रांची (ब्यरो) । आंख शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसके बिना जीवन में अंधकार ही अंधकार है। अनगिनत लोग ऐसे हैैं, जिन्हें आंखों की जरूरत है, लेकिन दान करने वाले ही नहीं हैैं। सिर्फ आंख ही नहीं, बल्कि शरीर के किसी की ऑर्गन को डोनेट करने के लिए लोगों को आगे आना होगा, ताकि किसी और को जिंदगी मिल सके। उक्त बातें राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने रांची में सेंटर फॉर साइट के उद्घाटन के बाद आयोजित मुख्य समारोह में कही।

वर्ल्ड क्लास आई केयर सर्विस

इस अवसर पर सेंटर फॉर साइट के चेयरमैन सह मेडिकल डायरेक्टर पद्मश्री प्रो डॉ महिपाल एस सचदेवा ने कहा कि शानदार टेक्नोलॉजी और भरोसेमंद डॉक्टरों की टीम वाले सेंटर फॉर साइट में रांची व आसपास के लोगों को बेहतर आई केयर मिलेगी और उन्हें इसके लिए दूसरे शहरों की तरफ नहीं जाना पड़ेगा। जो टेक्नोलॉजी अमेरिका में अभी आनी बाकी है, वह रांची के इस सेंटर में उपलब्ध होगी।

हर इलाज संभव

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि अंधेपन की जिन समस्याओं को ठीक किया जा सकता है उनमें मोतियाबिंद, रिफ्रैक्टिव एरर ग्लुकोमा और डायबिटिक रेटिनोपेथी जेसी कंडीशन शामिल हैं। अच्छी बात ये है कि इनमें से कई बीमारियां न सिर्फ इलाज योग्य हैं बल्कि समय पर हस्तक्षेप और सार्वजनिक जागरूकता के जरिए इन्हें रोका भी जा सकता है। उन्होंने पद्मश्री प्रो डॉ महिपाल एस सचदेवा से आग्रह किया कि झारखंड के लोगों के लिए मुफ्त मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर भी आयोजित करें। साथ ही साथ उन्होंने वाजिब दर पर आंखों के इलाज का भी आग्रह किया, जिसे प्रो डॉ सचदेवा ने सम्मान के साथ स्वीकार भी किया।

विश्वास और समर्पण का भरोसा

कार्यक्रम में पद्मश्री सचदेव ने भारत के हर कोने में सस्ती विश्व स्तरीय नेत्र देखभाल लाने के मिशन पर जोर दिया, क्योंकि दुनिया की एक तिहाई दृष्टिहीन आबादी भारत में रहती है। उन्होंने कहा कि सेंटर फॉर साइट का दृढ़ विश्वास है कि हर आंख बेस्ट इलाज डिजर्व करती है। डॉक्टर महिपाल ने कहा कि सभी लोगों के लिए नेत्र स्वास्थ्य के प्रति हमारा विश्वास और समर्पण सेंटर फॉर साइट को रांची लाने में सहायक रहा है।

सिल्क प्रोसेस कारगर

इस अवसर पर डॉक्टर महिपाल ने सिल्क प्रक्रिया के बारे में भी बताया। स्मूद इंसाइजन लेटिक्यूल केराटोमिलेसिस यानी सिल्क प्रक्रिया ने मायोपिया मरीजों को उम्मीद की नई किरण दी है। इस प्रक्रिया की मदद से लोगों को बिना ग्लास और कॉन्टेक्ट लेंस के अच्छा विजन पाने में मदद मिली है। यह गर्व की बात है कि भारतीय नेत्र रोग विशेषज्ञों ने इस लेटेस्ट तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो अब पूरे भारत के चुनिंदा केंद्रों पर उपलब्ध है।

भारत है अग्रणी

उन्होंने कहा कि सेंटर फॉर साइट में सिल्क प्रक्रिया का पूरी दुनिया में सबसे पहले इस्तेमाल करने पर हमें गर्व है। इससे विश्व स्तर पर भारतीय नेत्र विज्ञान की भूमिका का पता चलता है। इस तकनीक के लिए शुरुआती लिनिकल डेटा सेंटर फॉर साइट सहित भारतीय केंद्रों द्वारा दिया गया है। देश और सेंटर फॉर साइट में इस तकनीक को लॉन्च करने पर हमें गर्व है। मौके पर डॉक्टर समीर कुमार, डॉक्टर जूही गर्ग और डॉक्टर रवीश कुमार जेनिथ के अलावा हॉस्पिटल की सीईओ और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ अलका सचदेवा भी मौजूद थे।