रांची (ब्यूरो) । शनिवार को रांची के कवि, शायर हिमकर श्याम की साहित्यिक यात्रा पर गूंज अभिव्यक्ति दिल की, शतदल रेडियो और रेडियो प्लेबैक इंडिया के संयुक्त तत्वावधान एक ऑनलाइन गोष्ठी संपन्न हुई। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुंबई की प्रॉडकास्टर प्रज्ञा मिश्रा ने कहा कि हिमकर श्याम को जानकर और उनके साहित्य से रूबरू होकर कौन है जो प्रभावित हुए बिना रह सका है। उनके दोहों का पाठ भी किया। रेडिंग, यूके के गायक सुनील स्वरूप ने हिमकर श्याम की गजलों 'सामने आप मेरी रहा कीजिएÓ और 'वक्त की बेरुखी उलझा हैÓ की शानदार प्रस्तुति दी।

रचनाधर्मिता बेहद प्रभावी

वक्ताओं ने कहा कि हिमकर की रचनाधर्मिता प्रभावी और प्रेरक है। कैंसर जैसी बीमारी से जूझते हुए भी सकारात्मक सोच, दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण के साथ सृजनशील हैं। उन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं। बक्सर के कवि, समीक्षक लक्ष्मीकांत मुकुल ने कहा कि हिमकर श्याम की कविताएँ महामृत्युंजयी बोध की कविताएं हैं। अपने को सार्थक मनुष्य बनाने और दुनिया को सर्वथा जीवंत, गतिशील और उदार बनाए रखने को संकल्पित। ये कविताएं संजीवनी का कार्य करती हैं।

कविताओं का हुआ पाठ

पत्रकारिता में हिमकर श्याम की सहपाठी रही दिल्ली की कवयित्री निवेदिता मिश्रा और चेन्नई की लेखिका कंचन अपराजिता ने कॉलेज के दिनों के कई अनुभव साझा किए। उनकी गजलों एवं कविताओं का पाठ किया। निवेदिता ने कहा कि हमारा एक ग्रुप था और हिमकर का घर हमारा साहित्यिक अड्डा। गूंज के संचालक, कवि मुकेश सिन्हा ने युद्धरत हूं मैं कविता का भावपूर्ण पाठ करते हुए कहा कि इस कविता को पढऩे से यह पता चलता है कि इस किताब का भी नाम युद्धरत हूं मैं क्यों हैं। हिमकर श्याम ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी रचनाधर्मिता और जीवन से जुड़े संघर्षों को साझा किया।