-रिम्स स्थित दाल-भात केंद्र में सरकारी आदेश को ठेंगा

-महिला की बजाय पुरुष काम कर रहे दाल-भात केंद्र में

-चावल कम, दाल में बस पानी ही पानी

-सब्जी खाने लायक नहीं, एक अंडा के लिए 10 रुपए की वसूली

RANCHI (23 Dec): चावल तो इतना कम था कि पेट ही न भरे। दाल में बस पानी ही पानी। मजबूरी में एक अंडा की सब्जी लेकर खाई तो अलग से क्0 रुपए ले लिया। काहे का मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्र? कहां खिला रहे भरपेट खाना? यह कहना है रिम्स के पास स्थित दाल-भात केंद्र में खाना खाकर निकली मालो देवी का। कुछ ऐसा ही कहना है वहीं से निकले बालेश्वर साव व मोतीलाल का भी। दरअसल, कोई भूखा न रहे। इसलिए भ् रुपए में भरपेट खाना खिलाने के लिए झारखंड सरकार की ओर से जगह-जगह मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्र खोले गए हैं। लेकिन, इनके संचालक इस दाल-भात योजना की आड़ में अपना बिजनेस चला रहे हैं।

चावल कम और पनियल दाल

मोतीलाल कहते हैं कि यहां रोज सैकड़ों लोग खाना खाने आते हैं। लेकिन, संचालक की ओर से किसी भी व्यक्ति को सही खाना नहीं खिलाया जा रहा है। दोबारा चावल लेना पड़ता है। दाल में दाल तो नजर ही नहीं आती, जैसे गर्म पानी में हल्दी डाल दी हो। बालेश्वर साव कहते हैं कि सब्जी की क्वालिटी ऐसी की खा ही नहीं पाएं। मजबूरी में अंडा खाना पड़ता है, तो संचालक मनमानी रकम वसूल रहे हैं। क्या करें कोई चारा भी तो नहीं है। इतना ही नहीं, महिला के बदले यहां पुरुष से काम करवाया जा रहा है।

क्या कहते हैं लोग

चावल कम दिया जा रहा है। हमलोग तो अभी रोज खाने के लिए आते है। वहीं दाल में पानी ज्यादा नजर आता है। सब्जी की क्वालिटी भी अच्छी नहीं रहती है। मजबूरी में अंडा लेकर खाना पड़ता है।

वालेश्वर साव

खाना तो आज भी कम दिया गया। एक व्यक्ति ने आकर जब इसके बारे में पूछताछ की तो संचालक ने थोड़ा और चावल लाकर दिया। लेकिन यहां की व्यवस्था पूरी तरह से खराब है। दाल में दाल तो नजर ही नहीं आता है।

मोती लाल

चावल तो इतना कम था कि पेट ही न भरे। दाल में तो बस पानी ही पानी। मजबूरी में हमलोग तो दस रुपए देकर अंडा लेकर खाना खाया है। यहां के संचालकों को तो कम से कम ऐसा नहीं करना चाहिए।

मालो देवी

क्या कहते हैं संचालक

काम करने वाली दो महिलाओं ने छुट्टी मांगी थी। इसलिए उसकी जगह पर दो पुरुष काम संभाल रहे थे। और जहां तक खाने की क्वालिटी की बात है तो उसमें सुधार कराई जाएगी। इसके अलावा लोगों की मांग थी, इसलिए अंडे की सब्जी दी जाती है। इसमें हमारा कोई बिजनेस नहीं है।

-ममता गुप्ता, संचालक, दाल-भात योजना केंद्र, रिम्स