रांची: होली की धूम हर घर में देखने को मिलती है, लेकिन यह त्योहार जानवरों के लिए नहीं है। कुछ लोग अपने मजे और शौक के लिए जानवर (कुत्ते, बिल्ली, बंदर) पर भी रंग फेंकते हैं। खासकर छोटे बच्चे जाने-अनजाने में पानी से भरे गुब्बारे, पिचकारी और रंग उन पर फेंकते हैं। पेटा के सदस्य और एनीमल लवर्स का मानना है कि बच्चे छोटे हैं तो आप अपना कर्तव्य निभाएं और उन्हें ऐसा करने से रोकें। अगर आपने भी अपने घर पर पेट रखा है तो उसे कुछ समय के लिए सुरक्षित जगह पर रखें। अगर गलती से उन पर रंग लग गया है तो तुरंत उन्हें साफ करें चूंकि यह उनके और आपके दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

पेट के हेल्थ पर रंगों का असर

पालतू जानवरों में अपने ही शरीर को चाट कर साफ करने की प्रवृत्ति होती है। जब यह केमिकल युक्त रंग उनके शरीर में जाता है तो वह पेट और आंत संबधी गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। होली के इन रंगों में लीड आक्साइड, एल्यूमिनियम ब्रोमाइड, मरकरी सल्फेट और कॉपर सल्फेट आदि रसायन शामिल होते हैं। इन्हीं जहरीले टॉक्सिन के कारण मनुष्य और जानवर दोनों को स्किन एलर्जी और जलन हो सकती है।

कुछ बातों का रखें ख्याल

1. पालतू जानवरों पर सूखा हो या गीला, दोनों तरह के रंग डालना खतरनाक साबित हो सकता है।

2. जानवरों को मीठी चीजें खाने को ना दें, ज्यादा मीठा उनके लिए जहर के बराबर होता है।

3. अगर गलती से रंग लग भी जाए तो शैम्पू से उन्हें अच्छे से नहाएं अगर खुजली या जलन ठीक ना हो तो पशु चिकित्सक से तुरंत चेकअप करवाएं।

लोगों को खुद से अवेयर होना होगा। चूंकि जानवर भी इंसानों की तरह होते है। ऐसे में जब उनपर रंग डाला जाएगा तो इंफेक्शन होगा आंरवें बीमार हो जाएंगी। इसलिए आप अपने बच्चों को ये चीजें बताएं और होली के दिन अपने पेट को भी बचाकर रखें।

ज्योति शर्मा, मेंबर, पेटा

जानवर तो खुद नहीं समझते कि रंग क्या होता है। जब बच्चे उनपर रंग डाल देते है तो वे खराब तो दिखते ही हैं। उन्हें स्किन से जुड़ी समस्या हो सकती है। अगर केमिकल किसी तरह उनके शरीर के अंदर चला गया तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

सोनाली मजूमदार, मेंबर, एनीमल वेलफेयर ट्रस्ट