रांची(ब्यूरो)। सिटी के कॉलेजों में इंटरमीडिएट क्लास में ब'चों का एडमिशन नहीं लिया जा रहा है। इससे सिटी के ब'चे और उनके पेरेंट्स दोनों परेशान हैं। दसवीं में पास छात्र-छात्राएं फार्म लेने कॉलेज आ रहे हैं, लेकिन उन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है। दरअसल, कुलपति के एक आदेश के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। वीसी की ओर से जारी आदेश में इंटरमीडिएट में नामांकन पर रोक लगाई गई है। इससे राजधानी के करीब 50 हजार ब'चे प्रभावित हो रहे हैं। वैसे ब'चे जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनके लिए कॉलेज ही एक मात्र सहारा है। लेकिन यहां भी ब'चों का प्रवेश बंद कर दिया गया है। नैक टीम के विजिट का हवाला देकर विवि की ओर से नामांकन बंद कर दिया गया है। 10वीं पास छात्र-छात्राएं जैक और रांची विवि के बीच फंस कर रह गए हैं। हालांकि कुछ ब'चे प्लस टू स्कूलों में एडमिशन लेना शुरू कर दिए हैं। स्कूलों में नामांकन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन यहां फीस ज्यादा होने और सीट की संख्या कम होने की वजह से ब'चे कॉलेज में एडमिशन करा लेते हैं।

कैसे होगी पढ़ाई

जैक बोर्ड से इस बार तीन लाख 70 हजार ब'चे पास आउट हुए हैं। जैक बोर्ड के अधीन करीब 670 प्लस टू स्कूल हैं। सभी में औसतन दो सौ सीट भी हो तो 1,34,000 ब'चों का नामांकन हो सकेगा। प्राइवेट कॉलेज और स्कूलों में भी कुछ ब'चों का एडमिशन करा सकेंगे। इसके अलावा ओपन यूनिवर्सिटी से भी ब'चे प्लस टू की पढ़ाई कर सकते हैं। इन सबके बावजूद 50 हजार ब'चे ऐसे हैं जो प्रत्येक साल सिटी के अलग-अलग कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं। रांची विवि के अधीन 14 कॉलेजों में ब'चे अपना नामांकन कराते हैं। इन कॉलेजों में फीस कम होने की वजह से आर्थिक रूप से कमजोर ब'चे एडमिशन कराते हैं। कई ब'चे ऐसे भी हैं जो क्लास करते हुए कहीं जॉब भी करते हैं। कॉलेज उनके लिए सुटेबल होता है, क्योंकि यहां मॉर्निंग क्लास होती है, क्लास के बाद स्टूडेंट्स कहीं पार्ट टाइम जॉब करते हैं।

एसएस मेमोरियल कॉलेज में फॉर्म नहीं

कांके रोड स्थित एसएस मेमोरियल कॉलेज में भी इंटरमीडिएट के ब'चों का नामांकन नहीं हो रहा है। यहां के शिक्षकों ने बताया कि विवि से मिले आदेश के बाद फार्म की बिक्री बंद कर दी गई है। ब'चे आते हैं फार्म लेने, लेकिन उन्हें लौटा दिया जाता है। शिक्षकों ने बताया कि यह डिसीजन गलत है। सरकार के आदेश के बाद भी विवि ने एडमिशन पर रोक लगा रखी है। ब'चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। हजारों ब'चों का फ्यूचर इससे इफेक्टेड हो सकता है। एसएस मेमोरियल कॉलेज में कांके रोड, पिठोरिया, ठाकुर गांव, पतरातू आदि इलाकों से हजारों ब'चे पढऩे आते हैं। यहां तीनों संकाय मिलाकर 1500 से अधिक ब'चों का एडमिशन होता है। इस बार सीट में कटौती करते हुए 384 कर दिया गया है। फिर भी यदि नामांकन लिया गया तो कॉलेज में 1152 ब'चों का नामांकन हो सकेगा। सभी कॉलेजों में एडमिशन हुआ तो कई ब'चे जो इधर-उधर भटक रहे हैं या जो पढ़ाई ड्रॉप करना चाहते है उनका भी एडमिशन हो सकेगा।

कुछ कॉलेजों ने शुरू किया एडमिशन प्रॉसेस

कुछ कॉलेज ऐसे भी हैं जहां ब'चों का एडमिशन लिया जा रहा है। माइनॉरिटी श्रेणी में आने वाले कॉलेजों में फार्म की बिक्री हो रही है। जैसे गोस्सनर कॉलेज, जेवियर कॉलेज, सेंट पॉल, मौलाना आजाद आदि कुछ कॉलेज हैं, जहां फार्म की बिक्री शुरू कर दी गई है। कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है ब'चों का एडमिशन नहीं लिया जाएगा तो ब'चों का भविष्य खराब होगा। साथ ही टीचिंग और नॉनटीचिंग स्टॉफ के रोजगार पर भी असर पड़ेगा। माइनॉरिटी श्रेणी में आने वाले कॉलेजों के पास यह पॉवर है कि वे अपने शैक्षणिक संस्थान में ब'चों का एडमिशन ले सकते हैं। वहीं मारवाड़ी कॉलेज, डोरंडा कॉलेज, एसएस मेमोरियल कॉलेज, रामलखन सिंह यादव कॉलेज समेत अन्य में एडमिशन प्रक्रिया बंद है।