रांची (ब्यूरो)। रांची में स्वास्थ्य विभाग ने भी सभी बच्चों को टीका लगाने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद राजधानी में अब तक 10 प्रतिशत से भी कम बच्चों ने एंटी कोरोना वैक्सीन की सेकेंड डोज ली है। रांची में बच्चों का वैक्सीनेशन जारी है पर इसकी रफ्तार बेहद धीमी है। ऐसे में कोरोना से जंग में कितने सफल होंगे इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

देर होने से कम होगा लाभ

पीडियाट्रिक डॉ प्रतीक सिन्हा बताते हैं बच्चों का टीका लगाने के लिए पहले और दूसरे डोज के समय का जो अंतर होता है, उससे अधिक होने पर टीका का असर भी कम होता है। दोनों डोज का टीका समय पर लगवाने से ही कोरोना से जंग में सुरक्षा मिलती है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वह समय पर अपने बच्चों को वैक्सीन की दोनों डोज जरूर लगाएं। उन्होंने बताया कि वैक्सीनेशन बच्चों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।

मार्च से हुई थी शुरुआत

झारखंड में 12 से 14 साल के ब'चों के लिए कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत मार्च में की गई थी। राजधानी रांची में इसकी शुरुआत सदर अस्पताल की गई थी। एक महीना से अधिक होने को है अधिकांश ब'चों ने सेकेंड डोज का टीका लिया है। रांची जिले में 2,11,138 ब'चों को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा गया है। टीके की दो खुराक दी जानी है जो 28 दिन के अंतराल पर दिया जा सकता है। झारखंड में करीब 24 लाख ब'चों को कोरोना से बचाव के लिए टीका देने की तैयारी है।

बूस्टर डोज का इंतजार

60 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को बूस्टर डोज लेने की घोषणा की गई है। पहले बूस्टर डोज 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के बीमार व्यक्ति को ही दिया जाता था, जो अब 60 वर्ष के ऊपर के सभी व्यक्ति के लिए उपलब्ध है।