रांची (ब्यूरो) । राजधानी रांची सहित पूरे राज्य भर में गर्मी बढ़ते ही बिजली की लोड शैडिंग बढ़ गई है, यह समस्या अब दूर होने वाली है। मई महीने से झारखंड बिजली वितरण निगम तीन नई कंपनियों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट करने जा रहा है। इन कंपनियों से लगातार बिजली खरीदी जाएगी। अभी जितनी कंपनियों से बिजली खरीदी जा रही है वो कम पड़ रही है। इसके लिए झारखंड बिजली वितरण निगम ने प्रस्ताव बढ़ा दिया है। जल्द ही 3 नई कंपनियों के साथ पीपीए साइन होगा।

दोगुनी महंगी बिजली

गर्मी में बिजली की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में लोड शेडिंग होने लगती है। इसी संकट को देखते हुए आनन-फानन में इंडिया एनर्जी पावर एक्सचेंज से बुकिंग करके बिजली लेनी पड़ती है। मगर बिजली की उपलब्धता की स्थिति के अनुसार जेबीवीएनएल को अचानक बिजली खरीद की दर महंगी पड़ती है। 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट तक दर हो जाती है। सामान्य दिनों में यही बिजली औसतन 5-7 रुपया तक मिलती है। मगर ऑन डिमांड दर बढ़ जाती है। इसे देखते हुए जेबीवीएनएल ने गर्मी में डिमांड के अनुसार स्थाई तौर पर पीपीए करके ही बिजली खरीदने का निर्णय लिया है।

आधी रकम होती है वसूल

झारखंड बिजली वितरण निगम को गर्मी में बिजली की डिमांड बढऩे के कारण रेवेन्यू का भी नुकसान होता है। क्योंकि झारखंड बिजली वितरण निगम शहरी उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट छह रुपए की दर से बिजली बिल वसूली करता है और 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीदारी करता है।

400 मेगावाट कम पड़ रही

समझौते के तहत राज्य में सरकारी स्तर पर उत्पादन के बाद बिजली की मांग गर्मी के दिनों में करीब 400 मेगावाट कम पड़ जाती है। राज्य में सरकारी स्तर पर केवल तेनुघाट थर्मल उत्पादन निगम से करीब 350-370 मेगावाट तक उत्पादन हो रहा है। मांग 2600 से 2800 मेगावाट है। उत्पादन और मांग के बीच अंतर दूर करने के लिए जेबीवीएनएल सेंट्रल पुल, एनटीपीसी, डीवीसी, सेकी और राज्य की निजी उत्पादन इकाइयों के समझौते के आधार पर बिजली लेता है। इसके बाद अतिरिक्त बढ़ी हुई मांग को नीलामी के आधार पर अधिकतम 10 से 12 रुपए की दर से इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से तत्काल खरीदकर पूरी करनी पड़ती है।

ऊंची दर पर अतिरिक्त बिजली

वर्तमान में उत्पन्न संकट में तत्कालीन व्यवस्था के तहत इंडियन एनर्जी पावर एक्सचेंज से करीब 400 मेगावाट अतिरिक्त बिजली ली जा रही है। इसमें प्रतिदिन करीब 2 करोड़ रुपए खर्च आ रहा है। जबकि जेबीवीएनएल का विभिन्न कंपनियों के साथ हुए समझौते के आधार पर यह सवा तीन रुपए से पांच रुपए के बीच औसतन पड़ता है। इसलिए स्थाई तौर पर मांग के अनुसार, बिजली खरीदने के लिए पीपीए करने का निर्णय लिया गया है। निर्देश के बाद डिमांड और खपत पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके बाद सेंट्रल पावर एक्सचेंज की कंपनियां डीवीसी, एनटीपीसी और सेकी से पीपीए किया जाएगा।

गर्मी में बिजली का लोड बढ़ जाता है। इसलिए अधिक बिजली खरीदने की जरूरत पड़ती है। ऊंची दर पर बिजली ना खरीदनी पड़े इसके लिए नई कंपनियों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट करने की तैयारी की जा रही है। यह एक अस्थाई एग्रीमेंट होगा।

-केके वर्मा, डायरेक्टर, जेबीवीएनएल, रांची