रांची: राजधानी में नगर निगम की ओर से मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए गए हैं, जिसमें महिलाओं के लिए भी टॉयलेट्स हैं। लेकिन वहां सेफ्टी के साथ हाइजीन भी नहीं है। इस वजह से ही महिलाएं टॉयलेट का यूज नहीं करना चाहतीं। वहीं कई जगहों पर तो टॉयलेट तक जाने का रास्ता ही नहीं है। इस वजह से टॉयलेट होते हुए भी किसी काम का नहीं है। इसलिए नगर निगम को चाहिए कि सेफ्टी के साथ वहां पर हाइजीन का भी ख्याल रखा जाए ताकि यूज करने वाली महिलाओं को किसी तरह का इंफेक्शन न हो जाए। हालांकि नगर निगम ने इसके लिए प्लान तो बना लिया है। अब देखना यह होगा कि नगर निगम इसे कब से सिटी में लागू करता है।

नहीं था लॉक करने को हैंडल

एक्सक्यूज मी अभियान के तहत हमने सिटी में महिलाओं के लिए बनाए गए टॉयलेट्स का जायजा लिया। वहीं यूज करने वाली महिलाओं से भी उनके अनुभव को जाना, जिसमें ये बाते सामने आई कि टॉयलेट में कहीं लॉक करने के लिए हैंडल नहीं थे। इस वजह से उन्होंने टॉयलेट का यूज नहीं किया और नेचुरल कॉल को होल्ड करके रखा। अगर पिंक टॉयलेट होता तो देखकर केवल महिलाएं ही उसका यूज करतीं।

पानी मिला नहीं तो दोबारा गए नहीं

किसी भी टॉयलेट के लिए पानी जरूरी होता है। लेकिन ज्यादातर जगहों पर महिलाओं वाले टॉयलेट में पानी नहीं आ रहा था। कुछ के नल भी गायब थे और सिंक में लगी होस पाइप भी गायब मिली। अब इस अव्यवस्था के बीच तो टॉयलेट का इस्तेमाल दोबारा करने के बारे में महिलाओं ने नहीं सोचा। पानी की सप्लाई को दुरुस्त किया जाए।

गंदगी के कारण सोचती भी नहीं

महिलाओं के लिए रोड साइड बनाए गए माड्यूलर टॉयलेट में सफाई तो कराई जाती है। लेकिन दिन गुजरने के साथ ही वहां गंदगी जमा हो जाती है। यह देखकर महिलाएं वहां जाना नहीं चाहतीं कि कहीं उन्हें इंफेक्शन न हो जाए। चूंकि टॉयलेट यूज करने के लिए हाइजीन बहुत जरूरी है। इसे दुरुस्त कराना नगर निगम की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

पूरी सिटी में एक भी पिंक टॉयलेट नहीं

राजधानी में एक भी पिंक टॉयलेट नहीं है। वहीं इतने सालों बाद भी नगर निगम का ध्यान इस पर तो नहीं गया। अब निगम ने पब्लिक टॉयलेट और कम्युनिटी टॉयलेट के अलावा मॉड्यूलर टॉयलेट पर ध्यान दिया है। इसके तहत शहर में 111 मॉड्यूलर टॉयलेट्स बनाए गए हैं। कुछ टॉयलेट्स पानी की सप्लाई नहीं होने के कारण ऑपरेशनल नहीं हो पाए हैं।

एनजीओ व महिला संस्था संभाले मॉनिटरिंग

महिलाओं की सुरक्षा, मान सम्मान के साथ हाइजीन भी जरूरी है। इसके लिए नगर निगम तो प्रयास कर रहा है। लेकिन चाहकर भी लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर पाना चुनौती बना हुआ है। ऐसे में अगर कारपोरेट हाउस, एनजीओ और महिला संस्था भी इसमें सहयोग करें और मॉनिटरिंग के साथ मेंटेनेंस की जिम्मेवारी ले लें तो इस समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। इसके अलावा नए टॉयलेट बनवा दें तो सिटी के लिए वरदान होगा।

16-23 लाख रुपए में बन सकता है पिंक टॉयलेट

पिंक टॉयलेट सिर्फ महिलाओं की सुविधा के लिए होता है, जिसमें टॉयलेट के अलावा फीडिंग रूम, सेनेटरी पैंड वेंडिंग मशीन व डिस्पोजल मशीन भी होती है। ताकि महिलाओं की सुरक्षा के साथ हाइजीन की भी व्यवस्था हो। वहीं उसमें महिला स्टाफ्स को रखा जाता है, जिससे कि ये टॉयलेट महिलाओं के लिए फ्रेंडली हों और वे बिना किसी टेंशन के इसका इस्तेमाल कर सकें। इसके निर्माण की अगर बात करें तो स्टेनलेस स्टील पिंक टॉयलेट बनाने में 23 लाख रुपए का खर्च आता है। जबकि अल्युमिनियम बेस्ड टॉयलेट में 16 लाख रुपए लग जाते हैं।