रांची (ब्यूरो) । आइसा के राज्य कार्यालय महेंद्र सिंह भवन में सीयूईटी के खिलाफ संयुक्त छात्र संगठन की बैठक हुई। बैठक की संचालन आइसा राज्य अध्यक्ष तरूण कुमार एवम राज्य सचिव त्रिलोकी नाथ ने किया। बैठक में एस्टेंट प्रोफेसर डॉ अरविंद कुमार, एआईडीएसओ के राज्य सचिव सोहन महतो, एनएसयूआई से रांची सचिव आशिक और आसिफ आजसू से सैलेश कुमार महतो, जेसीएस एस अली, एमएएसएफ सहबाज हसन, एसआईओ से माज बीन आजाद, जेसीकेपी इकबाल खान, आइसा से सम्मी, इमरान नजीर,सोनाली, श्रृष्ठि भट्टाचार्य, सहित अन्य नेता उपस्थित हुए।

माइग्रेट करते हैं स्टूडेंट

मौके पर छात्र संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि झारखंड के विश्विद्यालय में सीयूटीई की बाध्यता होने से छात्रों पर आर्थिक बोझ, उलझने, एवम गरीब दलित आदिवासी छात्रों को उ'च शिक्षा से दूर करेगी।

मालूम हो कि झारखंड पिछड़े रा'यों में से एक है.जहां पर 10वीं, 12वीं के बाद छात्र छात्राएं पलायन के लिए मजबूर होते हैं और स्नातक डिग्री या उ'च शिक्षा में अ'छी खासी संख्या में नामांकन नहीं ले पाते हैं। अगर सीयूईटी के माध्यम से विश्विद्यालय में नामांकन होगी तो उ'च शिक्षा में गरीब छात्रों की भागीदारी कम हो जायेगी।

आर्थिक बोझ बढ़ रहा

वक्ताओं ने कहा कि झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों में नामांकन आवेदन के लिए जो फीस लगती थी उससे कहीं अधिक सीयूईटी फॉर्म भरने में लग रहा है, जिससे छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। हर जिला में परीक्षा केंद्र नही होने से दूसरे शहरों में परीक्षा देना होगा जिससे छात्र छात्राओं को काफी परेशानी होगी खास कर ग्रामीण इलाकों के आने वाले छात्र छात्राओं को कैसे संभव है?

राज्य में 12वीं परीक्षा चल रही है छात्र छात्राएं मानसिक तनाव झेल रहे है ऐसे में अचानक से सीयूईटी का फॉर्म भराया जा रहा है.बहुत सारे छात्र छात्राएं इस सिलेबस से अनजान हैं.महीने भर में परीक्षा होगी.इतने कम समय में विद्यार्थी तैयारी कैसे करेंगे। इसके लिए बड़ी बड़ी कोचिंग संस्थान खुलेंगे और छात्रों से मोटी मोटी रकम वसूली जाएगी। ऐसे स्थिति में गरीब, पिछड़ा,सामाजिक आर्थिक कमजोर पृष्टभूमि से आने वाले छात्र कहां से ला पाएंगे?

इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी

राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर और इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है इसको बेहतर किए बिना सरकार सीयूईटी का फरमान क्यों और कैसे जारी कर सकती है? न्यू एजूकेशन पॉलिसी के तहत के तहत केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिए सीयूईटी अनिवार्य है ना कि राज्य के विश्वविधालय के लिए, नियमानुसार राज्य के विश्वविधालयों के लिए सीयूईटी ऐ'िछक है। राज्य सरकार को चाहिए कि विधानसभा में प्रस्ताव खारिज करने का प्रस्ताव पास कर झारखंड के विश्वविद्यालय में खारिज किया जाए।

प्रोवीसी से मिले स्टूडेंट

इसके बाद संयुक्त छात्र संगठनों के पदाधिकारी रांची विश्वविद्यालय में सीयूईटी खारिज करने की मांग को लेकर रांची के कुलपति से मिला।

उपरोक्त समस्याओं से अवगत कराते हुए संयुक्त छात्र संगठनों ने मांग कि सीयूईटी की बाध्यता खत्म कर पूर्व की तरह नामांकन लिया जाए।

अगर सीयूईटी की बाध्यता खत्म नहीं होगी तो छात्र छात्राएं आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। मौके पर आइसा राज्य सचिव त्रिलोकी नाथ, राज्य अध्यक्ष तरूण कुमार, जेसीएस के एस अली, आजसू से जमाल गद्दी, स्वतंत्र छात्र संगठन से अमनदीप मुंडा। आइसा से इमरान नजीर, सोनाली कुमारी सहित अन्य लोग मौजूद थे।