RANCHI:अगर आपके बच्चे गली-मोहल्ले की दुकान से चिप्स खरीदकर खाने के आदी हो गये हैं, तो सतर्क हो जाएं। आपके बच्चे जो चिप्स खा रहे हैं, उसमें कई कंपनियों के पास एफएसएसएआई का लाइसेंस भी नहीं है। चिप्स में क्या मिलाया जा रहा है और वह स्वास्थ्य के लिए किस हद तक सही है, इसकी भी जानकारी नहीं है। कई लोकल कंपनियां सरकार की इजाजत के बिना चिप्स और दूसरे स्नैक्स बनाकर बच्चों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। बच्चे जो चिप्स खा रहे हैं, वह कहां बन रहा है, कौन सा ब्रांड का है, किस कंपनी का है, कब एक्सपायर्ड हो रहा है यह जानना जरूरी है। अगर आप इन सारी चीजों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, तो आप अपने बच्चे की सेहत से खेल रहे हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने जब बिना लाइसेंस वाले पैक्ड स्नैक्स की पड़ताल की, तो पता चला कि कई लोकल कंपनियां बिना लाइसेंस के ही अपना कारोबार कर रही हैं। फर्क सिर्फ इतना ही है कि पैकेट पर अपलाइड फोर लिख दिया गया है।

लोकल नाम से बिक रहे हैं स्नैक्स

शहर में कई चिप्स-स्नैक्स लोकल ब्रांड के नाम से बिक रहे हैं। अपना टाइम आएगा नाम का एक ऐसा ही प्रोडक्ट है, जो लाइसेंस लिये बिना ही बाजार में उपलब्ध है। लोग इसे खरीदकर खा भी रहे हैं। इस प्रोडक्ट के रैपर के उपर में एफएसएसएआई अप्लाई लिखकर बेचा जा रहा है। बच्चे इसे बडे़ ही चाव से खा रहे हैं। पैकेट में बंद कर किसी भी खाने-पीने के सामान को बेचने से पहले लाइसेंस लेना जरूरी है। बिना लाइसेंस के बाजार में नहीं बेच सकते हैं।

मोहल्ले की दुकानों में भरमार

इस तरह के चिप्स आपको शहर के मेन रोड से लेकर कई चौक-चौराहों पर स्थित दुकानों में मिलेंगे। बस स्टैंड, नेशनल हाइवे रोड साइड की दुकानों में ऐसी बेनामी कंपनियों के प्रोडक्ट्स की भरमार है। एक दुकानदार ने बताया कि ब्रांडेड कंपनियों के चिप्स पर बहुत कम कमीशन मिलता है। लोकल कंपनियों के चिप्स पर प्रिंट रेट का आधा कमीशन मिलता है। यह चिप्स ऐसे जगह पर आपको मिलेगा जहां पर लोगों की नजर अधिक ना हो। उस दुकान में मोहल्ले के बच्चे अधिक जाते हों।

एक्सपायर्ड प्रोडक्ट्स भी दुकानों में

ऐसा नहीं है कि सिर्फ लोकल चिप्स ही आपके बच्चे खा रहे हैं। हो सकता है एक्सपायर चिप्स भी बच्चे खा रहे हों। दुकानों में जो चिप्स बिक रहे हैं, उनकी बेस्ट बिफोर टाइम भी खत्म हो गई है, फिरभी उन्हें बेचा जा रहा है। ब्रांडेड कंपनियों के चिप्स में चार महीने तक का समय तय किया गया है, उसके बाद यह एक्सपायर हो जाते हैं। लेकिन, शहर में चार महीने पूरा होने के बाद भी चिप्स बिक रहे हैं। दुकानदार जो चिप्स बेचते हैं, उनको पता है कि वह एक्सपायर हो गया है, लेकिन बच्चे जब चिप्स लेने उनके पास जाते हैं तो बिन डेट देखे ही उनको बेच दिया जा रहा है। जब जागरूक लोग पूछताछ करते हैं, तो दुकान वाले कोई बहाना बना देते हैं।

बच्चों की सेहत से खिलवाड़

बिना एफएसएसएआई के लाइसेंस का चिप्स बेचने और एक्सपायर स्नैक्स खाने से बच्चों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है। जनरल फिजिशियन डॉ राहुल कुमार बताते हैं कि एक तो बच्चों को यह खाने के लिए नहीं देना चाहिए। अगर बच्चे जिद करते भी हैं तो उनको एक्सपायर चिप्स न दें। क्योंकि एक्सपायर चिप्स में जो इनग्रिडिएंट मिला होता है, वह खराब होने लगता है और इसका नुकसान शरीर पर होता है। चिप्स में जो मसाला मिलाया जाता है, उसकी एक समय सीमा तय होती है। समय पूरा होने के बाद वह मसाला नुकसान पहुंचाने लगता है।

कई बीमारियों का खतरा

शहर के मार्केट में अनेक दुकानों पर ऐसे खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं जिनके पैकेट पर बैच नंबर, एफएसएसएआई नंबर, बार कोड, मैन्युफैक्चरिंग व एक्सपाइरी की तारीख तक नहीं दर्शायी जाती। डाक्टरों की मानें तो घटिया क्वालिटी के खाद्य सामग्री से लीवर, स्किन, किडनी, फेफ ड़ों से संबंधित बीमारियां होने का खतरा रहता है।