रांची (ब्यूरो) । एक तो कड़ाके की ठंड और ऊपर से फर्स पर इलाज। जी हां, एक तरफ जहां बढ़ती सर्दी ने मरीजों की संख्या बढ़ा दी है वहीं दूसरी ओर रिम्स जैसे अस्पताल में भी इलाज कराने आए मरीजों को सुविधा नहीं मिलना बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। आलम यह है कि हॉस्पिटल के सभी बेड फुल हो गए हैं मरीजों का गैलरी में इलाज चल रहा है, लेकिन वहां भी ना गद्दा नसीब हो रहा है और ना कंबल। ऐसे में मरीजों के साथ-साथ उनके अटेंडेंट्स भी काफी परेशान हो रहे हैं। लेकिन, इससे रिम्स प्रबंधन को कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। तभी तो मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। मरीज एक चादर बिछाकर गैलरी में ठंड से कांप रहे हैं।
परिजनों को बीमारी का डर
बगल में ही उनके परिजन भी इसी तरह बैठे रहते हैं। परिजनों ने बताया कि मरीजों का इलाज कराने आए हैं लेकिन हालत देख ऐसा लगता है कि कहीं खुद भी न बीमार न पड़ जाएं। गुमला से अपने बेटे का इलाज कराने आई सुषमा कुमारी ने बताया कि दो दिन से बच्चे को इसी तरह फर्स पर लिटाए हुए हैं। न गद्दा और न ही कंबल दिया गया है। घर से लाए कंबल को जमीन पर बिछा कर बच्चे को लेटा कर रखे हुए हैं। बार-बार कर्मचारियों से गद्दा और कंबल मांगने पर भी नहीं दिया जा रहा है। ऐसे ही और भी कई मरीज है जिन्हें गद्दा और कंबल नहीं दिया गया है।
क्रिटिकल केयर में नो बेड
रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के सभी 20 बेड फुल हो गए हैं। चिंता की बात यह है कि इसमें भर्ती मरीजों में 70 फीसदी वेंटिलेटर पर हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है। आठ मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज की समस्याएं है। वहीं, पांच से छह मरीजों को सांस की समस्या है। इसके अलावा छह मरीजों में कुछ को निमोनिया तो किसी को मल्टी आर्गन की समस्या है। सबसे ज्यादा बुजुर्ग मरीजों की समस्या बढऩे पर भर्ती करना पड़ रहा है। क्रिटिकल केयर विभाग में पिछले 15 दिनों में बेड की डिमांड बढ़ गई है। पहले तीन से चार मरीजों कोभर्ती करने के लिए बेड की डिमांड आती थी, लेकिन अभी सात से आठ मरीजों के लिए परिजन बेड की मांग लेकर आ रहे हैं।
न्यूरो की गैलरी में मरीज
न्यूरो वार्ड के बाहर सभी गैलेरी में मरीजों की कतार लगी है। वार्ड के अंदर और बाहर सभी जगह फर्स पर मरीजों को लेटा कर इलाज कराया जा रहा है। जो यह साबित करता है की किस कदर रिम्स में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। इधर, मेडिसीन विभाग की भी सभी यूनिट के बेड फुल हो चुके हैं और मरीज जमीन पर इलाज कराने को विवश हैं। इन मरीजों में ज्यादा सर्दी और बुखार से पीडि़त हैं। मरीजों में बच्चों की संख्या भी अधिक है। रिम्स के रजिस्टे्रशन काउंटर के अनुसार मेडिसीन ओपीडी में इन दिनों डेली करीब 250 मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें करीब 100 मरीज मौसमी बीमारी या ठंड से पीडि़त हैं।
ब्रेन स्ट्रोक का बढ़ा खतरा
एक्सपर्ट डॉक्टर्स की मानें तो ठंड में बीपी अनकंट्रोल हो जाता है, इसलिए ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। इस मौसम सेहत को लेकर थोड़ी ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। समय-समय पर बीपी-शुगर की भी जांच करानी चाहिए। इसके अलावा अस्थमा और सीओपीडी वाले मरीजों को सांस लेने में भी दिक्कत आ सकती है। इसलिए हर उम्र्र के लोगों को इस मौसम में ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। बच्चों में भी ठंड का असर देखा जा रहा है। बच्चों में इन दिनों खांसी, जुकाम, अस्थमा रोग और हृदय की बीमारी की शिकायत बढ़ी है। मौसम में होने वाले बदलाव को देखते हुए बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी विशेष देखभाल की जरूरत है।
क्या कहते हैं मरीजों के परिजन
बेटे के सिर में चोट लगी है। इलाज तो हुआ है, लेकिन बच्चे को लिटाने के लिए गद्दा और कंबल नहीं मिला है। हमलोग गुमला से आए हैं। यहां बहुत परेशानी हो रही है। शौचालय भी बंद कर दिया गया है। पानी के लिए भी दिक्कत हो रही है।

- सुषमा कुमारी

मरीजों की संख्या बढऩे से बेड फुल होना स्वाभाविक है। लेकिन फर्स पर भी इलाज के लिए सुविधा मिलनी चाहिए। कम से कम गद्दा और कंबल तो जरूर देना चाहिए। शौचालय और पानी की भी सुविधा होनी चाहिए।
- कल्पना देवी


ठंड को देखते हुए रिम्स में पर्याप्त कंबल मंगाया गया है। करीब दो हजार और कंबल की व्यवस्था कर दी गई है। परिजन कंबल बैंक से कंबल प्राप्त कर सकते हैं। जिन मरीजों को लगता है, उन्हें ज्यादा कंबल की जरूरत है, वे प्रबंधन से इसकी मांग कर सकते हैं। उन्हें उपलब्ध करा दिया जाएगा।
डॉ। राजीव रंजन, पीआरओ, रिम्स