RANCHI: दस सालों से झारखंड पुलिस लगातार बदल रही है। एक तरफ जहां पुलिस को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ पुलिस टीम को तकनीकी और मशीनरी सिस्टम से परिपूर्ण करने का प्रयास जारी है। पुलिस टीम में एडवांस ट्रैकिंग सिस्टम के साथ साथ खतरनाक मारक हथियार शामिल किए गए हैं जो जंगल से लेकर शहर तक कानून व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए सक्षम हैं। राज्य पुलिस के पेट्रोलिंग के लिए पुरानी जर्जर हो चुकी जीप और जिप्सी को बदल दिया जा रहा है और उसके स्थान पर नई और आधुनिक गाडि़यां धूल उड़ाती हुई दुश्मनों के पीछे भाग रही हैं। पुलिस बदल रही है और सिस्टम सख्त होता जा रहा है। साइबर की वर्चुअल दुनिया से लेकर उग्रवादियों की चुनौतियों के मुकाबले के लिए पुलिस को तैयार किया जा रहा है। बदलते वक्त की जरूरतों के साथ झारखंड पुलिस के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूशंस के स्वरूप को भी बदला जा रहा है।

मारक हथियारों से लैस है खाकी

झारखंड पुलिस के हाथों में बुलगारिया मेड नहीं, बल्कि मेड इन इंडिया हथियार दिखाई देती है। इन हथियारों का वजन व मारक क्षमता उतना ही रहता है लेकिन इनकी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाता।

एडवांस पुलिस ट्रेनिंग सेंटर्स

नेशनल पुलिस अकादमी (एनपीए) हैदराबाद से भी अत्याधुनिक सुविधाओं से झारखंड पुलिस अकादमी (जेपीए) तैयार हो रही है। उग्रवादियों के खिलाफ जंग में पुलिस हरफनमौला बने इसके लिए लातेहार में मार्डन तरीके का जंगलवार फेयर स्कूल बनाया गया है। पदमा में पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण केंद्र का पूरा स्वरूप भी बदला है। झारखंड में पुलिस प्रशिक्षण के तीन बड़े संस्थानों जेपीए हजारीबाग, पीटीसी पदमा, जंगलवार फेयर स्कूल लातेहार पर तकरीबन 50 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

जंगललेन शूटिंग रेंज

जंगलवार फेयर लातेहार और पदमा हजारीबाग के प्रशिक्षण केंद्र में जंगललेन शूटिंग रेंज बनाया गया है। तकरीबन एक करोड़ की खर्च से बनने वाले जंगललेन शूटिंग रेंज की संरचना किसी जंगल और पहाड़ी इलाके सी तैयार की गयी है। यहां उग्रवादियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जा रही है। जंगल में होने वाली परेशानियों के बीच दुश्मनों से मुकाबला कैसे करें, इसके लिए जंगललेन शूटिंग रेंज तैयार किया गया है। जंगलवार फेयर स्कूल नेतरहाट में पहले से पुलिसकर्मियों को उग्रवादियों के खिलाफ छापामार युद्ध व जंगल में युद्ध के तौर तरीकों व कठिन परिस्थितियों में अधिक समय तक गुजर बसर की ट्रेनिंग दी जाती है।

लैपटॉप, गुगल मैप पर ट्रेनिंग

प्रशिक्षण केंद्रों में पुलिसकर्मियों के क्लासरूम को भी मार्डन बनाया गया है। पुलिसकर्मी अब पुराने ढर्रे के बेंच-डेस्क पर नहीं बैठ रहे। पुलिसकर्मियों के लिए डेस्क टेबल लगायी गयी है। प्रशिक्षक अब पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रोजेक्टर का सहारा ले रहे हैं। पावर प्वाइंट के जरिए पुलिसकर्मियों को वर्चुअल क्लासरूम में ट्रेनिंग दी जा रही है। लैपटॉप, गूगल मैप पर ही पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। साइबर लैबों में साइबर फोरेंसिक समेत अन्य विषयों की जानकारी दी जाएगी।

हथियार फैक्ट्री से करार

इन दस सालों में झारखंड पुलिस का तिरूची हथियार फैक्ट्री तिरुचिरापल्ली से एके-47, एके-56, पिस्टल, इंसास जैसे हथियारों को खरीदने का करार हो गया है। भारत सरकार की हथियार फैक्ट्री तिरूची (तिरुचिरापल्ली) के प्रतिनिधियों का डेमो देखने के बाद निर्णय लिया गया था कि झारखंड पुलिस के अफसर उक्त फैक्ट्री में जाएंगे और हथियारों की गुणवत्ता की जानकारी लेंगे। इसके बाद झारखंड पुलिस के तीन आइपीएस अधिकारियों व हथियार विशेषज्ञों ने तिरुची स्थित फैक्ट्री जाकर हथियारों का अध्ययन किया और झारखंड सरकार को हथियार खरीदने की हरी झंडी दी।

पुलिस पेट्रोलिंग में नई गाडि़यां

एक दशक पहले राज्य पुलिस के पास ना तो पर्याप्त वाहन थे ना ही उपलब्ध वाहनों की स्थिति ही ठीक थी। जर्जर हो चुकी जीप, जिप्सी से पेट्रोलिंग की जाती थी। लेकिन अब इन जर्जर गाडि़यों के स्थान पर एडवांस और नयी माडल की स्कार्पियो, सफारी, बोलेरो जैसी मजबूत गाडि़यां शामिल हो गयी हैं। संकरी गलियों के लिए बाइक दस्ता और सड़क पर इंटरसेप्टर भी एक्टिव हैं।

एडवांस कंट्रोल रूम सेटअप

राज्य पुलिस को एडवांस कंट्रोल रूम दिया गया है जहां से राज्य भर के पुलिस मुख्यालय आडियो वीडियो तकनीक से जोड़े जा चुके हैं। साइबर सेल जैसी तकनीकी उपलब्धियां लगातार हासिल हो रही हैं। इनके साथ साथ बुलेट प्रूफ जैकेट, नाइट विजन कैमरे भी टीम में शामिल किए गए।

लोकल थाना भी हाईटेक, महिला पुलिस बढ़ी

राजधानी समेत राज्य के सभी जिलों के थानों के भवन को हाईटेक बनाया जा रहा है। पुलिस के जवानों और अधिकारियों के रहने के लिए हर शहर में उच्च स्तरीय आवासों के निर्माण कराए गए हैं। सभी शहरों में महिला थाना बनाए गए हैं साथ ही महिला पुलिस को सशक्त किया जा रहा है।

फोर्स की संख्या-क्षमता में वृद्धि

इन दस सालों में कई सालों से लंबित मामलों का निपटारा किया गया। एक तरफ जहां डीएसपी से लेकर एसआई रैंक के अधिकारियों के लिए बहाली के रास्ते खोले गए वहीं 20000 से उपर जवानों को राज्य पुलिस में नौकरी मिली। राज्य पुलिस युवा जोश से सराबोर है और आने वाले समय में और भी सशक्त तरीके से काम करने की तैयारी में है।

कहां से कौन हथियार खरीद रही झारखंड पुलिस

-- एके-47, एके-56, पिस्टल व इंसास: इंडियन आर्डिनेंस फैक्ट्री, तिरूची, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु।

-- एसएलआर- भारतीय हथियार फैक्ट्री, इच्छापुर, पश्चिम बंगाल।

- एसएलआर व पिस्टल- भारतीय हथियार फैक्ट्री खड़की, पुणे।

- होमगार्ड के लिए ड्रैगोन लाइट, नाइट विजन और डे विजन जीपीएस और मेटल डिटेक्टर के साथ दो स्कार्पियों और दो बोलेरो।