हैं। यहां तक कि कार्यालय बंदकर दोनों फरार हो गए हैं। इसके बाद पीएनबी की अरगोड़ा शाखा के मुख्य प्रबंधक राकेश कुमार ने अरगोड़ा थाने में दोनों आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि दोनों आरोपितों ने बैंक को धोखा देने और पब्लिक मनी हड़पने की नियत से लोन लिया था। अदायगी नहीं की। शाखा प्रबंधक की ओर से दिए गए आवेदन में कहा गया है कि कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया निवासी अश्विनी शर्मा और उसकी मां राधा देवी ने मेसर्स श्रीनिवास आटोमोबाइल के व्यापार को बढ़ाने के लिए 2016 में पीएनबी से 1.06 करोड़ रुपये लोन लिया था।

फर्जी पेपर दे दिया बैंक को

लोन के आवेदन के साथ दोनों ने अपनी एक जमीन की लीज डीड संख्या 12686 बैंक में जमा की थी। इसी आधार पर बैंक ने दोनों को लोन दिया। 2018 में राधा देवी की मौत के बाद लोन अश्रि्वनी शर्मा और मनोज कुमार के नाम पर ट्रांसफ र कर दिया गया। इस एग्रीमेंट पर दोनों ने हस्ताक्षर भी किए। दोनों पर कुल ब्याज को मिलाकर कुल 1.44 करोड़ रुपये बकाया हो चुका है।

ऑनलाइन विभाग का दावा फेल

राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा यह दावा किया जाता है कि उसने सभी भू राजस्व अभिलेख जो जमीन से जुड़े हैं, उनकी जानकारियां ऑनलाइन कर दी गई हैं। इधर बैंकों का कहना है कि जमीन से जुड़ी जानकारी ऑनलाइन नहीं होने के कारण उन्हें परेशानी हो रही है। जो डाटा है, वो अपडेट नहीं होने के कारण उनको जमीन की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। इस कारण उन्हें दो तरह की परेशानी हो रही है। एक परेशानी तो यह है कि वो जमीन के बदले जो लोन देते हैं, वो लोन नहीं दे पा रहे हैं। दूसरी परेशानी यह है कि जिन लोगों को लोन दिया है उनमें से कुछ लोगों ने जमीन की गलत जानकारी दे दी है।

रिकवरी में भारी परेशानी

बैंक अधिकारियों ने सरकार के समक्ष अपनी परेशानी को बतायी। कहा कि जमीन के दस्तावेज डिजिटल नहीं होने और अपडेट नहीं होने के कारण जमीन की सही जानकारी बैंकों को नहीं पता चल पा रही है। कुछ लोगों ने बैंकों के साथ धोखाधड़ी भी कर दी है। वो जमीन का गलत कागज जमा कर दिए हैं और बैंक से लोन ले लिया अब बैंक को पैसा लौटा नहीं पा रहे हैं। बैंक में जिस जमीन को मार्गेज करके पैसा दिया था, जब उसकी जांच की गई तो पता चला कि उस जमीन के कागजात सही नहीं हैं।

अब लैंड पजेशन सर्टिफि केट देंगे

विकास आयुक्त केके खंडेलवाल ने बैंकिंग अधिकारियों को आश्वस्त किया कि अब लोन देने के लिए अंचल अधिकारी सीओ द्वारा लोन आवेदन कर्ता के नाम से जमीन के हिस्से का प्रमाण पत्र लैंड पजेशन सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि उस जमीन का सही मालिक कौन है।

क्या है सरकार का दावा

जमीन का दस्तावेज डिजिटल हो चुका है राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार झारखंड में करीब 264 अंचल की जमीन का डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो गया है। इन अंचल में ऑनलाइन म्यूटेशन भी जारी किया जा रहा है। इनमें से 228 अंचल में ऑनलाइन लगान भी जारी किया जा रहा है।