रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में जल्दी ही कचरे को बायोगैस के रूप में बदलने का प्रोसेस शुरू होगा। इस दिशा में नगर निगम की ओर से पहल शुरू कर दी गई है। नवनियुक्त नगर आयुक्त शशि रंजन ने इसका निरीक्षण कर जल्द से जल्द इस पर काम शुरू करने का आदेश जारी किया है। पहले लेबल का काम शुरू हो चुका है। प्लांट बनाने का काम गेल इंडिया लिमिटेड को दिया गया है। राजधानी को साफ और स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से इस प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। गिले कचरे की प्रोसेसिंग कर उससे कंप्रेस्ड बायोगैस का प्रोडक्शन किया जाएगा। उक्त स्थान पर फिलहाल एप्रोच रोड का निर्माण किया जाना है, ताकि संसाधन ले जाने में कोई अडचन न आए। एप्रोच रोड बनाने का काम वृजेंद्र प्रताप सिंह कंपनी को दिया गया है। बरसात बाद रोड कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हो जाएगा।

झिरी में बनेंगे दो प्लांट

बायोगैस उत्पादन के लिए झिरी में ही दो प्लांट लगाए जाएंगे। इसके लिए आठ एकड़ जमीन गेल इंडिया लिमिटेड को उपलब्ध करा दी गई है। रांची में रोज 300 टन ऑर्गेनिक कचरा की प्रोसेसिंग कर करीब 10 टन कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए दो प्लांट लगाए जाएंगे, जिनकी कैपिसिटी 150-150 टन की होगी। फस्र्ट लेबल में पहले प्लांट का काम पूरा करने को कहा गया है। 28.19 करोड़ की लागत से प्लांट तैयार किया जाएगा। वहीं नगर निगम की ओर से प्लांट के आस-पास एप्रोच रोड, गार्डवॉल और रोड साइड नाली का निर्माण किया जाएगा। जिसके लिए करीब तीन करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

मिलेगी लोगों राहत

झिरी में बन गए कचरे के पहाड़ से आस-पास के लोगों को परेशानी हो रही है। यहां रहने वाले लोगों की हमेशा शिकायत रहती है कि कचरे की वजह से घर बच्चे, बड़े-बुजुर्ग सभी बीमार पड़ते रहते हैं, लेकिन नगर निगम और गेल इंडिया के सहयोग अब लोगों को कचरे के पहाड़ से राहत मिलने वाली है। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद कचरे के पहाड़ से राहत तो मिलेगा ही, साथ ही शहर भी सुंदर और स्वच्छ बनेगा। इसके अलावा रांची नगर निगम द्वारा कचरे को डंप करने में हो रहे सालाना करीब 81 करोड़ रुपए की भी बचत होगी।

सात साल हो रही है कोशिश

झिरी में पिछले सात साल से प्लांट लगाने के प्रयास किए जा रहे है, लेकिन अब तक के प्रयास हवा-हवाई ही साबित हुए हैैं। बायोगैस प्रोडक्शन प्लांट को लेकर सिर्फ कागजी काम और स्थल दौरा ही हुआ है। इससे पहले भी झिरी में अलग-अलग प्रोजेक्ट आते रहे हैं। साल 2011 में झिरी में कचरे से बिजली पैदा करने की योजना बनाई गई थी। इसके बाद 2015 में झिरी में प्लांट लगाने के लिए नगर निगम ने एग्रीमेंट किया। मगर यह कंपनी भी प्लांट बनाने की दिशा में कोई काम नहीं कर पाई। कचरे से रोड और ईंट निर्माण पर भी योजना बन चुकी है। फिलहाल आग्र्रेनिक कचरे से कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने पर काम चल रहा है। इसके लिए बीते साल गेल इंडिया कंपनी के साथ एमओयू हुआ है। दो साल में प्लांट तैयार करने का लक्ष्य है।

कंप्रेस्ड बायोगैस प्रोडक्शन प्लांट लगाने की दिशा में पहल तेज हुई है। जल्द से जल्द एप्रोच रोड बनाने का निर्देश दिया गया है।

-शशि रंजन, नगर आयुक्त, आरएमसी