रांची (ब्यूरो)। रांची यूनिवर्सिटी की ओर से एचआरडीसी सभागार में आयोजित संकाय संवर्धन कार्यक्रम में मंगलवार को पहले सेशन में न्यूज चैनल एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन ने भारतीय पत्रकारिता और मानवाधिकार पर लेक्चर दिया$ उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के विषय में मीडिया एक सूचनापरक राय देने में सहायता करता है$ बदलते समय एवं तकनीकों के साथ पल भर में लोगों के पास पहुंचने की एक व्यापक शक्ति एवं संरचना सहित मीडिया के उत्तरदायित्व एवं कत्र्तव्य समाज के प्रति अनेक प्रकार से बढ़ गए हैं$ मानव अधिकारों के विषय में जनजागरुकता उत्पन्न करने की दिशा में अपनी भूमिका के निर्वहन में मीडियाकर्मियों को मानव अधिकारों के विभिन्न मुद्दों के विषय में पूर्ण रूप से ज्ञान होने की आवश्यकता है ताकि जब उनका दैनिक जीवन में किसी भी प्रकार के मानव अधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं का सामना हो तो वे लोगों को उसके विषय में जागरुक कर सकें$

टीचर के गुणों पर लेक्चर

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में रांची वीमेंस कॉलेज के हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रज्ञा गुप्ता ने शिक्षा का महत्व और शिक्षक के गुण विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक का उत्तरदायित्व है कि छात्रों का शैक्षिक एवं चारित्रिक विकास करे, कक्षा का प्रबन्ध एवं समुचित शिक्षण देना, छात्रों के कार्यों का मूल्यांकन करना,पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का संचालन करना, छात्रों का व्यावसायिक विकास करना, सामाजिकता एवं नागरिकता की शिक्षा देना है।

भावनात्मक स्थिति से अभिव्यक्ति

तीसरे सत्र में मनोविज्ञान विभाग रांची यूनिवर्सिटी की प्राध्यापिका डॉ रोजलीना सिंह ने भावना और परामर्श विषय पर व्याख्यान दिया$ उन्होंने कहा कि संवेदनात्मक अनुभव संवेदन चेतन उत्पन्न करने की अत्यंत प्रारम्भिक स्थिति है$ अपनी भावनात्मक स्थिति के परिणामस्वरूप अक्सर लोग कई तरह की अभिव्यक्तियां करते हैं, जैसे रोना, लडऩा या घृणा करना। यदि कोई बिना कोई संबंधित अभिव्यक्ति के भावना प्रकट करे तो हम मान सकते हैं की भावनाओं के लिए अभिव्यक्ति की जरूरत नहीं है$ व्यक्ति अपनी निजी समस्याओं के समाधान के लिए परामर्श चाहता है$ व्यक्तिगत समस्या शारीरिक, मानसिक, व्यवसाय संबंधी तथा समाज संबंधी हो सकती है, जिसके लिए उसे परामर्शक की जरूरत होती है$

परामर्श पारस्परिक होता है

परामर्श पारस्परिक होता है$ इसका आधार परम्परा विश्वास है$ व्यक्ति परामर्श उसी से लेता है जिसमें उसका विश्वास होता है और यदि परामर्शक स'चा, ईमानदार और सन्निष्ठ है तो वह उसी व्यक्ति को परामर्श देता है जिसे वह समझता है कि वह परामर्श को स्वीकार करेगा और यथा सम्भव इसका पालन करेगा$ चौथे और अंतिम सत्र में धीरेंद्र कुमार रवि, करमी कुमारी मांझी तथा डॉ रवि कांत प्रसाद ने प्रशिक्षण प्रस्तुत किया$

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