रांची (ब्यूरो)। संकाय संवर्धन कार्यक्रम में शनिवार को पहले सत्र में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा प्रबंधक सोनम कटारुका ने भारत की अर्थव्यवस्था और अर्थव्यवस्था प्रबंधन नीति विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बहुत कठिन रहे हैं। संक्रमण की लहरों, आपूर्ति श्रृंखला में रूकावटें और हाल ही में वैश्विक मुद्रास्फिीति ने विशेषतौर पर नीति निर्धारण के कार्य को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इन चुनौतियों का सामना करते हुए भारत सरकार ने 'बार्बेल रणनीति अपनाई, जो समाज के कमजोर वर्गों और कारोबारी क्षेत्र पर पडऩे वाले प्रभावों के लिए सुरक्षा जाल का सम्मिश्रण है।

पूंजीगत व्यय में वृद्धि की

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को संधारणीय दीर्घकालिक विस्तार के लिए अर्थव्यवस्था को तैयार करने के लिए मीडियम-टर्म डिमांड उत्पन्न करने तथा साथ ही साथ आपूर्ति संबंधी उपायों को प्रबलता से लागू करने के लिए अवसंरचना से संबंधित पूंजीगत व्यय में महत्वपूर्ण वृद्धि की गई.पिछले दो वर्षों में सरकार ने उद्योग, सेवा, वैश्विक रूझानों, व्यापक स्थिरता, संकेतकों और सार्वजनिक तथा निजी स्रोतों दोनों की कई अन्य गतिविधियों सहित उच्च आवृत्ति संकेतकों से लाभ उठाया है, ताकि अर्थव्यवस्था की स्थिति का वास्तविक आधार पर आंकलन किया जा सके।

कदम उठाने में मदद की

इन एचएफआई ने भारत और दुनिया के ज्यादातर देशों में नीति निर्धारण की परम्परागत पद्धति-वाटरफॉल फ्रेेमवर्क की पूर्व परिभाषित प्रतिक्रियाओं के स्थान पर नीति निर्माताओं को उभरती स्थितियों के मुताबिक कदम उठाने में सहायता की है। दूसरे सत्र में रांची हाईकोर्ट की अधिवक्ता खुशबू कटारुका ने भारतीय संविधान और मानवाधिकार विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि संविधान मौलिक अधिकारों के रूप में उन मूल अधिकारों के रक्षक के रूप में कार्य करता है। मौलिक अधिकारों पर अधिक बल दिया गया है और वे कानून की अदालत में सीधे लागू हैं। मानवाधिकार एक प्रकार की स्वतंत्रता है जो कस्टम या अंतर्राष्ट्रीय समझौते द्वारा गठित होती है जो सभी राष्ट्रों पर आचरण के मानकों को लागू करती है। यह नागरिक स्वतंत्रता से अलग हो सकता है, जो किसी विशेष राज्य के कानून द्वारा गठित स्वतंत्रता का प्रकार है और उस राज्य या राष्ट्र द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में लागू किया जाता है।