रांची (ब्यूरो) । शुक्रवार को रिम्स शासी परिषद की बैठक आपसी विवाद व हंगामे के कारण आधे घंटे बाद ही स्थगित हो गई$ बैठक में जन सुविधाओं का जिक्र एजेंडे में नहीं होने के कारण सांसद संजय सेठ और विधायक समरी लाल ने सवाल उठाया। इन सदस्यों ने निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद की जमकर क्लास लगाई और उन्हें पहले जन सुविधाओं को दुरुस्त करने का निर्देश दिया, उसके बाद बैठक आयोजित करने को कहा$ जिसके बाद बैठक का विरोध होता देख स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सबसे पहले भौतिक निरीक्षण करने का फैसला लिया और सभी सदस्यों ने रिम्स ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण किया। जिसमें कई अनियमितताएं सामने आई, जिसके बाद मंत्री ने निदेशक को सुधारने का निर्देश देते हुए 26 मार्च को जीबी की बैठक रखने का निर्णय लिया है।

सीएमओ को तत्काल शोकाज

ट्रामा सेंटर निरीक्षण करने पहुंचे मंत्री ने यहां मरीजों को बेड में ना ही चादर और ना ही कंबल मिलता देख वहां मौजूद सीएमओ को तत्काल शोकाज करते हुए उसे सस्पेंड कर दिया$ इस बीच मरीजों ने शिकायत की कि उन्हें दवा भी बाहर से खरीद खिलाने पड़ रही है जिसके बाद सांसद ने निदेशक से सवाल किए और इस समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया।

कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर होनी थी चर्चा

रिम्स के निदेशक कार्यालय में शासी परिषद की बैठक का आयोजन किया गया था$ बैठक में शासी परिषद के अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री के साथ स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह,सांसद संजय सेठ,स्थानीय विधायक समरी लाल,रिम्स के निदेशक कामेश्वर प्रसाद,अधीक्षक हीरेन बिरुवा सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

शासी परिषद की 55वीं हुई बैठक में रिम्स के कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम, हॉस्पिटल पेशेंट केयर एलवांस को लेकर चर्चा होनी थी$ रिम्स में कार्यरत डॉक्टरों के द्वारा हो रही निजी प्रैक्टिस पर भी नकेल कसने को लेकर एजेंसियों के साथ चर्चा की जानी थी।

महत्वपूर्ण मुद्दा ओल्ड पेंशन स्कीम

हालांकि आज के एजेंडा में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा ओल्ड पेंशन स्कीम थी। रिम्स के सभी कर्मचारियों की नजर इस पर थी कि आज के गवर्निंग बॉडी की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री के नेतृत्व में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर क्या कुछ निर्णय लिए जाते, लेकिन बैठक स्थगित होने के बाद कर्मचारियों स्वास्थ्य कर्मचारियों में निराशा की झलक दिख रही है।

मालूम हो कि पिछले वर्ष अप्रैल में जीबी की बैठक आयोजित की गई थी। इसके बाद लगातार तीसरी बार यह बैठक स्थगित हुई और इस बीच बैठक आयोजित नहीं की गई। जिसमें संस्थान के विकास व मरीजों की सुविधाओं को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा पाया है।