रांची (ब्यूरो) । होली रंगों का त्योहार है। खुशियां मनाने का अवसर है। लेकिन, मार्केट में जिस तरह से खाने पीने के सामानों से लेकर अबीर-गुलाल तक नकली बिक रहे हैं। ये कहीं ना कहीं आपके रंग में भंग डाल सकते हैं। ऐसे में होली की खुशियां खूब मनाइए। जमकर अबीर-गुलाल उड़ाइए, लेकिन नकली सामानों से जरा बचके। होली 8 मार्च को है, ऐसे में खरीदारी का आज आखिरी मौका है और नकली सामानों से बचने का भी।

मिलावटखोर एक्टिव

फेस्टिवल में मिलावटखोर भी एक्टिव हो जाते हैं। खाने-पीने से लेकर रंग-गुलाल में भी मिलावट की जाती है। जो सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। थोड़े से मुनाफे के चक्कर में मिलावटखोर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर बैठते हैं। लेकिन हैरानी की बात तो यह कि जिन के ऊपर मिलावटखोरों पर नकेल कसने और मिलावट की जांच करने की जिम्मेवारी है वे भी लापरवाह बने बैठे हैं। रंगों के त्योहार में सिर्फ एक दिन शेष है लेकिन अबतक किसी भी खाद्य सामग्री की जांच के लिए सैंपल तक कलेक्ट नहीं किए गए। जिसका नतीजा है कि बाजार में खुलेआम नकली सामानों की बिक्री हो रही है। खाने के तेल से लेकर, मावा, मिठाई, मसाले से लेकर रंग-गुलाल सभी में मिलावट देखी जा रही है।

मावा व खोवा में मिलावट

होली के मौके पर मावा की काफी डिमांड रहती है। नकली मावा और पनीर खपाने के लिए मिलावटखोर माफिया सक्रिय हो गए हैं। जो क्षेत्र में शकरकंद, आलू, मैदा, फिटकरी और घटिया रिफाइन से तैयार मावा-खोवा की सप्लाई शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में कर रहे हैं। ब्रांडेड व बड़ी मिठाई दुकानदारों की मानें तो जिले के आसपास के ग्रामीण इलाकों के अलावा झारखंड, बंगाल व बिहार से भी यहां नकली मावा-खोवा की आपूर्ति की जा रही है। पर्व त्योहार में यहां मिलावट के सौदागरों का धंधा और दायरा दोनों बढ़ जाता है। होली को लेकर बाजारों में एकाएक मावा व खोवा की मांग बढऩे से बड़े पैमाने पर मिलावटी मावा खपाने की तैयारी है। नकली मावा में दूध की मात्रा ना के बराबर होती है। शकरकंद, आलू, मैदा, फिटकरी, घटिया किस्म की सॉलिड मिल्क, टेलकम पाउडर, चाक, सफेद केमिकल और घटिया रिफाइन से इसे तैयार किया जाता है, जो काफी कम लागत में तैयार हो जाता है।

ऐसे करें असली खोवा की पहचान

मावा या खोवा को अपने अंगूठे के नाखून पर रगड़ें। असली होगा तो घी की महक आएगी और खुशबू देर तक रहेगी। खोवा की हथेली पर गोली बनाएं। फटने लग जाए तो समझिए नकली है या फिर इसमें मिलावट है। दो ग्राम मावा का पांच मिली लीटर गरम पानी में घोल बनाकर ठंडा कर लें। इसके बाद आयोडीन साल्यूशन डालें। रंग नीला हो जाए तो मावा नकली है। मावे में चीनी डालकर गर्म करने पर यदि पानी छोडऩे लगे तो मावा नकली है। विश्वसनीय दुकान से मावा खरीदें, खोवा असली है तो वो चिपचिपा नहीं होगा।

मिलावटी मसालों से भी बचें

पर्व-त्योहार के मौके पर मसाले की खपत को देखते हुए इसमें भी मिलावट होने लगी है। मिलावट खोर मिर्च में रंग, चाक मिट्टी पाउडर, मिर्च के डंठल, बीज मिलाकर आकर्षक पैकिंग कर बाजारों में सप्लाई कर देते हैं। वहीं हल्दी में भी चाक पाउडर मिलाया जाता है। जबकि धनिया के पाउडर में पत्तियां समेत गोबर तक मिला दिया जाता है। इसकी कीमत कम होने से बिक्री अधिक होती है। डॉक्टर के अनुसार, मिलावटी मसाले का सेवन करने से कई तरह की जानलेवा बीमारी हो सकती है।

नकली खाद्य तेल भी हो रही सप्लाई

बाजार में नकली खाद्य तेल विभिन्न प्रचलित ब्रांडों के नकली रैपर में बिक रहे हैं, जिसे आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है। बाजार में सरसों का तेल, रिफाइंड, वनस्पति, घी से लेकर अन्य नकली सामान का स्टॉक कर लिया गया है। नकली सामान के रैपर इस सफाई से तैयार किए गए हैं कि असली भी मात खा जाए। नकली सामान के सौदागरों ने रांची के आउटर साइड और रूरल एरिया के बाजारों को इसे खपाने के लिए चुना है क्योंकि यहां कोई इसके प्रति गंभीर नहीं है। विश्वसनीय और अपने परिचित की दुकानों से ही खाने-पीने के सामानों की खरीदारी करें।