रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची में बढ़ती आपराधिक वारदातों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से स्पेशल क्राइम इनवेस्टिगेशन एंड प्रोसिक्यूशन तक यूनिट गठन करने का निर्णय लिया गया है। इस यूनिट का दायित्व सिर्फ अपराधियों को पकडऩा ही नहीं, बल्कि उसे सजा दिलाने तक की होगी। सीआईडी की ओर से भेजे गए इस प्रस्ताव को मुख्यालय की ओर से हरी झंडी मिल गई है। इस यूनिट के तहत अलग-अलग जिलों में पदाधिकारियों की तैनाती की जाएगी, जो क्राइम इनवेस्टिगेशन एंड प्रोसिक्यूशन यूनिट के सभी कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे। सीआईपीयू यानी की क्राइम इनवेस्टिगेशन एंड प्रोसिक्यूशन यूनिट की कमान सीआईडी डीआईजी संभालेंगे। सीआईडी डीआईजी को सीआईडी एसपी, इनवेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल के डीएसपी व दो इंस्पेक्टर रिपोर्ट करेंगे। यह यूनिट पूरे स्टेट लेवल की होगी। हर जिले में अलग-अलग टीम काम करेगी। टीम का मुख्य काम आपराधिक वारदातों पर कंट्रोल करना और गैंगस्टर, क्रिमिनल्स एवं संगठित अपराधियों को पकडऩे और उन्हें सजा दिलाने तक होगी।

स्टेट टीम रखेगी नजर

सीआईपीयू की एक टीम स्टेट लेवल की होगी जो सभी जिला स्तरीय सीआईपीयू की मॉनिटरिंग करेगी। सीआईपीयू के कामकाज की मॉनिटरिंग व उसे समय-समय पर कांड से जुड़े सुझाव स्टेट लेवल की टीम देती रहेगी। जिला लेवल यूनिट को एसपी लीड करेंगे। जिला स्तर की टीम में डीएसपी मुख्यालय, स्पेशल इनवेस्टिगेटिव ऑफिसर, कोर्ट पदाधिकारी, जेल नोडल पदाधिकारी, कोर्ट नोडल पदाधिकारी और कोर्ट मालखाना पदाधिकारी होंगे। सभी अपनी रिपोर्ट एसपी को करेंगे। समय-समय पर इसकी समीक्षा भी की जाएगी। टीम के हर सदस्य की अलग जिम्मेवारी होगी। सिर्फ बाहर के अपराधी ही नहीं, बल्कि जेल के अपराधियों, उनके परिजनों और अपराधियों से मिलने आने वाले लोगों पर भी टीम नजर रखेगी। जरूरत पड़ी तो उनसे पूछताछ भी की जाएगी।

थाना में भी यूनिट के अधिकारी

अपराधियों की ग्राउंड जीरो तक इनर्फोमेशन इकट्ठा करने के लिए सभी थानों में भी पदाधिकारी तैनात किए जाएंगे। पुलिस स्टेशन में कोर्ट नोडल पदाधिकारी तैनात होंगे, जो थाना में कोर्ट से जुड़े सभी काम की निगरानी करेंगे। थानों में तैनात कोर्ट नोडल ऑफिसर जिले के कोर्ट ऑफिसर को रिपोर्ट करेंगे। कोर्ट ऑफिसर एसपी तक सभी सूचनाएं पहुंचाने का काम करेगा। क्राइम डेटा, क्रिमिनल की सभी जानकारी रिपोर्ट में होगी। वहीं अपराध के अनुसंधान और उस पर कंट्रोल करने के लिए जेल पदाधिकारी और मालखाना पदाधिकारी तैनात किए जाएंगे। वैसे कांड जिनके अनुसंधान में पुलिस को असफलता मिली हो उसकी फाइल भी यूनिट खोलेगी। साथ ही इसकी विफलता के पीछे के कारणों को भी पता लगाने का काम यूनिट का होगा। क्राइम से जुडे क्रिमिनल्स को जबतक सजा नहीं हो जाती तबतक यूनिट के ऑफिसर इसका अनुसंधान करते रहेंगे। यह पूरा मसौदा सीआईडी द्वारा तैयार किया गया है, जो जल्द ही धरातल पर नजर आएगा।

लंबे समय तक अनुसंधान

आए दिन किसी न किसी तरह की क्रिमिनल्स एक्टिविटी सामने आती रहती है। कुछ मामलों में पुलिस को कुछ घंटे में ही सफलता मिल जाती है। लेकिन अधिकतर मामले फाइलों में दबे रह जाते हैं। इन मामलों पर सालों अनुसंधान के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलता। सही दिशा में अनुसंधान नहीं होने या फिर किसी दूसरे कारणों की वजह से अनुसंधान पेंडिंग रह जाती है। ऐसे मामलों का जल्द निबटारा हो, इसी उद्देश्य के लिए यूनिट तैयार की जाएगी। खासकर मर्डर एवं दूसरे संगीन जुर्म के इनवेस्टिगेशन से लेकर प्रॉसिक्यूशन तक की जिम्मेवारी टीम के सभी सदस्यों की होगी। सीआईडी डीआईजी सभी जिलों की वारदातों पर पैरी नजर रखेंगे। राजधानी को अपराध मुक्त बनाने के लिए मुख्यालय की ओर इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई है। कुछ दिनों पहले हुई हाईलेवल मीटिंग में इस पूरे प्रोजेक्ट पर गहनता से विचार-विमर्श हुआ है। डीजीपी नीरज सिन्हा की ओर से इसके गठन संबधी आदेश जारी कर दिया गया है।