रांची (ब्यूरो): कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर डॉ अजीत कुमार सिन्हा, विशिष्ट अतिथि डॉ कामिनी कुमार, पूर्व सांसद इब्राहिम अंसारी के पुत्र बुलंद इकबाल, वार्ड पार्षद फिरोज एवं नसीम उपस्थित थे।

अतिथियों का स्वागत किया

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों का स्वागत कॉलेज के मेन गेट से नागपुरी गीत पर आदिवासी नृत्य के साथ पारंपरिक तरीके से किया गया। मौके पर वीसी, प्रोवीसी और कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ वीपी वर्मा ने प्लांटेशन किया। मंच पर मौजूद सभी अतिथियों को गुलदस्ता और शॉल प्रदान कर सम्मानित किया गया। महाविद्यालय के 61वें स्थापना दिवस को यादगार बनाते हुए प्रतीक चिन्ह के रूप में स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया

बीएड और एनएसएस के छात्र-छात्राओं ने स्वागत गीत, गणेश वंदना और सामूहिक नृत्य कर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। मौके पर वीसी ने बताया कि वो भी डोरंडा कॉलेज के छात्र रह चुके हैं और वीसी के रूप में इस प्रांगण में वापस आना उनके लिए बहुत ही खुशनुमा पल बन गया है। उन्होंने डोरंडा कॉलेज की तुलना अंतरराष्ट्रीय महाविद्यालयों से की। उन्होंने कहा कि यहां 51 पाठ्यक्रम चल रहे हैं और 20 हजार छात्र छात्राएं हैं, जो इस महाविद्यालय को एक विश्वविद्यालय का रूप दे रही है।

आगे बढ़ते जाएं

प्रोवीसी डॉ कामिनी कुमार ने छात्रों को सीख दी कि वे जीवन में कभी सफल भी हो सकते हैं तो कभी असफल। आपको जीवन के हर मोड़ पर आगे बढ़ते जाना है। कॉलेज के प्रिंसिपल ने संस्थापकों, पूर्व प्राचार्यों, शिक्षकों, कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं एवं स्थानीय लोगों के योगदान को याद किया, जिनकी बदौलत कॉलेज ने यह मुकाम हासिल किया। यह महाविद्यालय झारखंड का प्राइम महाविद्यालय बन गया और विश्वविद्यालय बनने की ओर अग्रसर है।

इनका रहा योगदान

कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ मंजू मिंज, डॉ मंजू लाल, डॉ रजनी टोप्पो, नमिता कुमारी, डॉ एमलिन केरकेट्टा और डॉ शैलेन्द्र कुमार के साथ पूरे महाविद्यालय के शिक्षक, शिक्षिकाओं और कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।