रांची(ब्यूरो)। पहाड़ी मंदिर से अतिक्रमण हटाने को लेकर उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा आदेश पर आदेश दे रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हद ये है कि ढाई माह में पहाड़ी मंदिर परिसर से एक इंच भूमि भी अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पाई। ढाई माह पूर्व सावन की तैयारी को लेकर हुई बैठक में उपायुक्त ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि पहाड़ी मंदिर परिसर से अतिक्रमण हटाया जाए। आदेश पर जब कोई अनुपालन नहीं हुआ तो एक बार फिर दो दिन पूर्व हुई बैठक में उपायुक्त ने पहाड़ी मंदिर परिसर से अवैध अतिक्रमण को हटाने का निर्देश दिया।

एक तिहाई से ज्यादा पर कब्जा

बता दें कि ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर परिसर के एक तिहाई से ज्यादा भूमि पर अवैध कब्जा हो गया है। देखते-देखते पिछले 15 सालों में दर्जनों झोपडिय़ां खड़ी हो गईं। जबकि पहाड़ी मंदिर के संरक्षण व अतिक्रमण का मुद्दा रांची सांसद संजय सेठ ने संसद भवन में भी सवाल उठाया था। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मंदिर की जमीन पर सरकारी बिङ्क्षल्डग

पहाड़ी मंदिर के पिछले हिस्से में एक ओर जहां झोपडिय़ां बढ़ती जा रही हैं तो दूसरी ओर सरकारी बिङ्क्षल्डग भी खड़ी हो रही है। पानी की टंकी, सामुदायिक भवन सहित आधा दर्जन से ज्यादा सरकारी बिङ्क्षल्डग भी बनायी गई है। वर्तमान में सुखदेवनगर थाना के टीओपी के लिए भवन बनाया जा रहा है।

विघायक उठा रहे मंशा पर सवाल

रांची के विधायक सीपी ङ्क्षसह ने कहा कि अतिक्रमण की वजह से पहाड़ी मंदिर लगातार सिकुड़ रहा है। एक ओर पहाड़ी पर अनियोजित निर्माण कार्य तो दूसरी ओर अतिक्रमण पहाड़ी मंदिर को विध्वंस कर रहा है। दरअसल, राज्य सरकार के तुष्टिकरण की नीति के कारण पहाड़ी मंदिर परिसर से अतिक्रमण नहीं हट रहा है, नहीं तो जिला प्रशासन तय करे और अतिक्रमण न हटे, यह संभव नहीं है। ऐतिहासिक महत्व के मंदिर से जिला प्रशासन का ऐसा रवैया उचित नहीं है। यह रांची ही नहीं बल्कि पूरे राज्य की धरोहर है।

पतरातू घाटी की तरह हो घेराबंदी

रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा कि पहाड़ी मंदिर के संरक्षण के लिए लगातार आवाज उठा रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होना ङ्क्षचताजनक है। पहाड़ी मिट्टी लगातार खिसक रही है। इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। पहाड़ी मंदिर के संरक्षण को लेकर विस्तृत योजना बनानी होगी। पतरातू घाटी की तरह पहाड़ी मंदिर के चारों ओर लोहे की जाली और बोल्डर से घेराव करना होगा। ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने होंगे। इसके लिए जिला प्रशासन में इच्छाशक्ति होनी चाहिए।