रांची (ब्यूरो) । हस्तशिल्प सेवा केंद्र रांची द्वारा दो दिवसीय शिल्प प्रदर्शनी कार्यक्रम डोरंडा कॉलेज रांची में आयोजित किया गया। शिल्प प्रदर्शन कार्यक्रम में झारखंड राज्य के कुल 10 शिल्प का प्रदर्शन किया गया जिसमें लाह, एप्लिक, टेराकोटा, जूट, कारपेट, सोहराय, डोकरा, इत्यादि शिल्प कला सामिल है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्कूल कॉलेज में छात्र छात्राओं को हस्तशिल्प के प्रति जागरूक करना है।

कार्यक्रम का शुभारंभ राँची विश्वविद्यालय के कुलपती प्रो डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्वलन कर किया। आगत अतिथियों का स्वागत बी एड के प्रशिक्षु छात्रों ने स्वागत गान कर किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ। अजीत कुमार सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि कॉलेज में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन सोभाग्य की बात है साथ ही उन्होंने महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बी पी वर्मा को बधाई दी।

हस्तशिल्प में अपार संभावनाएं

उन्होंने कहा हस्तशिल्प में झारखंड का अहम योगदान है। उन्होने कहा की हस्तशिल्प में अपार संभावनायें है एवं जीवकोपार्जन का बहुत बड़ा साधन हैं। उन्होंने हार्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर, आई सी आर,सी एफ सी आदि योजनाओं के बारे में विस्तार से बतलाया। साथ ही उन्होंने कहा की आज के समय में हस्तशिल्प को एक अ'छा बाजार मिला हुआ है। शिल्पकला के माध्यम से महिला रोजगार को बढावा मिला है और वह आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं।

लोकल फार ग्लोबल पर ध्यान केंद्रित

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बी पी वर्मा ने वोकल फोर लोकल एवं इ कामर्स के द्वारा लोकल फार ग्लोबल पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया। उन्होंने ने कहा कि शिल्प कला से हर हाथ को काम मिल सकता है। जिससे हमार देश समृद्ध, आत्मनिर्भर एवं श्रेष्ठ होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। मौके पर सी वी एस उपनिदेशक डा स्मृति सिंह ने स्थानीय शिल्पकारों के उत्पाद को प्रश्रय देने पर बल दिया। सहायक निदेशक हस्तशिल्प सेवा केंद्र राँची श्री पुष्प रंजन ने विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। माननीय कुलपती ने सभी स्टाल पर जाकर निरिक्षण किया व बातचीत किया। मौके पर सैकडों विद्यार्थी, सहित सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन डॉ सीमा सिंह ने किया व प्रो इंचार्ज डॉ रजनी टोप्पो ने सभी का अभार व्यक्त किया।