रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची में नशीला पदार्थ गांजे की तस्करी करने का ट्रेंड बदल गया है। गिरोह ने काम करने का तरीका बदल दिया है। तस्कर इस काम के लिए बेरोजगार लड़के-लड़कियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। नौजवानों को डिलीवरी ब्वाय की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। मोटी रकम के लालच में युवा गांजा, ब्राउन शुगर समेत अन्य नशीले सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए सहज ही तैयार हो जाते हैं। सिटी में तस्करों ने सप्लाई का नया तरीका ढूंढ निकाला है। हालांकि, पुलिस भी तस्करों के पीछे पड़ी हुई है। लेकिन अलग-अलग तरीकों से तस्कर नशीला पदार्थ अपने कस्टमर तक पहुंचाने में सफल हो रहे हैं। एक या दो तस्कर अरेस्ट होता, लेकिन गिरोह के दूसरे सदस्य इस काम को जारी रखते हैं। गांजा तस्कर बाइक और स्कूटी पर डिलीवरी ब्वॉय बन बैग में गांजा रखकर तस्करी करने लगे हैं। इस काम में शामिल लड़कियां स्कूटी की डिक्की में रखकर इसकी सप्लाई कर रही हैं।

लड़के-लड़कियां बन रहे शिकार

राजधानी समेत पूरे राच्य में गांजा और ब्राउन शुगर की तस्करी पर लगाम लगा पाना पुलिस के लिए चुनौती बनती जा रही है। ओडि़शा का गांजा झारखंड के कई शहरों से होते हुए बिहार, यूपी के शहरों में पहुंच रहा है। एनसीबी और रांची पुलिस की टीम ने हाल के दिनो में कई बडे खेप पकडे है। साथ ही शहर में इसकी सप्लाई करने वाले लड़के-लड़कियां भी पुलिस के हाथ लगे है। लेकिन उनसे पुलिस कुछ खास जानकारी नहीं निकलवा पा रही है। दरअसल सिटी में सप्लाई करने वाले लड़के-लड़कियों का कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड नह्रीं रहता, जिस कारण ये लोग आसानी से बाहर भी आ जाते है। जेल से रिहा होते ही फिर एक बार उसी काम में लग जाते है। इन लड़के-लड़कियों को डिलीवरी ब्वाय के रुप में काम लिया जाता है। एक सप्लाई के बदले दो से आठ सौ रुपए तक कमिशन दिया जाता है। एक दिन में पांच सप्लाई होने पर अच्छी-खासी रकम कमा लेते है।

बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी

तस्कर ब्राउन शुगर के अलावा गांजा, नशीली दवाओं व इंजेक्शन से पूरी नस्ल बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। शहर में कई संगठित गिरोह सक्रिय हैं। एक गिरोह हर माह युवक-युवतियों को लत लगवाकर करीब 10 लाख रुपए तक की काली कमाई कर रहा है। इस काम में कई अंतरराच्यीय गिरोह भी सक्रिय हैं। इनमें महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ती जा रही है। लगातार एक के बाद एक कई लड़कियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। लेकिन इसके बाद भी लड़कियों की भागीदारी इस काम में कम नहीं हो रही है। तस्करों के लिए लड़कियों से सप्लाई कराना आसान होता है। पुलिस जल्दी न तो किसी लड़की पर शक करती है और न ही उनकी जांच-पड़ताल की जाती है। लड़कियां भी पैसे के लालच में इस काम को करने के लिए तैयार हो जा रही हैं।

200 से 2000 तक की पुडिय़ा

सिटी में ब्राउन शुगर की डिमांड बढ़ती जा रही है। गांजा, इंजेक्शन लेने वाले भी कम नहीं हैं। गली-गली में नशे की पुडिय़ा पहुंचने लगी है। दो सौ से दो हजार रुपए तक की पुडिय़ा बनाकर अलग-अलग स्थानों पर भेजी जा रही है। इस काम में सोशल मीडिया तस्करों और सप्लायरों का भरपूर साथ दे रहा है। डिमांड से लेकर पेमेंट तक सभी ऑनलाइन मोड पर हो जाता है। सिर्फ जाकर जगह पर सामान पहुंचाना होता है। शहर के हॉस्टल-लॉज में रहने वाले युवा तस्करों के निशाने पर रहते हैं, क्योंकि घर से मिली पॉकेट मनी से वे इसकी खरीदारी करते हैं। तस्कर सीधे खरीदार को सप्लाई नहीं करते हैं, पूरी नेटवर्किंग होती है।

शहर में चलने वाले नशाखोरी के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाएगा। टीम बनाकर अलग-अलग इलाकों में छापेमारी कराई जाएगी।

-राजकुमार मेहता, सिटी एसपी, रांची