रांची: नगर निगम ने सिटी में टॉयलेट तो बनाया। महिलाओं के लिए टॉयलेट भी है लेकिन उसकी भी लिमिट है। इस वजह से महिलाओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। अब ये समस्या बढ़ने लगी तो सिटी की महिलाओं ने अपने हक के लिए सवाल उठाया। वहीं मार्केट एसोसिएशन और महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था ने भी इसका सपोर्ट किया। इस आवाज को हमने नगर निगम के अधिकारियों तक पहुंचाया। अधिकारी दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के आफिस पहुंचे और महिलाओं के लिए खासकर पिंक टॉयलेट बनाने का आश्वासन दिया। साथ ही कहा कि जहां भी उन्हें पानी की उपलब्धता वाली जगह पर स्पेस दिया जाएगा टॉयलेट बनाने पर विचार जरूर करेंगे।

सिटी की महिलाओं ने पूछे सवाल

सरिता कुमारी : हमारे शहर में महिलाओं के लिए कहीं भी सेपरेट और स्वच्छ टॉयलेट नहीं है। नगर निगम उसके लिए क्या कर रहा है?

सिटी मैनेजर : नगर निगम पूरे शहर में मॉड्यूलर टॉयलेट के अलावा पब्लिक टॉयलेट भी बना रहा है। सुलभ इंटरनेशनल के साथ मिलकर इस काम को पूरा करने में नगर निगम अपनी भूमिका निभा रहा है ताकि महिलाओं को किसी तरह की परेशानी ना हो। अब जो नए टॉयलेट बनाए जाएंगे उसमें लैक्टेशन रूम और सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन भी लगाई जा रही है, जिससे कि यह टॉयलेट पूरी तरह से वीमेन फ्रेंडली होंगे।

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सोनाली कुमारी, अमिटी यूनिवर्सिटी : इतने बड़े शहर में महिलाओं के लिए कहीं भी टॉयलेट नहीं है। मेन रोड से लेकर अपर बाजार तक बिना किसी डर के टॉयलेट नहीं जा सकती?

सिटी मैनेजर : मेन रोड में तो कुछ जगहों पर मॉड्यूलर टॉयलेट्स हैं। लेकिन अपर बाजार में कहीं भी जगह नहीं है, जहां पर रांची नगर निगम टॉयलेट का निर्माण करा सके। इसलिए इस मार्केट में परेशानी तो हो रही है। अगर कहीं पर जगह उपलब्ध कराई जाती है, एसोसिएशन के लोग मिलकर जगह चिन्हित करते हैं तो नगर निगम वहां पर पहल करेगा।

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अनामिका सिंह : दूसरे शहरों की तरह हमारे शहर में पिंक टॉयलेट की व्यवस्था क्यों नहीं की गई है। क्या यह हमारा अधिकार नहीं है कि हमें भी एक बेहतर टॉयलेट मिले?

सिटी मैनेजर : अब हम लोग पिंक टॉयलेट पर काम कर रहे हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए ही होगा। हमारी कोशिश है कि जहां भी महिला टॉयलेट बनाए जाएंगे वहां पर पुरुषों के लिए टॉयलेट नहीं होंगे। इससे महिलाएं खुद को सेफ फील करेंगी। वहीं पिंक टॉयलेट में वॉशरूम के अलावा लैक्टेशन रूम और सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन भी होगी। पूरी तरह से ये टॉयलेट महिला फ्रेंडली होंगे।

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मानसी मुंडा : अपर बाजार बहुत बड़ा बाजार है लेकिन यहां पर महिलाओं के लिए कोई टॉयलेट नहीं है। नगर निगम इसके लिए क्या करेगा?

सिटी मैनेजर : अपर बाजार तो बड़ा मार्केट जरूर है। लेकिन वहां पर जगह की दिक्कत है। कहीं भी ऐसी जगह नहीं है जहां पर टॉयलेट का निर्माण कराया जा सके। चूंकि टॉयलेट के निर्माण के लिए जगह चाहिए। जहां पर माड्यूलर टॉयलेट, टैंक और शॉकपिट बनाया जा सके। तभी इस समस्या का समाधान हो सकता है।

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इन्होंने भी पूछे सवाल

सुनीता गांगुली, तमाड़ : हमारे एरिया के ब्लॉक में महिलाओं के लिए कहीं भी टॉयलेट नहीं है। इस वजह से नेचुरल कॉल आने पर काफी परेशानी होती है। अपना अधूरा काम छोड़कर जाना पड़ता है। आखिर अधिकारी इस समस्या पर ध्यान क्यों नहीं देते?

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मार्केट एसोसिएशन ने दिए सुझाव

नगर निगम तो महिलाओं के लिए टॉयलेट बनाता है। लेकिन लोगों को भी इसके लिए जागरूक होना होगा। जो टॉयलेट हैं उसे बर्बाद न करें। निगम कुछ प्रबुद्ध लोगों की कमिटी बनाकर टॉयलेट बनाने के लिए प्रेरित करे। हमने अपने कैंपस में टॉयलेट का काम शुरू करा दिया है, जिसमें कई लोगों का सहयोग मिला है।

-रोशनलाल भाटिया, प्रेसीडेंट, चर्च कांप्लेक्स एसोसिएशन

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नगर निगम मार्केट में घूमकर व्यवस्था देखे और लोगों को भी जागरूक करे। चैंबर का पूरा सपोर्ट रहेगा। महिलाओं के लिए टॉयलेट तो होने ही चाहिए। खासकर पिंक टॉयलेट जिससे कि दूर से ही पता चल जाए कि यह टॉयलेट महिलाओं का है। कमिटी के साथ मिलकर टॉयलेट बनाए जा सकते हैं। मेंटेनेंस के लिए भी संस्था को दिया जा सकता है। अमित शर्मा, मेंबर, एफजेसीसीआई

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महिलाओं के लिए टॉयलेट तो हैं, लेकिन वहां की स्थिति ठीक नहीं है। एंट्रेंस गेट भी टॉयलेट का एक होता है, जिससे कि महिलाएं वहां जाने में शर्म महसूस न करें। अगर पब्लिक टॉयलेट के एंट्रेंस का रास्ता अलग-अलग खोल दिया जाए तो दिक्कत नहीं होगी। चूंकि दोनों के बीच में पर्दा भी जरूरी है। कई बार पुरुषों की भीड़ होती है तो महिलाएं यूज करने से परहेज करती हैं।

कुमुद झा, दिव्यम फाउंडेशन

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टॉयलेट तो हर जगह होना चाहिए। मार्केटिंग कांप्लेक्स हो या रोड का किनारा। नेचुरल कॉल आने पर सोचना पड़ता है। नगर निगम इसके लिए सर्वे कर ले तो जानकारी मिल जाएगी। जहां तक लोगों को जागरूक करने की बात है तो इसमें हमारा पूरा सपोर्ट रहेगा। हम हर किसी को जागरूक करेंगे कि टॉयलेट को बर्बाद न करें, जिससे कि कभी आपको भी यूज करना पड़े तो दिक्कत न हो।

रविंदर कौर

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हमारे एरिया में मार्केट बड़ा है। दुकानें भी काफी हैं। जिससे कि पुरुष और महिला कस्टमर्स की भीड़ लगी रहती है। ऐसे में निगम डेली मार्केट के पास 3-4 माड्यूलर टॉयलेट भी बनवा दे तो समस्या का समाधान हो जाएगा। महिलाओं को काफी दिक्कत होती है। इसलिए उसपर लिख दे कि केवल महिलाओं के लिए, समस्या दूर हो जाएगी।

हासिम

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मार्केट में पब्लिक टॉयलेट की समस्या तो है। इसके लिए निगम पहल करे। निगम अगुवाई करे तो हम सपोर्ट करने को तैयार हैं। अगर निगम टॉयलेट बनाता है तो हमलोग मेंटेनेंस करने को तैयार हैं। बस अधिकारी इंस्पेक्शन कर टॉयलेट बनवा दें तो बड़ी राहत होगी।

इम्तियाज अहमद

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हमलोग शहर को साफ और स्वच्छ बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें लोगों का सपोर्ट भी जरूरी है। अगर लोग सपोर्ट करें और जगह उपलब्ध कराई जाए तो मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए जाएंगे। पिंक टॉयलेट पर हम काम कर रहे हैं और उसे कलर भी दिया जाएगा। जिससे कि यह पता चल जाए कि वहां पुरुष नहीं जा सकते। वीमेन फ्रेंडली टॉयलेट जरूरी है और इसमें हमें जो सुझाव मिले हैं, उसपर विचार करते हुए काम कराया जाएगा।

रूपेश रंजन, सिटी मैनेजर, आरएमसी

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महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट पर हमलोग काम कर रहे हैं, जो सुझाव हमें मिले हैं उसपर काम करेंगे। जरूरत पड़ने पर अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाए जाएंगे। स्वच्छ भारत मिशन के तहत टॉयलेट साफ और स्वच्छ तो होगा ही। महिलाओं के टॉयलेट में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन भी लगाई जाएंगी। इसके अलावा लैक्टेशन रूम होगा जहां पर बच्चों को फीडिंग कराने की व्यवस्था होगी। प्राइवेसी के साथ सेफ्टी के भी इंतजाम होंगे।

मोनालिसा पानी, सीएमएम, स्वच्छ भारत मिशन, आरएमसी