रांची: राजधानी में भले ही ओपन यूरिनेशन पर रोक लगा दी गई है। वहीं खुले में जाने पर पुरुषों का तो चालान भी काट दिया जाता है। इसके बावजूद पुरुषों को नेचुरल कॉल आने पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन महिलाओं के लिए नेचुरल कॉल आना जैसे किसी मुसीबत से कम नहीं है। वहीं सिटी की कुछ सड़कों पर तो महिलाओं के लिए चलना भी आसान नहीं है। चूंकि इन रास्तों पर दूर-दूर तक महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं है। ऐसे में उन्हें लंबे समय तक नेचुरल कॉल को होल्ड करना पड़ता है, जिससे उन्हें कई तरह की समस्याएं भी होती हैं।

एक किमी चलने में छूट रहे पसीने

पूरे शहर में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। हर जगह बड़ी आबादी और मार्केट भी है। इसके बावजूद महिलाओं के लिए टॉयलेट मार्केट के पास नहीं है। और जो टॉयलेट है वह मार्केट से दूर तो ऐसे में महिलाओं को एक किलोमीटर से ज्यादा लंबा सफर तय करना पड़ेगा, तब वह टॉयलेट तक पहुंच पाएगी। तब तक नेचुरल कॉल के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

कांटाटोली-बहू बाजार

कांटाटोली से लेकर बहू बाजार तक का एरिया एक तरह से बस स्टैंड का ही माना जाता है। जहां पर हर दिन रांची के अलावा अन्य राज्यों के लिए लोग बस पकड़ने आते हैं, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल होती हैं। अब पूरे एरिया में डेढ़ किलोमीटर तक टॉयलेट नहीं है तो महिला टॉयलेट के बारे में सोचना बेकार है।

चर्च रोड

इस रोड में हर तरह के कपड़े, डेकोरेशन और बर्तन की दुकानें हैं। इसके अलावा जरूरी सामानों का भी बड़ा बाजार है। अब महिलाओं की भीड़ भी मार्केट में सबसे ज्यादा होती है। इस बीच नेचुरल कॉल आ जाए तो उन्हें लेडीज टॉयलेट ढूंढना पड़ता है। फिर भी उन्हें निराशा ही हाथ लगती है।

अपर बाजार हांडा मस्जिद रोड

राजधानी का सबसे बड़ा बाजार जहां पर करोड़ों रुपए का कारोबार एक दिन में होता है। जहां हर क्लास के लोग खरीदारी को आते हैं। अब इतना बड़ा मार्केट होने के बावजूद दूर-दूर तक कहीं भी टॉयलेट ही नहीं है। पुरुष तो कहीं भी हल्के हो जाते हैं पर महिलाओं को नेचुरल कॉल होल्ड करना पड़ता है। प्राइवेसी के अलावा हाइजीन भी उनके लिए नहीं है।

लालपुर

एजुकेशन हब के रूप में यह जगह फेमस है। गर्ल स्टूडेंट्स भी काफी आती हैं। वहीं कई बड़े मॉल भी इसी इलाके में पड़ते हैं। अब इतने बड़े एरिया पर एक पब्लिक टॉयलेट है, जिसमें एक पुरुष और एक महिला के लिए हैं। लेकिन वहां पर हमेशा ही गंदगी का आलम रहता है। ऐसे में महिलाएं यूज करने से बचती हैं। चूंकि इन्फेक्शन का डर उन्हें काफी होता है। वहीं पुरुष भी महिलाओं के टॉयलेट में चले जाते हैं।

रातू रोड

वीआईपी एरिया में बड़ा बाजार भी है। वहां पर पब्लिक टॉयलेट भी है। जिसमें महिलाओं के लिए एक टॉयलेट है। जबकि पुरुषों के लिए दो, महिलाओं वाला टॉयलेट का गेट सामने रोड की ओर खुलता है। वहीं, सफाई नहीं रहने के कारण उसमें जाने से पहले कई बार सोचती है। कई बार तो महिलाओं के टॉयलेट में पुरुष चले जाते हैं। इसके बाद महिलाएं उसमें जाने से बचती हैं।

क्या कहती हैं महिलाएं

रोड पर जब हम खरीदारी के लिए निकलती हैं तो कोई प्लान नहीं होता। इसलिए तैयारी घर से करके निकलते हैं। देर हो जाने पर रास्ते में नेचुरल कॉल आ जाए तो बहुत सारी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। यूरीन को रोकना पड़ता है जो कहीं न कहीं हमारी सेहत बिगाड़ सकता है। इसलिए महिलाओं के लिए हाइजेनिक टॉयलेट बनाया जाए।

एनी कोनगाड़ी

वर्किग होने के कारण हर दिन घर से बाहर निकलना होता है। अपने सेंटर पर तो टॉयलेट की व्यवस्था है। लेकिन रोड किनारे टॉयलेट काफी दूर है। इस चक्कर में नेचुरल काल को रोकना पड़ता है। डेली यूरीन रोकने से किडनी या ब्लाडर में इसका प्रभाव पड़ता है। महिलाओं के लिए टॉयलेट हर जगह हो तो सहूलियत होगी।

स्वस्तिका तरफदार

रोड साइड टॉयलेट नहीं होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हमलोग मार्केट तो निकलते हैं पर घर से ही तैयारी हो जाती है, जिससे कि लंबे समय तक वॉशरूम न जाना पड़े। लेकिन ज्यादा देर बाहर रहने और खानपान की वजह से कई बार नेचुरल काल आ जाती है, जिससे कि रोडसाइड में सोचना पड़ता है। इसके लिए साइन बोर्ड भी लगाने की जरूरत है।

अंबिका दास

मार्केट से लेकर रोड साइड हर जगह महिलाओं के लिए टॉयलेट होना चाहिए। वैसे तो महिलाओं को प्राइवेसी चाहिए होती है। लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को भी दिक्कत होती है। हमलोग तो काफी देर होल्ड करते हैं पर यह हर दिन ठीक नहीं है। अगर रोड साइड में टॉयलेट बनाकर बोर्ड लगा दिए जाएं तो बड़ी राहत मिलेगी। वहीं बीमारियों से भी बचेंगे।

पूजा रानी