रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची के सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। साथ ही प्लेटलेट्स की डिमांड भी बहुत अधिक बढ़ गई है। हर दिन लगभग 10 यूनिट प्लेटलेट्स की जरूरत राजधानी रांची को हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में जहां प्लेटलेट्स की जरूरत 96 यूनिट थी, जो अगस्त से लेकर अब तक 252 यूनिट हो गई है। वहीं, मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। सिर्फ रिम्स में ही मच्छर जनित रोगों के रोज 10 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।
नहीं मिल रहे सिंगल प्लेटलेट डोनर
डेंगू मरीजों के इलाज में सबसे अधिक प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही है। इसमें भी आकस्मिक परिस्थति में सिंगल प्लेटलेट डोनर की तत्काल जरूरत पड़ती है, ताकि मरीज की जान बचाई जा सके। लेकिन, हालात यह है कि राजधानी रांची में सिंगल प्लेटलेट डोनर नहीं मिल रहे हैं। मरीज के स्वजन अस्पताल जाते हैं मगर मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है, जिसके कारण मरीजों को परेशानी होती है। ऐसे में मरीज को स्वस्थ होने और चिकित्सकों को इलाज करने में मुश्किल होती है। रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण ही मरीजों को अव्यवस्था का शिकार होना पड़ रहा है।
एसडीपी से जल्दी रिकवरी
ब्लड बैंक में अब तक रेंडम तरीके से प्लेटलेट्स निकाली जाती थी। इस विधि में तीन से सात हजार के बीच ही प्लेटलेट्स निकलते थे। जो मरीज को चढ़ाने पर बहुत कम समय तक शरीर में रहता था। जबकि एसडीपी तकनीक से 40 से 60 हजार प्लेटलेट्स निकलते हैं। इससे मरीज की रिकवरी जल्दी होती है। डेंगू के मरीज, बच्चों के इलाज में, कैंसर रोगी सहित अन्य रोगों में इसकी जरूरत पड़ती है। 6-7 यूनिट आरडीपी के बराबर एक एसडीपी तरीके से 6 से 7 यूनिट रक्त जितनी प्लेटलेट्स निकाले जाते हैं। उतनी महज एक यूनिट एसडीपी से काम हो जाता है। एसडीपी से ही बड़ी मात्रा में प्लेटलेट्स मिलते हैं। इसमें मरीज के ब्लड से सिर्फ प्लेटलेट्स निकाला जाता है।
डेंगू मामले में रांची दूसरे नंबर पर
बदलते मौसम ने बीमारियों की रफ्तार में तेजी ला दी है। राज्य इन दिनों डेंगू और चिकनगुनिया की चपेट में है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 15 जिले डेंगू और 10 जिले चिकनगुनिया की चपेट में हैं। जमशेदपुर में डेंगू के मरीजों की संख्या सर्वाधिक 475 है। रांची दूसरे स्थान पर है, जहां एक मरीज की मौत हो चुकी है। रांची में अगस्त तक 26 डेंगू और 47 चिकनगुनिया के मामले मिले थे। रांची के रिम्स और सदर अस्पताल में 20 मरीज इलाजरत हैं। सरकारी जांच व्यवस्था के साथ-साथ निजी लैब में भी हो रही जांच में डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं।
सदर अस्पताल में भी डेंगू मरीज
मच्छर जनित बीमारियों के मरीजों की बढ़ी संख्या को देखते हुए राजधानी रांची के सरकारी अस्पतालों में अलग से विशेष व्यवस्था की गई है। रिम्स और सदर अस्पताल में डेंगू पीडि़त मरीजों के इलाज के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। रिम्स में जहां 50 बेड की व्यवस्था है, वहीं सदर अस्पताल में 36 बेड की व्यवस्था की गई है। साथ ही डेंगू से बचाव के लिए वेक्टर जनित रोग राज्य कार्यक्रम की ओर से जिलों को गाइडलाइन जारी की गई है। टीम घर-घर जाकर मच्छरों के लार्वा भी नष्ट कर रही है।
हर वार्ड में हो रही है फॉगिंग
रांची नगर निगम भी शहर में फॉगिंग करवा रहा है। शहर के सभी 53 वार्डों में डोर टू डोर अभियान चलाने को कहा गया है। जिन वार्डों में सबसे अधिक लोगों की तबीयत खराब होने की शिकायत मिल रही है, वहां जाकर घरों की जांच की जा रही है। अगर डेंगू का लार्वा मिलता है, तो उसे नष्ट करने के लिए सघन अभियान चलाने के निर्देश हैं। लार्वा की जांच करने के लिए नगर निगम ने 10 टीमों का गठन किया है। इसके अतिरिक्त लार्वा से निजात के लिए केमिकल का छिड़काव व फॉगिंग के लिए 212 कर्मियों को लगाया गया है।
डेंगू के लक्षण
सिरदर्द
मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द
ठंड लगने के साथ बुखार चढऩा
जी मिचलाना
उल्टी आना
आंखों में दर्द
स्किन पर लाल चकत्ते होना
मुंह का स्वाद खराब लगनामच्छर जनित रोगों के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकारी अस्पतालों में अलग से विशेष व्यवस्था की गई है। सदर अस्पताल में डेंगू पीडि़त मरीजों के इलाज के लिए सेपरेट व्यवस्था की गई है।
-डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी