रांची (ब्यूरो) । पूरे राज्य भर में चिकित्सकों ने मेडिकल प्रोटेक्टशन एक्ट समेत अन्य मांगों के समर्थन में रविवार को कैंडल मार्च निकाला। कैंडल मार्च पूरे झारखंड के सभी जिलों में निक ाला गया। इसे लेकर रिम्स में सैकड़ों की संख्या में डॉक्टर कैंडल मार्च करते हुए एवं परिसर में नारे लगाते हुए कैंडल मार्च किया।

इस मार्च में डॉक्टर से सम्बंधित सारे संगठन आईएमए, जेएसएचएसए, रिम्स टीचर एसोसिएशन जेडीए, चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एवं वीमेन डॉक्टर विंग एएचपीआई एवं अन्य संगठनों के सदस्य शामिल थे।

ये हैं प्रमुख मांगें

मालूम हो कि पूरे राज्य के चिकित्सकों की वर्षो से लंबित मांग मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट, क्लिनिक एस्टेबिल्सीमेंट एक्ट में 50 बेड से कम एकल एवं कपल क्लिनिक ,

हाल के दिनों में हजारीबाग, गढ़वा, रांची, लोहरदगा और धनबाद में हुए चिकित्सकों पर हुए हमले, सरकारी चिकित्सा सेवा को इमरजेंसी सेवा घोषित करते हुए बायोमेट्रिक से वेतन को जोडऩे के आदेश से मुक्त रखने एवं धनबाद में डॉ हाजरा दाम्पति एवं रांची रिम्स के वरीय चिकित्सक डॉ सौरभ के साथ हुई दुखद घटना में सरकार के द्वारा मुआवजा एवं प्रावधानों के अंतर्गत उनकी पत्नी को नौकरी देने कि मांग की गयी।

चिकित्सकों के विभिन्न संगठनों की ओर से घोषणा के अनुसार 1 मार्च को सफल सांकेतिक कार्य बहिष्कार के बाद यदि सरकार 12 मार्च तक चिकित्सकों कि मांग को पूरा नहीं करती है तो पूरे राज्य में सरकारी और प्राइवेट तथा मेडिकल से सम्बंधित सारी इकाइयां अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर चली जायेंगी।

विवश होकर लिया फैसला

संगठन से संबंधित चिकित्सकों ने कहा कि चिकित्सक कभी भी इस तरह का निर्णय लेना नहीं चाहते हैं पर विवश होकर हमलोगों को यह निर्णय लेना पड़ रहा है।

चिकित्सकों ने कहा कि राज्य की जनता से भी अनुरोध है कि वो राज्य सरकार को चिकिसकों से सम्बंधित सभी समस्याओं का निदान करने का अपील करें।

ज्ञाताव्य हो कि देश के 23 राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागु है एवं हरियाणा, उत्तर प्रदेश में 50 बेड के अस्पतालों को क्लिनिकल एस्टेबिलिसमेंट से मुक्त रखा गया है। ऐसे में राज्य सरकार से भी अपील है कि हमारी उपरोक्त मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए यथा शीघ्र जनहित में मांगों को पूरी करें, ताकि चिकित्सक समाज भय मुक्त माहौल में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा सके।