RANCHI: रिम्स में झारखंड के अलावा आसपास के राज्यों से भी इलाज के लिए लोग पहुंचते हैं। यहां गंभीर मरीजों का सीटी स्कैन भी किया जाता है। लेकिन हॉस्पिटल की सीटी स्कैन मशीन एक साल से अधिक समय से खराब पड़ी है। इस वजह से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। वहीं रेडियोलॉजी की पढ़ाई करने वाले मेडिकोज की ट्रेनिंग भी इससे प्रभावित हो रही है। पढ़ाई के साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में उनके रिजल्ट पर भी इफेक्ट पड़ेगा।

मरीजों को खामियाजा

हॉस्पिटल में एक्सीडेंट में घायल हुए गंभीर मरीज इलाज के लिए आते हैं। जिन्हें सीटी स्कैन कराने के लिए कैंपस में पीपीपी मोड पर चल रहे हेल्थमैप सेंटर में भेज दिया जाता है। इसके अलावा प्राइवेट के मरीज भी सस्ते दर पर सीटी स्कैन कराने के लिए वहीं पहुंचते हैं। इससे रिम्स के जेनरल मरीजों को नंबर लगाना पड़ता है। कई बार तो उन्हें वेटिंग लिस्ट भी मिल जाती है। ऐसे में जल्दी सीटी कराने के लिए लोग प्राइवेट सेंटर का रुख करते है। जिसमें तीन से चार गुना पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

बिना सीटी स्कैन जानें कैसे बनेंगे डॉक्टर

रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में पीजी स्टूडेंट्स ने रिम्स डायरेक्टर को पत्र लिखकर कहा था कि सीटी स्कैन मशीन 1 साल से खराब पड़ी है। ऐसे में बिना सीटी स्कैन की पढ़ाई और रिपोर्ट के ही वे लोग डॉक्टर बन रहे हैं। अगर यही स्थिति रही तो उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज कैसे मिल पाएगी। इसके बाद भी प्रबंधन ने मशीन को बनवाने में इंटरेस्ट नहीं दिखाया। जबकि इसके लिए टेंडर कुछ महीने पहले ही फाइनल किया जा चुका है।

हमलोगों ने नई मशीन के लिए टेंडर फाइनल कर दिया है। जल्दी ही दो मशीनें इंस्टाल हो जाएंगी। इसके बाद मरीजों को किसी तरह की परेशानी रिम्स में नहीं होगी। इमरजेंसी के मरीजों का ट्रामा सेंटर में सीटी स्कैन हो सकेगा। वहीं जेनरल मरीजों के लिए मेन बिल्डिंग में मशीन सुबह से शाम चालू रहेगी।

डॉ डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स