रांची: भले ही सिटी हमारी स्मार्ट कैटेगरी में आ गई है। लेकिन आज भी महिलाओं को नेचुरल कॉल आने पर सोचना पड़ता है। ऐसे में जब महिलाएं मार्केट में खरीदारी के लिए जाती हैं तो उनके सामने बड़ी समस्या होती है कि कहां जाएं। जब मार्केट एसोसिएशन से दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने बात की तो ये बातें सामने आई कि उन्होंने जब मार्केट बनाया तो उस समय इस बारे में सोचा ही नहीं कि महिलाओं के लिए सेपरेट टॉयलेट होना चाहिए। और अब स्थिति यह है कि न तो इसके लिए अलग जगह है और न ही फंड। अगर बनाना भी चाहते हैं तो इसके लिए एसोसिएशन से अप्रूवल लेना होगा। इसलिए कभी इस ओर ध्यान ही नहीं गया।

चर्च कांप्लेक्स

हर दिन आती हैं महिलाएं - 4000

हर दिन का कारोबार - 2 करोड़ रुपए

चकाचक दिखने वाले इस मार्केट में 100 से अधिक दुकानें हैं, जिसके हिसाब से देखा जाए तो टॉयलेट की संख्या अच्छी होनी चाहिए। चूंकि हाइजीन हर किसी की जरूरत होती है। ख्रासकर महिलाओं के लिए गंदे टॉयलेट बीमारी का घर हो सकते हैं।

हमलोगों ने जब मार्केट बनाया तो उस समय यह कभी सोचा नहीं गया कि टॉयलेट अलग-अलग होने चाहिए। चूंकि जिन्हें दुकानें दी गईं सभी के पास अपने टॉयलेट हैं। लेकिन बाहर में कभी इस बारे में विचार भी नहीं आया। जगह भी थी लेकिन इसके लिए एसोसिएशन से अप्रूवल लेना पड़ता। इसलिए कभी ज्यादा हमलोगों ने नहीं सोचा।

-रोशनलाल भाटिया, अध्यक्ष, चर्च कांप्लेक्स एसोसिएशन

हरिओम टावर

हर दिन आती हैं महिलाएं - 3500-4000

हर दिन का कारोबार -45-50 लाख रुपए

टॉयलेट की व्यवस्था तो हर फ्लोर पर है। लेकिन प्राइवेसी को लेकर ध्यान नहीं रखा गया। सीढि़यों और लिफ्ट के पास थोड़ी सी जगह में टॉयलेट है, जहां पर जाने में महिलाएं संकोच करती हैं। अगर कहीं और टॉयलेट होता तो इस्तेमाल करने में दिक्कत नहीं होती।

हमारे कांप्लेक्स में जितना पहले टॉयलेट बनाया गया तो फिर नया बनाने को लेकर हमने नहीं सोचा। अब जितना है उसी से काम चल रहा है। इसके लिए हमारे पास जगह भी नहीं है तो दोबारा ख्याल भी नहीं आया। अब हमलोग टॉयलेट पर जाकर तो नहीं देखेंगे। फंड की भी दिक्कत नहीं है पर जगह अब नहीं बची।

-अजीत कुमार तिवारी, सेक्रेटरी, हरिओम टावर

सैनिक मार्केट

हर दिन आती हैं महिलाएं - 1000-1500

डेली का होता है कारोबार - 10-15 लाख

मार्केट तो बड़ा है उसके हिसाब से टॉयलेट नहीं बनाए गए हैं। एक मार्केट में एक मेल और एक फीमेल टॉयलेट है, जिससे कि एक समय में कई लोग जा भी नहीं सकते। वहीं सुनसान होने के कारण लोग उस ओर जाना भी नहीं चाहते कि कोई अनहोनी हो जाए।

लेडिज टॉयलेट बनवाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जो है उसी से काम चल रहा है। उसकी मॉनिटरिंग का जिम्मा भी कुछ लोगों को दिया है, जहां पर पे एंड यूज वाली फैसिलिटी है। ताकि सफाई को दुरुस्त रखा जा सके। अगर कभी जरूरत पड़ी तो ऐसा टॉयलेट बनाएंगे की फ्री में लोग उसका इस्तेमाल कर सकेंगे।

रामायण सिंह, सैनिक मार्केट

डेली मार्केट

महिलाएं आती हैं हर दिन - 3000

दिन में होता है कारोबार - 20 लाख रुपए

इलेक्ट्रानिक्स का सबसे बड़ा बजार है। मोबाइल के पा‌र्ट्स से लेकर हर तरह के आइटम कम कीमत पर मिल जाते हैं। ऐसे में महिलाएं भी गैजेट्स के लिए आती हैं। अब इतने बड़े मार्केट में महिलाओं के लिए तो टॉयलेट नहीं है। जिससे कि लोगों को थोड़ी दूर पर सार्वजनिक शौचालय में जाना पड़ता है।

इस बारे में हमने कई बार सोचा और टॉयलेट भी बनाया। लेकिन महिलाओं को लेकर कभी विचार नहीं आया हमारे पास जगह की कमी भी थी और फंड को लेकर कमिटी से बात भी हुई, तो जगह के कारण मामला अटक गया। अब विचार करें भी तो जगह की कमी है। फिर भी देखा जाएगा अगर संभव हुआ तो बना देंगे।

हासिम सदर, अध्यक्ष, डेली मार्केट एसोसिएशन